बिहार सरकार ने अपने योजना खर्च में हो रही वृद्धि को देखते हुए 1500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त व्यवस्था कर ली है।
राज्य के वित्त विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि बिहार राज्य की वार्षिक योजना वैसे 13 हजार 500 करोड़ रुपये की है। इसी राशि के तहत राज्य की सारी योजनाओं का खर्च निकाला जाता है। इसमें नई और पुरानी दोनों प्रकार की योजनाओं पर होने वाले खर्च शामिल होते हैं।
विधानसभा के पहले पूरक बजट के माध्यम से इसे विभागीय बजट के तहत लाया जाएगा। वैसे योजना विभाग ने इस अतिरिक्त राशि को हरी झंडी दे दी है। वित्त विभाग इस राशि की उगाही हेतु संसाधनों का आकलन कर रहा है। एक बात स्पष्ट है कि इस अतिरिक्त व्यवस्था के बावजूद राज्य सरकार के वास्तविक योजना का आकार नहीं बढ़ेगा। योजना खर्च में जो बढ़ोतरी हो रही है, उसका एक बड़ा हिस्सा पथ निर्माण विभाग का है। इसके लिए 337 करोड़ रुपये के आबंटन की व्यवस्था की गई है।
नगर विकास विभाग के खर्च में 200 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की जा रही है। इस राशि में निर्वाचित प्रतिनिधियों के भत्ते की राशि शामिल है। समाज कल्याण विभाग को 66 करोड़ रुपये मिल रहा है। इसमें सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए सवा बारह करोड़ और लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए 24 करोड़ रुपये का प्रावधान है। पहले पूरक बजट के तहत जो राशि में बढ़ोतरी की जा रही है, उसमें मुख्यमंत्री जीवन दृष्टि कार्यक्रम और दशरथ मांझी श्रमिक प्रशिक्षण योजना का खर्च भी शामिल करने की बात है।
आईआईटी के लिए भूमि अधिग्रहण मद में 75 करोड़ रुपये की राशि सुरक्षित रखी गई है। चंडी और मधेपुरा में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना के लिए 12 करोड़ रुपये की राशि की व्यवस्था की गई है। गन्ना विकास विभाग की विभिन्न योजनाओं के लिए 60 करोड रुपये, गृह विभाग के लिए 60 करोड़, ग्रामीण कार्य विभाग के लिए 200 करोड़ रुपये सुरक्षित रखे गए हैं। मुख्यमंत्री ग्रामीण संपर्क योजना के लिए 70 करोड रुपये आवंटित करने की बात कही गई है। नगर विकास विभाग की कई योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए 200 करोड़ रुपये और पंचायती विभाग के लिए 49 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है।