तीन साल पहले बिहार के एक सरकारी अस्पताल में एक महीने में 39 मरीज आते थे, जबकि अब हर महीने औसतन 4,000 मरीज आने लगे हैं।
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री नंदकिशोर यादव को विश्वास है कि तीन साल के दौरान स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो कार्य हुए हैं, उससे विश्वास बना है कि आगामी दो साल में स्वास्थ्य के राष्ट्रीय मानकों को हासिल कर लिया जाएगा।
बिहार सरकार ने ममता योजना के तहत प्रशिक्षित बर्थ अटेंडेंट की व्यवस्था की है, जिससे ममता कार्यकर्ता, बच्चों के जन्म से पहले और जन्म के समय देखभाल कर सकें। इसका परिणाम यह हुआ है कि 2007 में जहां अस्पतालों में बच्चों के जन्म की संख्या 18,015 थी, वहीं मार्च 2008 तक के उपलब्ध आंकड़ों तक यह 76,471 पर पहुंच चुकी है।
यादव बताते हैं कि 3 साल पहले अस्पतालों में बच्चों की प्रजनन संख्या 5,000 प्रति माह थी, जो आज प्रतिमाह बढ़कर 80,000 प्रतिमाह हो चुकी है। वहीं बच्चों के टीकाकरण का औसत जहां 2002 में 11.2 प्रतिशत था, वह 2008 बढ़कर 53 प्रतिशत हो गया है, जो राष्ट्रीय टीकाकरण के आंकड़ों के लगभग बराबर है।
इसके अलावा 9 महीने से 5 साल तक के सभी बच्चों को 18 जून 2008 से 21 जून 2008 के बीच विटामिन ए की खुराक दी गई। यादव बताते हैं, ‘तीन साल पहले जब हमने इस विभाग को संभाला, 38 में से 25 जिलों में जिला अस्पताल, 102 सब डिवीजन में 23 अस्पताल 534 ब्लाक में 398 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र थे। आज हर जिले में जिला अस्पताल है, सब डिवीजन में अस्पताल बन गया है, या काम चल रहा है। राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या लगभग पूरी कर ली गई है।’
उन्होंने कहा, ‘पूरे राज्य में इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) की सुविधा उपलब्ध कराने की योजना के तहत पहले चरण में जनवरी में 7 जिलों में आईसीयू सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई हैं और मार्च के अंत तक राज्य के सभी जिलों में इसे शुरू कर दिया जाएगा।’
सरकार ने गंभीर रोगियों के उपचार के लिए सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में 2 सुपर स्पेशलिटी वार्ड बनाए जाने की शुरुआत कर दी है। बिहार में अब तक बाईपास सर्जरी की व्यवस्था नहीं थी, जो फरवरी माह से इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में मिलने लगेगी। ऑर्थो, आई सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बन चुके हैं और हृदय और चाइल्ड सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाए जाने की योजना है।
सरकार ने हर साल 1544 स्वास्थ्य उप केंद्र बनाने का फैसला किया है, जिसकी शुरुआत हो चुकी है। इसके अलावा 662 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने और 263 बड़े प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को आगामी दो साल में 30 बेड वाले अस्पताल के रूप में बदलने की योजना है।
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