facebookmetapixel
FY26 में नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 7% बढ़कर ₹12.92 लाख करोड़ पर पहुंचा, रिफंड में सुस्ती का मिला फायदाDelhi Red Fort Blast: लाल किला धमाके से पुरानी दिल्ली के बाजारों में सन्नाटा, कारोबार ठपअक्टूबर में SIP निवेश ₹29,529 करोड़ के ऑलटाइम हाई पर, क्या है एक्सपर्ट का नजरियाहाई से 43% नीचे गिर गया टाटा ग्रुप का मल्टीबैगर शेयर, क्या अब निवेश करने पर होगा फायदा?Eternal और Swiggy के शेयरों में गिरावट! क्या अब खरीदने का सही वक्त है या खतरे की घंटी?अक्टूबर में इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश 19% घटकर ₹24,690 करोड़, SIP ऑलटाइम हाई परDelhi Pollution: AQI 425 के पार, बढ़ते प्रदूषण के बीच 5वीं क्लास तक के बच्चों की पढ़ाई अब हाइब्रिड मोड मेंअमेरिका-चीन की रफ्तार हुई धीमी, भारत ने पकड़ी सबसे तेज ग्रोथ की लाइन: UBS रिपोर्टगिरते बाजार में भी 7% चढ़ा सीफूड कंपनी का शेयर, इंडिया-यूएस ट्रेड डील की आहत से स्टॉक ने पकड़ी रफ्तारवर्क प्लेस को नया आकार दे रहे हैं कॉरपोरेट, एआई का भी खूब कर रहे हैं उपयोग

सुरमई अंखियों ने देखे हैं कुछ सपने

Last Updated- December 06, 2022 | 9:05 PM IST

हम बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे एक उद्योग की चर्चा करने जा रहे हैं।


उद्योग इतना बिखरा हुआ है कि उसके वार्षिक कारोबार का ठीक-ठीक अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है लेकिन असर ऐसा है कि अमेरिकी दवा और खाद्य प्रशासन (यूएसएफडीए) भी उसके पीछे पड़ा है। हम बात सुरमा या काजल उद्योग की कर रहे हैं। शुरुआत बरेली से करते हैं।


बरेली के गड़रिया स्ट्रीट, पंजापुरा, स्वाली नगर और जखीरा में सुरमे की 1,500 से अधिक छोटी बड़ी इकाइयां हैं।बरेली में करीब 300 साल पहले सुरमे के कारोबार की शुरूआत करने वाली कंपनी हाशमी प्रा. लिमिटेड के मालिक मो. हशीन हाशमी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि देश में सुरमे का वार्षिक कारोबार ढाई करोड़ रुपये का है।


हालांकि , उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा की असल आंकड़े में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है। बरेली के अलावा कोलकाता, औरंगाबाद, मुंबई, कानपुर, दिल्ली और लखनऊ में भी सुरमा बनाया जाता है।


हशीन ने बताया कि गुणवत्ता नियंत्रण का अभाव, लेबल पर गलत या बढ़ाचढ़ा कर किए जाने वाले दावे, सीसा जैसे खतरनाक तत्वों की मौजूदगी और आधुनिक प्रौद्योगिकी के अभाव के कारण सुरमा उद्योग पिछड़ता जा रहा है। हालांकि, अब हिमालया ड्रग कंपनी, हमदर्द और हाशमी दवाखाना जैसी कंपनियां आधुनिक ढंग से काजल और सुरमा बना रहे हैं।


अमेरिका की टेढ़ी नजर


पश्चिमी एशिया, इंडोनेशिया, नाईजीनिया, मिस्र के अलावा अमेरिकी और यूरोपीय देशों में सुरमे का निर्यात किया जाता है। मुंबई स्थित सुरमा बनाने वाली कंपनी अरशरिफां के मो. जुनैद ने बताया कि ‘यूएसएफडीए ने हाल में सुरमा और काजल में सीसा पाए जाने के कारण एशियाई समुदाय के बीच इसके इस्तेमाल के खिलाफ एक अभियान शुरू किया है। इस कारण अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में निर्यात काफी घट गया है।’


उनका कहना है कि सुरमे के जिन नमूनों में सीसा पाया गया वो पाकिस्तान के बने थे, जबकि भारत में बने सुरमे में सही प्रक्रिया का पालन किया जाता है। इसलिए भारत में बने सुरमें का विरोध सही नहीं है।


दावे चाहें कुछ भी किए जाएं लेकिन हकीकत यहीं है कि भारत में बनने वाला ज्यादातर सुरमा तय मानकों को पूरा नहीं करता है। यूनानी आयुर्वेदिक दवा विनिर्माता संघ के महासचिव हकीम तारीफ ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि भारत में सिर्फ 12 से 15 कंपनियों को केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रक संगठन ने सुरमा और काजल के विनिर्माण और विपणन की मंजूरी दी है, जबकि सुरमा इकाइयों की संख्या हजारों में है।


कैसे बनता है सुरमा


संग कोहितूर पत्थर को जलाकर उसमें गुलाब जल, सौंफ, चंदन और अन्य औषधियों को मिलाकर सुरमा बनाया जाता है जबकि काजल सरसों के तेल या बादाम को जलाकर उसकी वाष्प को जमा करके बनाया जाता है।


आंखों के जरिए असल भाव व्यक्त होते हैं, जो हमारी आत्मा की पहचान है।आंखों में काजल लगाने से हमारे भाव अधिक प्रभावशाली ढंग से व्यक्त होते हैं। – सोनल मानसिंह, मशहूर ओडिसी नृत्यांगना

First Published - May 5, 2008 | 9:27 PM IST

संबंधित पोस्ट