जब महामारी का असर कम होगा तो हमारे पुराने तौर तरीकों में से कुछ लौट आएंगे। परंतु कार्यालयीन कामकाज में आया बदलाव काफी हद तक बरकरार रह जाएगा। अचल संपत्ति क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। इस आलेख में हम चर्चा करेंगे कि यह आखिर कैसे हो सकता है। उपभोक्ताओं से जुड़े वे कारोबार जहां ग्राहकों से निरंतर संपर्क की आवश्यकता है उनमें अचल संपत्ति की मांग कम होगी। कार्यालयीन स्थलों पर इसके प्रभाव का आकलन जटिल है लेकिन मांग में कमी आना तय है। सामान्य संतुलन का सिद्धांत अहम ढंग से काम करेगा और श्रम बाजारों तथा अचल संपत्ति बाजार को आपस में जोडऩे का काम करेगा। धीरे-धीरे जब आपूर्ति का समायोजन होगा तो इसमें कीमतों की अहम भूमिका होगी।
उपभोक्ताओं से सीधे संपर्क वाले कारोबारों के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों की बात करें तो मॉल में ग्राहक प्राय: रेस्तरां, जिम और सिनेमा हॉल के कारण जाते रहे हैं परंतु कोरोना काल में इन उद्योगों पर गहरी चोट पहुंची है। इनकी जगह लोग अब ई-कॉमर्स को अपना रहे हैं। यह बदलाव होता नजर आ रहा है। वाणिज्यिक अचल संपत्ति क्षेत्र की बात करें तो कार्यालयों में भी अहम बदलाव आ रहा है। अब काफी काम घर से होने लगा है। जब महामारी चली जाएगी तो क्या कामकाज के पुराने तौर तरीकों की वापसी हो जाएगी? अतीत में घर से काम करने के कई प्रयोग असफल साबित हो चुके हैं। परंतु अब कारोबारी हालात बदल चुके हैं जहां पारंपरिक तौर तरीके उतने उपयोगी नहीं हैं। वीडियो कॉल के माध्यम से विपणन का काम करना अब सामान्य हो चला है। लगातार घर से काम करने के कारण तमाम कंपनियों को ऐसा प्रबंधन व्यवहार अपनाना पड़ा है जहां वे उन टीमों में तालमेल के साथ काम करा सकें जो एक साथ नहीं बैठतीं। शारीरिक मौजूदगी कम करने के अपने लाभ हैं। कई कंपनियों का कहना है कि घर से काम कराने से उनकी उत्पादकता में इजाफा हुआ है जबकि साथ ही साथ आवागमन की लागत में कमी आई है। इतना ही नहीं घर से काम कराने का एक लाभ यह हुआ है कि वरिष्ठ अधिकारी अब तमाम कर्मचारियों के बीच सीधे उस कर्मचारी से बात कर सकते हैं जिससे बात करना जरूरी हो। इन बातों को ध्यान में रखें तो कह सकते हैं कि घर से काम करने का सिलसिला काफी हद तक बरकरार रहेगा।
कार्यालयों का इस्तेमाल अत्यधिक महत्त्वपूर्ण व्यक्तिगत बैठकों के लिए किया जाएगा। इन बैठकों की जरूरत तब होगी जब कोई कठिन वार्तालाप करनी हो, कुछ रचनात्मक सोचना हो, योजनाएं बनानी हों अथवा समीक्षा करनी हो। यानी कार्यालय काफी हद तक कन्वेंशन सेंटर की तरह हो जाएंगे जहां बैठक कक्ष और खानपान की सेवा होगी जबकि समूची प्रबंधन टीम के लिए छोटी पूर्णकालिक सुविधा भी होगी। इनका इस्तेमाल कार्य संस्कृति की स्थापना, मूल्यों को साझा करने और सद्भाव के लिए होगा। अधिकांश काम घर से किया जाएगा। महामारी के बाद मुंबई के कुछ अत्यधिक भीड़भाड़ वाले बाजार पुराने तौर तरीकों पर लौट जाएंगे लेकिन बड़ी तादाद में कंपनियां ऐसा नहीं करेंगी। कुछ कार्यालय पारंपरिक तरीके से काम करेंगे लेकिन साफ-सफाई बढ़ा देंगे जबकि अन्य घर से काम करने लगेंगे। दोनों का असर वाणिज्यिक अचल संपत्ति पर होगा।
कर्मचारियों को भी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। देश में बड़ी तादाद में ऐसी पढ़ी लिखी महिलाएं हैं जो काम नहीं करतीं। एक बार जब प्रबंधक घर से काम का प्रबंधन करना शुरू कर देंगे तो इन शिक्षित महिलाओं को बेहतर अवसर मिलेंगे। श्रमिकों की इस नई आपूर्ति का वेतन भत्तों पर भी बुरा असर पड़ेगा वहीं सार्वजनिक जीवन में महिलाओं का यह उभार सामाजिक आधुनिकीकरण पैदा करेगा। अगर सुबह 9 से शाम 5 बजे तक कार्यालय में रहना महत्त्वपूर्ण है तो कार्यालय के पास आवास होना फायदेमंद होगा। देश के शहरी इलाकों में यातायात की कमजोर व्यवस्था के कारण ऐसे आवास की मांग बहुत बढ़ी है। परंतु अगर सप्ताह में कुछ ही दिन कार्यालय जाना होगा तो पास में रहने की जरूरत कम हो जाएगी।
अतीत में भारतीय कामगार वैश्विक निगमों से आईटी/आईटीईएस कंपनियों (टीसीएस और इन्फोसिस आदि)जैसे संगठनात्मक ढांचों की मदद से जुड़े हुए थे या फिर उन वैश्विक निकायों द्वारा सीधे नियुक्त किए जाते थे। एक बार वैश्विक निगमोंं में घर से काम शुरू होने के बाद अगला तार्किक कदम यही होगा कि वे अपने श्रमिकों को भारत में ही पदस्थ करें। यह तीसरा तरीका होगा जिसके माध्यम से भारतीय श्रमिक वैश्विक निगमों तक पहुंच सकेंगे। ऐसे श्रमिकों की मांग बढ़ेगी, वेतन-भत्ते बढ़ेंगे और रुपये को भी समर्थन मिलेगा। भारत में रात के समय ज्यादा काम होगा तो इन इलाकों में रात्रि जीवन बेहतर होगा। इन कामगारों को वर्ष में कुछ मौकों पर विदेश जाने का मौका भी मिलेगा।
ये सभी कारक आवासीय अचल संपत्ति बाजार को प्रभावित करेंगे। कार्यालय से दूर के इलाकों में रिहाइश बढ़ेगी। साथ ही पूर्ण सुविधा युक्त आवास की मांग बढ़ेगी ताकि घर से काम करने में परेशानी न हो।
एक बार घर से काम की व्यवस्था कारगर होने पर आवास संबंधी निर्णयों पर आवागमन के समय का दबाव नहीं रहेगा। उस स्थिति में आवास की प्रकृति और रिहाइश की संस्कृति को तवज्जो दी जाएगी। शहरी जीवन मसलन कैफे, संगीत, थिएटर आदि को प्राथमिकता मिलेगी, शारीरिक सुरक्षा, महिलाओं की इज्जत और महानगरीय संस्कृति आदि पर जोर होगा। कोलकाता, चेन्नई, बेंगलूरु और मुंबई के उपनगरीय इलाकों के साथ-साथ गोवा, पुदुच्चेरी और केरल तक में काम के लिए आने वाले श्रमिकों के लिए नए अवसर हो सकते हैं। कला, संस्कृति और ब्रॉडबैंड तथा नई आवासीय व्यवस्था के बीच दोतरफा प्रतिपुष्टि की व्यवस्था होगी। उत्तर और दक्षिण के बीच का सांस्कृतिक भेद सुस्पष्ट होगा। श्रीलंका जैसे देशों में जाकर रहना बेहतर होगा क्योंकि वहां जीवन स्तर बेहतर है और कर दरें कम। देश में कर नीति पर दबाव आएगा क्योंकि देश के उच्च वेतन वाले लोग उच्च कर दरें स्वीकार नहीं करते।
हर बाजार में कीमत तब तक बदलती है जब तक मांग और आपूर्ति का असंतुलन दूर नहीं हो जाता। कीमत में गिरावट से मांग और आपूर्ति का धीमा समायोजन शुरू होता है। अचल संपत्ति बाजार का एक अहम गुण है इसमें लचीलापन न होना। किसी वाणिज्यिक इमारत को रिहाइशी बनाना आसान नहीं है क्योंकि उसमें न केवल भौतिक बल्कि सरकार के स्तर पर भी बाधा होती हैं। हमारे देश में लचीलेपन की कमी और अधिक है। जब आपूर्ति में लचीलापन न हो और मांग में बदलाव आए तो समायोजन का असर कीमत पर पड़ता है। इस वैश्विक संतुलन के आकार लेते ही भारतीय अचल संपत्ति बाजार में कीमतों में भारी बदलाव देखने को मिलेगा।
(लेखक नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी, नई दिल्ली में प्रोफेसर हैं।)