facebookmetapixel
Delhi pollution: दिल्ली में प्रदूषण पर सख्ती, बिना पीयूसी वाहनों के इस साल 20% ज्यादा कटे चालान; हवा हुई और खराबLIC Q2FY26 results: मुनाफा 31% बढ़कर ₹10,098 करोड़, प्रीमियम इनकम 5.49% बढ़ीED का 1xBet सट्टेबाजी मामले में बड़ा एक्शन, सुरेश रैना और शिखर धवन की ₹11.14 करोड़ की संपत्ति जब्तअब दो दिशाओं में दौड़ेगी Tata Motors! एक घरेलू बाजार पर फोकस, दूसरी ग्लोबल लग्जरी परNFO: Helios MF का स्मॉल कैप फंड लंबी अवधि में बनाएगा वेल्थ? ₹1,000 की SIP से निवेश शुरूKotak MF ने उतारा रूरल अपॉर्च्यूनिटीज फंड, ₹500 की SIP से निवेश शुरू; इस नई स्कीम में क्या है खास?Ola Electric के ऑटो बिजनेस ने Q2 में पहली बार दर्ज किया ऑपरेटिंग प्रॉफिटSBI MF का IPO आने वाला है! SBI और AMUNDI बेचेंगे हिस्सा, निवेशकों के लिए सुनहरा मौका30% तक उछल सकता है Adani Power का शेयर! मॉर्गन स्टैनली ने भी जताया भरोसामनी लॉन्ड्रिंग केस में अनिल अंबानी को ED का फिर समन, 14 नवंबर को पूछताछ के लिए बुलाया

दिसंबर में उपभोक्ताओं की धारणा में कमजोरी

Last Updated- December 29, 2022 | 9:20 PM IST
FMCG GST rate Cut

इस महीने श्रम बाजार और ग्राहकों की धारणा कमजोर नजर आ रही है। महीने के आ​खिरी दिनों में हमें तनाव की स्पष्ट तस्वीर दिख रही है। सीएमआईई के उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण के साप्ताहिक और 30 दिनों के औसत अनुमानों के रुझान में श्रम बाजारों के संघर्ष और परिवारों के बीच मौजूदा आर्थिक स्थितियों को लेकर संदेह की स्थिति बनने के संकेत मिलते हैं।

पिछले हफ्ते हमने दिसंबर में बेरोजगारी दर में वृद्धि के रुझान के बारे में बताया था। यह वृद्धि अक्टूबर 2022 में शुरू हुई और दिसंबर तक जारी रही। नवंबर महीना 8 प्रतिशत की उच्च बेरोजगारी दर के साथ खत्म हुआ था। दिसंबर में इसमें और बढ़ोतरी देखी जा रही है। तीसरे सप्ताह तक, दिसंबर की उच्च बेरोजगारी दर के साथ-साथ श्रम भागीदारी दर में भी तेज वृद्धि हुई और इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि रोजगार दर में भी अच्छी वृद्धि हुई है।

दिसंबर में समाप्त होने वाले पहले तीन हफ्तों में औसतन बेरोजगारी दर 8.9 प्रतिशत थी। अब, 25 दिसंबर को खत्म हुए चौथे सप्ताह में, बेरोजगारी दर 8.4 प्रतिशत मापी गई है। यह नवंबर की दर से अधिक थी। इसमें नई और समस्या वाली बात यह नहीं है कि बेरोजगारी निरंतर बढ़ रही है बल्कि श्रम भागीदारी दर और रोजगार दर में भी गिरावट देखी जा रही है।

यह संभव है कि हाल के हफ्तों की उच्च बेरोजगारी दर ने कुछ संभावित श्रमिकों को कम से कम अस्थायी रूप से श्रम बाजार छोड़ने के लिए हतोत्साहित किया है। दिसंबर 2022 में खत्म हुए चार हफ्तों के दौरान औसत बेरोजगारी दर नवंबर के 8 प्रतिशत की तुलना में 8.8 प्रतिशत है। बेरोजगारी का दबाव शहरों में केंद्रित है। 25 दिसंबर को खत्म हुए सप्ताह के दौरान शहरी बेरोजगारी दर 9.6 प्रतिशत थी जबकि ग्रामीण बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत थी।

उपभोक्ता धारणा में एक रुझान दिखता है जो श्रम बाजारों में देखे गए रुझान के समान ही है। इस साल नवंबर और दिसंबर में इन धारणाओं में मंदी के रुझान दिखे है। 25 दिसंबर, 2022 तक उपभोक्ता धारणा सूचकांक (आईसीएस) वहीं था जहां यह अक्टूबर 2022 में था। नवंबर में इसमें 0.2 प्रतिशत की गिरावट आई और 25 दिसंबर को खत्म हुए 30 दिनों में इसमें 0.2 प्रतिशत का सुधार हुआ। ये छोटे बदलाव हैं जो सांख्यिकीय आधार पर महत्त्वपूर्ण नहीं हो सकते हैं।

ऐसे में अक्टूबर में खत्म हुए त्योहारी सीजन के बाद उपभोक्ता धारणाओं का सूचकांक प्रभावी रूप से स्थिर हो गया है। मौजूदा आर्थिक स्थिति सूचकांक (आईसीसी) में मौजूदा आमदनी और गैर-टिकाऊ वस्तुओं पर खर्च करने के रुझान शामिल होते हैं जिसमें नवंबर में 1.6 प्रतिशत की गिरावट आई थी। वहीं नवंबर के स्तर की तुलना में, 25 दिसंबर तक सूचकांक में 0.6 प्रतिशत की गिरावट आई।

आईसीसी में गिरावट उन परिवारों में वृद्धि को दर्शाती है जिन्होंने कहा कि उनकी आमदनी एक साल पहले की तुलना में कम थी और यह उन परिवारों के शुद्ध प्रतिशत में वृद्धि को भी दर्शाता है जिनका मानना था कि यह एक साल पहले की अवधि की तुलना में उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं को खरीदने का बेहतर समय नहीं है। यह गिरावट नवंबर 2022 में और दिसंबर 2022 के कुछ हफ्ते के दौरान भी देखा गया। घरेलू आमदनी और टिकाऊ वस्तुओं पर खर्च करने की प्रवृत्ति से जुड़ी धारणाओं में यह गिरावट आंशिक रूप से उपभोक्ता अपेक्षाओं के सूचकांक (आईसीई) द्वारा दूर की जाती है, जिसमें भविष्य के संकेतक शामिल हैं। आईसीई नवंबर में 0.7 प्रतिशत और 25 दिसंबर तक 0.7 प्रतिशत बढ़ा।

आईसीई में तीन संकेतक शामिल हैं। इनमें से दो अगले एक वर्ष और पांच वर्षों में वित्तीय और आर्थिक वातावरण के बारे में घरेलू धारणा को दर्शाते हैं। इन दोनों की धारणा में सुधार हुआ है। तीसरा संकेतक अगले एक वर्ष में अपनी आमदनी के बारे में परिवारों के विचारों से जुड़ा है। इसके रुझान भी बहुत उत्साहजनक नहीं है। जिन परिवारों का मानना था कि अगले एक साल में उनकी आमदनी में गिरावट आएगी, उनका शुद्ध प्रतिशत अक्टूबर के 7.5 प्रतिशत से बढ़कर नवंबर में 8.6 प्रतिशत हो गया और 25 दिसंबर तक यह 8.9 प्रतिशत हो गया। आर्थिक माहौल को लेकर निराशा कम हो रही है लेकिन परिवारों में अगले एक साल में अपनी आमदनी की संभावनाओं को लेकर निराशा बढ़ रही है।

दिसंबर में उपभोक्ता धारणा में दिख रही कमजोरी का सबसे बड़ा स्रोत शहरी परिवारों की अपनी मौजूदा आर्थिक स्थितियों के बारे में बढ़ रही निराशा है। देश के शहरी क्षेत्र में आईसीसी, 25 दिसंबर तक नवंबर के स्तर के मुकाबले 2.1 प्रतिशत कम था। शहरी परिवारों के बढ़ते अनुपात का मानना है कि उनकी मौजूदा आमदनी एक साल पहले की उनकी आमदनी से भी बदतर है।

25 दिसंबर तक ग्रामीण आईसीएस नवंबर 2022 के स्तर से 0.9 प्रतिशत अधिक था। नवंबर में ग्रामीण आईसीएस में भी 0.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। दिसंबर में जहां बेरोजगारी दर बढ़ी है, वहीं रोजगार दर में भी इजाफा हुआ है। इसका मतलब यह है कि दिसंबर के दौरान रोजगार में वृद्धि हुई है। लेकिन, यह इस वृद्धि का अपर्याप्त स्तर है और रोजगार में वृद्धि के बावजूद घरेलू आमदनी में संभावित गिरावट से तनाव की स्थिति बन रही है।

First Published - December 29, 2022 | 9:20 PM IST

संबंधित पोस्ट