Skip to content
  गुरूवार 26 जनवरी 2023
Trending
January 26, 2023Budget 2023: पारंपरिक हलवा रस्म के साथ बजट दस्तावेज को अंतिम रूप देने का काम आखिरी चरण मेंJanuary 26, 2023पाकिस्तान की करेंसी में डॉलर के मुकाबले बड़ी गिरावट, गिरकर 255 रुपये प्रति डॉलर पर आयाJanuary 26, 2023अदाणी समूह अजरबैजान में पेट्रो केमिकल, खनन में निवेश पर कर रहा विचारJanuary 26, 2023India Grid: तीसरी तिमाही में लाभ 27 प्रतिशत बढ़कर 120 करोड़ रुपयेJanuary 26, 2023खिलाड़ियों को तीनों फॉर्मेट में खेलने के लिए प्रेरित रखना वर्ल्ड क्रिकेट का बड़ा मुद्दा : AB de VilliersJanuary 26, 2023Maruti के पास जमा हुआ बुकिंग का भंडार, लंबित ऑर्डर जनवरी में बढ़कर 4.05 लाख इकाई परJanuary 26, 2023आत्मनिर्भर भारत : परेड में 25-पाउंडर तोपों की जगह भारतीय तोपों ने दी सलामीJanuary 26, 2023Budget 2023: सरकार बजट में कर सकती है स्टार्टअप को बढ़ावा देने वाले कदमों की घोषणाJanuary 26, 2023Toyota के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अकीओ टोयोडा पद से हटेंगे, चेयरमैन बनेंगेJanuary 26, 2023ग्लोबल इकॉनमी में इंडिया ब्राइट स्पॉट: UN economist
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • बजट 2023
  • अर्थव्यवस्था
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • विशेष
    • आज का अखबार
    • ताजा खबरें
    • अंतरराष्ट्रीय
    • वित्त-बीमा
      • फिनटेक
      • बीमा
      • बैंक
      • बॉन्ड
      • समाचार
    • कमोडिटी
    • खेल
    • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • अर्थव्यवस्था
  • बजट 2023
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विशेष
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
  • आज का अखबार
  • ताजा खबरें
  • खेल
  • वित्त-बीमा
    • बैंक
    • बीमा
    • फिनटेक
    • बॉन्ड
  • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  लेख  डॉलर के बंपर भंडार को संभालने के गुर
लेख

डॉलर के बंपर भंडार को संभालने के गुर

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —August 7, 2020 11:29 PM IST0
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की बैलेंस शीट का आकार जुलाई के प्रारंभ में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 27 फीसदी हो गया था जबकि कुछ ही महीने पहले फरवरी के अंत में यह 22 फीसदी पर था। इससे पहले यह इस स्तर पर 2006-08 के दौरान देखा गया था। स्वतंत्र रूप में यह 8.3 लाख करोड़ रुपये बढ़ा है जो चार महीनों के भीतर 18 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। इस अवधि में विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों की बैलेंस शीट का आकार भी बढ़ा है लेकिन वह सरकारी उधारी को फंड देने की वजह से हुआ है। इसके उलट आरबीआई की बैलेंस शीट में वृद्धि अनैच्छिक है और ‘असंभव तिकड़ी’ का नतीजा है। भारत का भुगतान संतुलन अधिशेष तेजी से बढऩे से आरबीआई रुपये का भाव बढऩे से रोकने के लिए डॉलर की खरीद के लिए बाध्य हुआ है और उसे न चाहते हुए भी कुछ मौद्रिक कदम उठाने पड़े हैं। यह समस्या अगली कुछ तिमाहियों तक दूर होने के आसार नहीं हैं और आगे चलकर इसके बढऩे का ही खतरा है।
पिछले वित्त वर्ष में भारत का भुगतान संतुलन अधिशेष 59 अरब डॉलर था जो जीडीपी का करीब 2 फीसदी था। पूंजी प्रवाह के माध्यम से डॉलर की आवक बनी रही। अमूमन पूंजी प्रवाह को निगल जाने वाला व्यापार घाटा भी घरेलू अर्थव्यवस्था में कमजोरी के चलते आयात घटने और तेल की कम कीमतों के कारण घटकर 159 अरब डॉलर पर आ गया। डॉलर की अधिक आवक होने से आरबीआई के विदेशी मुद्रा भंडार में चार महीनों के ही भीतर 48 अरब डॉलर की वृद्धि हो गई है। इस दौरान हुए कुछ बड़े एकबारगी पूंजी लेनदेन और व्यापार-भारित डॉलर में कमजोरी से मुद्रा भंडार को बल मिला। हालांकि ऐसा नहीं होने पर भी भुगतान संतुलन अधिशेष में वृद्धि ही हुई रहती।
जून में दर्ज मासिक उत्पाद व्यापार अधिशेष की दुर्लभ स्थिति बरकरार रहने की संभावना कम ही है लेकिन अगले साल में व्यापार घाटा 80 अरब डॉलर से ऊपर जाने की आशंका नहीं है। विदेश से प्रेषित  धन के खासा कम रहने की संभावना के बावजूद सॉफ्टवेयर निर्यात सापेक्षिक तौर पर स्थिर रहने से चालू खाता अधिशेष की दुर्लभ स्थिति पैदा हो रही है। उसके साथ बढ़े हुए पूंजी प्रवाह को भी जोड़ लें तो भुगतान संतुलन अधिशेष पिछले किसी भी मौके की तुलना में काफी अधिक रह सकता है। पहले की भुगतान संतुलन अधिशेष स्थितियां पूंजी प्रवाह बढऩे से पैदा हुई थीं लेकिन हालिया वृद्धि व्यापार घाटे में गिरावट की वजह से हुई है। सोने के आयात में अस्थायी तौर पर काफी गिरावट आई है और कच्चे तेल के दाम भी कम हैं। इसी के साथ घरेलू स्तर पर तेल एवं सोने से इतर उत्पादों की मांग भी कम है।
यह परिघटना केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। कोविड महामारी के मामलों में बढ़ोतरी वाले देशों में घरेलू मांग एवं आयात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और सरकारों की तरफ से बड़ा राहत पैकेज नहीं दिए जाने से व्यापार घाटे में कमी या व्यापार अधिशेष में तेजी की स्थितियां देखने को मिली हैं। इसकी वजह यह है कि निर्यात के मोर्चे पर प्रदर्शन बेहतर रहा है। असल में अधिकांश बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सरकारों के राजकोषीय दखल से मांग पहले ही पुराने स्तर पर पहुंच चुकी है (चीन) या फिर तेजी से सुधार की राह पर है  (अमेरिका एवं ब्रिटेन)। इससे निर्यात में तेजी आई है। लेकिन जीडीपी के एक अंश के तौर पर भुगतान संतुलन अधिशेष के आकार के संदर्भ में देखें तो भारत इस प्रवृत्ति से एकदम अलग नजर आता है।
बाह्य खाते पर भारत के स्थायित्व को लेकर लंबे समय से जताई जा रही (रेटिंग में कटौती के डर जैसी) चिंताओं को देखें तो भुगतान संतुलन अधिशेष का आम तौर पर एक समस्या होना अच्छा ही है। लेकिन इस अधिशेष का आकार मुश्किल पैदा करता है: यह पहले ही अर्थव्यवस्था में मुद्रा प्रवाह बढ़ाने के आरबीआई के रवैये को बाधित कर चुका है। कई वर्षों तक मुद्रा आपूर्ति वृद्धि के नॉमिनल जीडीपी वृद्धि से पीछे रहने और सुस्ती में योगदान देने के बाद आरबीआई को नॉमिनल जीडीपी वृद्धि के शून्य पर लुढ़कने के बावजूद यह रफ्तार तेज करने के लिए बाध्य होना पड़ा है। मुद्रा आपूर्ति बढऩे और नॉमिनल जीडीपी वृद्धि के फर्क को अक्सर इस तरह आंका जाता है कि ‘अतिरिक्त मुद्रा से वृद्धि को बल मिलता है’। इस समय यह सर्वकालिक उच्च स्तर पर है।
कमजोर मांग वाली अर्थव्यवस्था में इससे उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति शायद न बढ़े लेकिन वित्तीय परिसंपत्तियां महंगी होने की आशंका होती है। फंडों की लागत में परिणामी कटौती मददगार हो सकती है, खासकर जब कंपनियों की बैलेंस शीट को मदद की दरकार हो। शेयर बाजारों में कीमत एवं कमाई का उच्च अनुपात होने का मतलब इक्विटी पूंजी की लागत का कम होना है। फर्मों एवं उपभोक्ताओं के लिए फंड की कम लागत होने से घरेलू मांग बढ़ेगी जिससे आयात में तेजी आएगी और अतिरिक्त डॉलर की खपत हो सकेगी।
हालांकि इस तरह वास्तविक अर्थव्यवस्था की मदद तभी हो पाती है जब कंपनियां शेयरों की बिक्री कर फंड जुटाएं। लेकिन अभी तक केवल गिनती की निजी वित्तीय फर्में ही ऐसा कर रही हैं। बॉन्ड के बढ़े दाम होने का मतलब कर्जदारों के लिए कम ब्याज दर होता है। लेकिन केवल मु_ी भर कंपनियों के लिए हुआ है। बॉन्ड प्रतिफल एवं आरबीआई की रीपो दर में फासला काफी अधिक होने के साथ ही बैंकों की भारित औसत उधारी दर एवं रीपो दर के बीच का अंतर भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर है।
यह वित्तीय प्रणाली में व्याप्त खामियों को दर्शाता है और इसके तत्काल समाधान की जरूरत है। हालांकि पूंजी की लागत में कटौती जरूरी होते हुए भी वह उपभोक्ताओं एवं निजी उद्यमियों के भरोसा कम होने से नाकाफी हो सकती है।
भुगतान संतुलन के समायोजन के लिए रुपये के भाव में बढ़ोतरी (आयात सस्ता होगा और निर्यात महंगा हो जाएगा) और पूंजी आवक पर बंदिशें लगाने जैसे कदमों के सुझाव इस समय नहीं दिए जा सकते हैं। वर्तमान अधिशेष मुख्यत: कमजोर स्थानीय मांग का परिणाम है और इसके अस्थायी होने की उम्मीद ही की जा सकती है। घरेलू मुद्रा आपूर्ति बढ़ाए बगैर आरबीआई का सोना खरीदने का कदम ऐसा तरीका नहीं है कि अतिरिक्त विदेशी मुद्रा खपाई जा सके।
इस तरह केवल एक अस्थायी लेकिन सार्थक राजकोषीय प्रोत्साहन ही कारगर हो सकता है। इससे घरेलू आर्थिक गतिविधियों को तेजी मिलने से घरेलू मांग में वृद्धि होगी और आयात भी बढ़ेगा। इस तरह भुगतान संतुलन अधिशेष को समायोजित किया जा सकेगा। अगर अतिरिक्त पूंजी को निवेश बढ़ाने या खपत मांग तेज करने वाले तरीके में नहीं लगाया गया तो यह आखिर में ऐसे ‘परिसंपत्ति बुलबुले’ ही पैदा करेगी जिनके फूटने पर चोट पहुंचती है।
ये चुनौतियां मध्यम अवधि में भी बनी रह सकती हैं। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह स्थिर बने रहने की अपेक्षा है और सरकार विशेष श्रेणी के सरकारी बॉन्ड जारी कर पूंजी खाते को खोलने जा रही है। जिस समय आयात प्रतिस्थापन और निर्यात वृद्धि को तवज्जो देना है, उस समय ऐसा कदम उठाने के लिए एक नई रणनीति अपनाने की जरूरत है ताकि वृहद-आर्थिक स्थायित्व एवं मुद्रा प्रबंधन किया जा सके।
(लेखक क्रेडिट सुइस के एशिया-प्रशांत रणनीति सह-प्रमुख एवं भारत रणनीतिकार हैं)

balance sheetFiscal MeasuresForeign Exchange ReservesGDPRBIआरबीआईजीडीपीबैलेंस शीटराजकोषीय उपाय
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

Related Posts

  • Related posts
  • More from author
आज का अखबार

संतुलित रुख जरूरी

January 25, 2023 10:12 PM IST0
आज का अखबार

केवल अधिकार तय करे संस्थाओं का व्यवहार?

January 25, 2023 10:07 PM IST0
आज का अखबार

आधुनिक सूचना युद्ध में विदेशी राज्य तत्त्व

January 25, 2023 9:59 PM IST0
आज का अखबार

पहल का अवसर

January 23, 2023 10:39 PM IST0
अन्य समाचार

आज का इतिहास | आज के ही दिन मदर टेरेसा को मिला था ‘भारत रत्न’ सम्मान

January 25, 2023 12:32 PM IST0
अन्य

Delhi Weather Update: राष्ट्रीय राजधानी में छाए बादल, न्यूनतम तापमान बढ़ा

January 25, 2023 11:27 AM IST0
अंतरराष्ट्रीय

दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में अदाणी चौथे नंबर पर खिसके, जेफ बेजोस ने किया पीछे

January 24, 2023 7:30 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत पर दोनों देशों को करना है फैसला : अमेरिका

January 24, 2023 6:54 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर ‘बत्ती गुल’ के बाद धीरे-धीरे बिजली आपूर्ति बहाल, कई शहरों में अभी भी अंधेरा

January 24, 2023 5:10 PM IST0
अन्य

Waste-to-energy: नरेला प्लांट की बिजली क्षमता बढ़कर होगी 60 मेगावाट

January 24, 2023 3:54 PM IST0

Trending Topics


  • Stocks to Watch Today
  • Share Market Update
  • Gold Rate Today
  • NSE
  • Fiscal Deficit
  • Gold Price Today
  • Rupee vs Dollar
  • Delhi Weather Today
  • Union Budget 2023

सबकी नजर


Budget 2023: पारंपरिक हलवा रस्म के साथ बजट दस्तावेज को अंतिम रूप देने का काम आखिरी चरण में

January 26, 2023 8:39 PM IST

पाकिस्तान की करेंसी में डॉलर के मुकाबले बड़ी गिरावट, गिरकर 255 रुपये प्रति डॉलर पर आया

January 26, 2023 8:16 PM IST

अदाणी समूह अजरबैजान में पेट्रो केमिकल, खनन में निवेश पर कर रहा विचार

January 26, 2023 7:51 PM IST

India Grid: तीसरी तिमाही में लाभ 27 प्रतिशत बढ़कर 120 करोड़ रुपये

January 26, 2023 7:40 PM IST

खिलाड़ियों को तीनों फॉर्मेट में खेलने के लिए प्रेरित रखना वर्ल्ड क्रिकेट का बड़ा मुद्दा : AB de Villiers

January 26, 2023 7:27 PM IST

Latest News


  • Budget 2023: पारंपरिक हलवा रस्म के साथ बजट दस्तावेज को अंतिम रूप देने का काम आखिरी चरण में
    by भाषा
    January 26, 2023
  • पाकिस्तान की करेंसी में डॉलर के मुकाबले बड़ी गिरावट, गिरकर 255 रुपये प्रति डॉलर पर आया
    by भाषा
    January 26, 2023
  • अदाणी समूह अजरबैजान में पेट्रो केमिकल, खनन में निवेश पर कर रहा विचार
    by भाषा
    January 26, 2023
  • India Grid: तीसरी तिमाही में लाभ 27 प्रतिशत बढ़कर 120 करोड़ रुपये
    by भाषा
    January 26, 2023
  • खिलाड़ियों को तीनों फॉर्मेट में खेलने के लिए प्रेरित रखना वर्ल्ड क्रिकेट का बड़ा मुद्दा : AB de Villiers
    by भाषा
    January 26, 2023
  • चार्ट
  • आज का बाजार
60205.06 
IndicesLastChange Chg(%)
सेंसेक्स60205
-7741.27%
निफ्टी60205
-7740%
सीएनएक्स 50015172
-2171.41%
रुपया-डॉलर81.57
--
सोना(रु./10ग्रा.)51317.00
0.00-
चांदी (रु./किग्रा.)66740.00
0.00-

  • BSE
  • NSE
CompanyLast (Rs)Gain %
Saregama India356.857.58
Esab India4073.055.51
V I P Inds.722.652.43
Castrol India121.252.32
Godfrey Phillips1970.002.28
Mah. Scooters4504.702.15
आगे पढ़े  
CompanyLast (Rs)Gain %
Mahindra CIE377.058.18
TVS Motor Co.1037.905.49
Sona BLW Precis.455.005.18
Home First Finan792.654.95
AAVAS Financiers1901.754.51
Sharda Cropchem506.503.55
आगे पढ़े  

# TRENDING

Stocks to Watch TodayShare Market UpdateGold Rate TodayNSEFiscal DeficitGold Price TodayRupee vs DollarDelhi Weather TodayUnion Budget 2023
© Copyright 2023, All Rights Reserved
  • About Us
  • Authors
  • Partner with us
  • Jobs@BS
  • Advertise With Us
  • Terms & Conditions
  • Contact Us