दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) पर केंद्र की गाज गिरने के बाद क्या छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अगली कतार में हैं? प्रवर्तन निदेशालय (ED), कोयला लेवी वसूली मामले के तार जोड़ने की कोशिश में है जिसके तहत खदान से उपयोगकर्ता तक कोयला पहुंचाने की व्यवस्था के लिए ई-ट्रांसपोर्टेशन परमिट की जगह मैनुअल अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) ने ले ली।
सूर्यकांत तिवारी नाम के व्यक्ति और कुछ अफसरशाहों द्वारा संचालित कार्टेल के इशारे पर ऐसा किया गया था और इसके लिए कथित तौर पर कई वरिष्ठ राजनेताओं को भुगतान भी किया गया था।
वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के राजनीतिक नेतृत्व के साथ वसूली करने वालों के संबंध जोड़ते हुए क्या ईडी अपनी जांच पूरी करेगा और चार्जशीट दाखिल कर पाएगा, यह देखा जाना बाकी है।
फिलहाल कांग्रेस सरकार के सामने चुनौतियां बहुत कम हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद से ही अधिकांश वक्त तक हाशिये पर ही रही है जब वह विधानसभा की 90 सीट में से केवल 15 सीट जीत सकी थी।
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में पार्टी के काम से जोड़ा गया है, हालांकि वह पिछले विधानसभा चुनावों में अपने गढ़ को ही बचाने में असमर्थ थे। कुछ महीने पहले भाजपा ने धरमलाल कौशिक की जगह तीन बार के विधायक नारायण चंदेल को विपक्ष का नेता नियुक्त किया था। जांजगीर-चांपा से विधायक और राज्य विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष चंदेल भी बघेल की तरह कुर्मी जाति से ताल्लुक रखते हैं।
भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है, लेकिन बघेल सरकार के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस विधानसभा और स्थानीय निकाय के सभी पांच उपचुनाव जीत गई। पिछले पांच वर्षों में पार्टी ने सभी जिला परिषद, नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत चुनावों में भी जीत हासिल की है।
सार्वजनिक रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए कोटा बढ़ाने पर आपत्ति जताने वाली राज्यपाल अनुसूया उइके के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करते हुए पार्टी को अतिरिक्त बढ़त मिली। छत्तीसगढ़ में आरक्षण कोटा अब 76 प्रतिशत तक है जो देश में सबसे अधिक है।
लेकिन कांग्रेस भी उस जगह पर समस्याएं पैदा करती है जहां कोई समस्या मौजूद नहीं होती। शुरुआत में 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद, राज्य में कांग्रेस के नए चेहरे को पेश करने की राहुल गांधी की योजना के तहत, ताम्रध्वज साहू को मुख्यमंत्री बनाने के लिए चुना गया था।
वर्ष 2018 के चुनाव के बाद बघेल और राज्य के अन्य बड़े कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव दिल्ली से यह आश्वासन पाकर लौटे थे कि उन दोनों को शीर्ष पद दिया जाएगा लेकिन जब वह रायपुर पहुंचे तो साहू के समर्थक जश्न मनाते हुए आतिशबाजी कर रहे थे।
कछुए-खरगोश की कहानी की तरह साहू ने दौड़ जीत ली थी। दोनों हवाईअड्डे पर फिर लौटे और वापस दिल्ली चले गए, जहां अहमद पटेल ने मुख्यमंत्री पद के लिए दोनों के आधे-आधे कार्यकाल की बात की। इसी व्यवस्था के तहत साहू को गृहमंत्री बनाया गया था।
इसके बाद कोविड-19 आया जिस कारण अहमद पटेल का निधन हो गया। अब सिंह देव के पास बस आश्वासन के शब्द ही बचे थे जिसके मुताबिक उन्हें सरकार के कार्यकाल की दूसरी अवधि में उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाना था। जब बघेल ने अपने पद से हटने से इनकार कर दिया तब सिंह देव ने अपना विरोध तेज कर दिया।
सिंह देव अब भी नाखुश हैं, लेकिन बघेल का कद बढ़ गया है। उन्हें हाल ही में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में प्रचार में शामिल किया गया था। उन्होंने रायपुर में कांग्रेस महाधिवेशन का आयोजन किया। उन्हें गांधी परिवार का विश्वास हासिल है।
मुख्यमंत्री के रूप में बघेल यथार्थवादी और हठधर्मिता से मुक्त हैं। उनकी सरकार की आर्थिक नीति का केंद्र बिंदु ग्रामीण अर्थव्यवस्था है। किसानों से गोबर खरीदने की योजना ने सरकार के नरम हिंदुत्व से जुड़े कई सिद्धांतों को बढ़ावा दिया लेकिन यह एक तथ्य है कि बघेल ने भाजपा को हिंदुत्व कार्ड खेलने की अनुमति नहीं दी है। गोधन न्याय योजना की शुरुआत 2020 में की गई थी।
किसानों से खरीदे गए गोबर को 3500 से अधिक सरकारी गौशालाओं में पहुंचाया जाता है, जहां इसे उर्वरक और अन्य उत्पादों में बदल दिया जाता है। अगला कदम इन्हें औद्योगिक पार्कों में बदलना है।
अगर रमन सिंह की जीत में सार्वजनिक वितरण सेवा (पीडीएस) से जुड़े सुधारों का हाथ था तो बघेल ने भी अपनी तरफ से अनाज की खरीद का वादा किया था। छत्तीसगढ़ का कोई भी किसान विरोध नहीं कर रहा है या न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग नहीं कर रहा है क्योंकि वे जानते हैं कि राज्य सरकार उसकी सारी फसल खरीद लेगी।
राज्य में सरकार भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को नकद सहायता देती है और इसने स्वास्थ्य और पोषण सुविधाओं की शुरुआत की है। इसके अलावा सरकार ने स्थानीय त्योहारों के लिए अतिरिक्त सार्वजनिक अवकाश देने के साथ ही स्थानीय खेलों और व्यंजनों के महत्त्व पर भी जोर दिया और राज्य के गीत और राज्य के प्रतीकों को पेश करके स्थानीय परंपराओं को बढ़ावा देने की कोशिश की है।
मुख्यमंत्री अपने ‘भेंट-मुलाकात’ कार्यक्रम के माध्यम से मतदाताओं के साथ लगातार संपर्क में हैं, जिसके तहत वह पहले ही 50 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं। अगर बघेल भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे से बच निकलते हैं तब राज्य में कांग्रेस की संभावना अच्छी है। लेकिन यहां ‘अगर’ अहम है।