केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि देश के बहुत से हिस्सों में कोविड-19 के नए मामलों की संख्या में कई सप्ताह से आ रही गिरावट स्थिर हो गई है और असल में कुछ जगहों पर मामले फिर से बढऩे लगे हैं। विशेष रूप से केरल और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में मामले फिर बढऩे लगे हैं। इन दोनों राज्यों ने ही देश में महामारी की दूसरी लहर की सबसे पहले चेतावनी दी थी। उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी मामले बढ़ रहे हैं। इसलिए इस बात का अत्यधिक वास्तविक खतरा है कि तीसरी लहर बहुत नजदीक है और यह पहले के अनुमानों से भी जल्द आएगी। दूसरी लहर से पहले के विपरीत अब केंद्र सरकार हालात को लेकर बहुत सजग है। प्रधानमंत्री ने मंगलवार को कहा कि ‘हम थोड़़ा भी समझौता नहीं कर सकते।’ उन्होंने कहा कि उपेक्षा, लापरवाही, भीड़भाड़ के कारण संक्रमण बढ़ सकते हैं, इसलिए प्रत्येक स्तर पर गंभीरतापूर्वक हरेक (एहतियाती) कदम उठाया जा रहा है और ज्यादा भीड़भाड़ के आयोजनों को बंद किया जाना चाहिए। कुछ मुख्यमंत्रियों ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किए हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कई सप्ताह पहले से आगाह कर रहे हैं कि ‘लापरवाह’ व्यवहार तीसरी लहर ला सकता है। लेकिन फिर भी, जैसा कि केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शिकायत की, कोविड-19 की चेतावनियों को ‘मौसम की अद्यतन जानकारी’ की तरह माना जा रहा है।
दुनिया भर में महामारी का एक सबक यह रहा है कि हालांकि राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के लिए जनता को कोविड अनुरूप व्यवहार अपनाने को लेकर सचेत करना जरूरी है, लेकिन शायद यह पर्याप्त साबित नहीं होगा। निश्चित रूप से भारत में बाजारों और सुदूरवर्ती हिल स्टेशनों पर अत्यधिक भीड़भाड़ के दृश्यों से यह साबित हुआ है कि देश कोविड-19 नियमों का पालन करने का इच्छुक नहीं है। ऐसी परिस्थितियों में दोबारा से प्रतिबंध लगाना या कम से कम लोगों के बड़े जमावड़े को रोकना जरूरी हो सकता है। जब दूसरी लहर डरा रही थी, उस समय कुंभ मेले के आयोजन को मंजूरी देने वाली उत्तराखंड सरकार ने अपनी गलतियों से सबक सीखा है। राज्य के नए मुख्यमंत्री ने कांवड़ यात्रा को मंजूरी नहीं दी। इस यात्रा में पूरे उत्तर भारत में तीर्थयात्री गंगा से जल लेकर अपने गांवों में जाते हैं।
मुख्यमंत्री ने सही कहा कि वह नहीं चाहते कि हरिद्वार तीसरी लहर का केंद्र बन जाए। अन्य राज्य सरकार इतनी सावधान नहीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि उत्तर प्रदेश सरकार कांवड़ यात्रा के खिलाफ ऐसे कदम क्यों नहीं उठा रही है। एक समान और जिम्मेदार तरीके की दरकार है।
निस्संदेह तीसरी लहर को रोकने का सबसे अच्छा उपाय टीकाकरण है। लेकिन इस स्तर पर केंद्र सरकार उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर रही है। इसके टीकाकरण कार्यक्रम की रफ्तार में बढ़ोतरी की देश की उम्मीदें जुलाई में अब तक के प्रदर्शन से टूट गई हैं। पिछले सप्ताह औसत दैनिक टीकाकरण घटकर 40 लाख से नीचे आ गया। इस साधारण प्रदर्शन से हर्ड इम्यूनिटी की संभावनाएं दूर बनी हुई हैं। जो राज्य सरकारें कम टीकों के स्टॉक की शिकायत कर रही हैं, उनकी नए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कड़ी आलोचना की है। मांडविया ने उन पर ‘भय पैदा’ करने का आरोप लगाया है। वास्तव में यह उनके कार्यकाल की उत्साहजनक शुरुआत नहीं थी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने दावा किया था कि उनके राज्य को प्रत्येक 1,000 पात्र निवासियों पर करीब 300 खुराकों का आवंटन गुजरात और कर्नाटक जैसे बहुत से अन्य राज्यों के बराबर प्रावधान से अपर्याप्त और कम है। सरकार को सबसे पहले टीका आयात में कानूनी बाधाएं हटाने समेत आपूर्ति बढ़ाने के लिए ज्यादा कदम उठाने चाहिए और फिर अंतर-राज्य आवंटन के लिए एक पारदर्शी फॉर्मूले पर सहमति बनानी चाहिए।