भारत में वित्तीय तंत्र और निवेशक समुदाय 4 अप्रैल तक हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉर्पोरेशन (एचडीएफसी) और एचडीएफसी बैंक के आपस में विलय का कयास लगा रहे थे। दोनों इकाइयों के विलय की बात लंबे समय से चल रही थी। एचडीएफसी बैंक के निवेशक चाहते थे कि उसे (बैंक)खुदरा ऋण खाते को एक संपूर्ण आयाम देने के लिए आवास ऋण का भी आवंटन करना चाहिए। मगर एचडीएफसी को इस पर आपत्ति थी क्योंकि वह एचडीएफसी बैंक की मूल कंपनी थी और स्वयं इस कारोबार से जुड़ी थी।
एचडीएफसी इसलिए भी विलय के पक्ष में नहीं थी कि उसे डर था कि बाद में उसे सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) या सरकारी बॉन्ड में अनिवार्य निवेश जैसे नियमों का अनुपालन करना होगा। विलय के बाद नई इकाई को प्राथमिक क्षेत्र के लिए भी ऋण आवंटन का प्रावधान करना होगा। अब बैंकों और गैर-बैंकिग वित्तीय इकाइयों के बीच अंतर नियमन के लिहाज से तेजी से कम हो रहा है। नए नियम आने के बाद एचडीएफसी को सुरक्षित नकदी भंडार का प्रावधान करना पड़ रहा है। बैंकों और गैर-बैंकों दोनों के लिए परिसंपत्ति-वर्गीकरण नियम लगभग एक समान हो गए हैं। गैर-बैंकिंग इकाइयों को पहले मिल रहे लाभ अब धीरे-धीरे समाप्त होने से एचडीएफसी बैंक को बड़ा और मजबूत बनाना बेहतर विकल्प मालूम पड़ता है।
एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी में अगले 12 से 15 महीनों में विलय हो सकता है। एचडीएफसी बैंक का परिसंपत्ति आधार 27.09 लाख करोड़ रुपये होगा जो निजी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े आईसीआईसीआई बैंक का लगभग दोगुना होगा। एचडीएफसी बैंक का आवास ऋण खाता (कॉर्पोरेट ऋण को छोड़कर) 6.21 लाख करोड़ रुपये होगा जो बैंकिंग उद्योग में सबसे अधिक होगा और भारतीय स्टेट बैंक के 6.05 लाख करोड़ रुपये को पीछे छोड़ देगा। विलय के और भी कई लाभ हैं। इस समय निगमित एवं खुदरा ऋ ण का अनुपात 55:45 है। विलय के बाद एचडीएफसी बैंक में खुदरा ऋण की हिस्सेदारी बढ़ जाएगी जिससे ब्याज आय में इजाफा होगा। इसकी वजह यह है कि खुदरा ऋण पर निगमित ऋण की तुलना में अधिक ब्याज मिलता है।
बैंक द्वारा आवंटित कुल ऋण में 35 प्रतिशत सुरक्षित ऋण की श्रेणी में आते हैं। आवास ऋण का आकार बढऩे से असुरक्षित ऋण की हिस्सेदारी कम हो जाएगी जिससे बहीखाता पहले से मजबूत हो जाएगा। इससे एचडीएफसी बैंक के ऋण की औसत परिपक्वता अवधि भी बढ़ जाएगी जो इस समय 15 महीने है। कोई आवास ऋण औसतन छह वर्ष तक चलता है। एचडीएफसी के साथ वर्ष 2003 में एक समझौते के बाद एचडीएफसी बैंक ने अपनी मूल कंपनी के लिए आवास ऋण बेचना शुरू कर दिया था। जांच-पड़ताल एवं अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद एचडीएफसी आवास ऋण आवंटित करती है और वसूली भी अपने हाथ में रखती है। बैंक को प्रत्येक मंजूर ऋण पर 90 आधार अंक फीस मिलती है और 20 आधार अंक का लाभ ऋण वितरण के लिए मिलता है।
बैंक के पास ऐसे 70 प्रतिशत तक ऋण खरीदने का विकल्प है। अगर वह ऐसा करता है तो उसे प्रत्येक ऋण पर 75 आधार अंक शुल्क भुगतान करना होगा। इस विकल्प का इस्तेमाल कर एचडीएफसी बैंक ने 83,000 करोड़ रुपये का आवास ऋण खाता तैयार कर लिया है। एचडीएफसी का विलय होने के बाद खुदरा ऋण की हिस्सेदारी बढ़कर 5.15 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी और ऋण मूल्यांकन एवं इसके आवंटन में एचडीएफसी का अनुभव भी काम आएगा। मगर चुनौतियां भी कम नहीं हैं। 18 प्रतिशत एसएलआर और 4 प्रतिशत नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) की शर्त पूरी करने के लिए करीब 1.15 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इस मद में कुछ रकम पहले से मौजूद है। दिसंबर 2021 से बड़ी आवास वित्त कंपनियों के लिए नकदी रखना, सरकारी बॉन्ड में निवेश करना और 30 दिन की जरूरत के बराबर रकम का प्रावधान करना जरूरी हो गया है। एचडीएफसी इन मदों में 45,000 करोड़ रुपये निवेश कर चुकी है। तरल योजनाओं में इसने करीब 10,000 करोड़ रुपये निवेश किए हैं। एचडीएफसी को अपने ऋण के संबंध में प्राथमिक क्षेत्र को ऋण आवंटन की अनिवार्यता पूरी करने के लिए करीब 2.3 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी। सस्ती आवास योजनाओं में कंपनी ने 1.2 लाख करोड़ रुपये निवेश किए हैं जो प्राथमिक क्षेत्र में आवंटन माना जाएगा। दीर्घ अवधि के बॉन्ड के माध्यम से जुटाए गई रकम एसएलआर/सीएलआर और प्राथमिक क्षेत्र ऋण आवंटन की शर्तें पूरी करने में काम आ सकती है। मगर इसके बावजूद यह 1.1 लाख करोड़ रुपये कम होगी क्योंकि एचडीएफसी ने कृषि एवं लघु उद्योगों को ऋण आवंटित नहीं किए हैं। ये दोनों ही खंड प्राथमिक क्षेत्र के तहत आते हैं। हालांकि विलय में अभी थोड़ा समय लगेगा और प्राथमिक क्षेत्र के लिए ऋण आवंटन की गणना एक वर्ष पीछे चलती है इसलिए एचडीएफसी बैंक इस रकम के एक हिस्से का प्रावधान तब तक कर लेगी और कुछ दूसरे स्रोतों से भी शेष इंतजाम हो जाएगा।
एचडीएफसी ने नियामकीय शर्तें पूरी करने के लिए कुछ वर्षों का समय मांगा है। अगर आरबीआई इसकी अनुमति नहीं देता है तो नियामकीय शर्तें पूरी करने के लिए उसे कारोबारी पूंजी का इस्तेमाल करना होगा। इससे निवेशकों की उम्मीदें पूरी होने में देरी हो जाएगी।
एचडीएफसी के खाते में कई ऋण (शेयर के बदले ऋण और कुछ निर्माण ऋण) ऐसे भी हैं जो किसी बैंक के खाते में नहीं डाले जा सकते। ऐसे ऋ ण करीब 25,000 करोड़ रुपये के हैं। एचडीएफसी बैंक को ऐसे ऋण का निपटारा करना होगा। अंत में विलय की प्रक्रिया पूरी होने के बाद एचडीएफसी बैंक को सामान्य एवं जीवन बीमा कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी होगी। इन कंपनियों में एचडीएफसी की हिस्सेदारी है। एचडीएफसी ने विलय की दिशा में कदम बढ़ाकर देर से ही सही मगर दुरुस्त कदम उठाया है।
