अब अपने देश में आने वाला समय एनिमेशन, गेमिंग और इंडस्ट्रीयल डिजाइन सेक्टर के नाम होगा। विश्लेषकों की मानें तो जल्द ही, हमारे मुल्क में यह सेक्टर 10 या 15 नहीं, बल्कि 80 हजार लोगों को रोजगार मुहैया करेगा।
इसीलिए तो फ्रांस की नामी-गिरामी संस्था चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड़ वेलेसियोनिस (सीसीआईवी) पुणे में डिजाइन, गेमिंग और एनिमेशन के लिए एक संस्थान शुरू करने वाली है।
इस अंतरराष्ट्रीय संस्थान को स्थापित करने में उसकी मदद कर रही है पुणे की डीएसके ग्रुप। यह संस्थान सीसीआईवी के दूसरे संस्थानों की तर्ज पर ही काम करेगी। सीसीआईवी फ्रांस में तीन डिजाइन स्कूल चलाती है।
इंस्टीटयूट सुपीरियर डे डिजाइन(आईएसडी), सुपीनफोगेम, सुपीनफोकॉम-ये सभी विश्व के सबसे मशहूर डिजाइन स्कूल हैं। सीसीआईवी ने डिजाइन के क्षेत्र में अच्छी प्रतिभाओं की तलाश करने के लिए भारत को चुना है।
उसने डीएसके के साथ मिलकर यह संस्थान खोलने का समझौता इसलिए किया गया है, ताकि शैक्षिक प्रशिक्षण के जरिये प्रतिभाओं को निखारा जाएगा।यह संस्थान फुरसुंगी गांव में पुणे-हैदराबाद नैशनल हाइवे के पास होगा, जो पुणे से 20 किमी. दूर है।
यहां दो साल के फंडामेंटल कोर्स और तीनों विषयों में तीन साल के एडवांस कोर्स की पढ़ाई होगी। डिजाइन और एनिमेशन क्षेत्र की मशहूर हस्तियां संस्थान के छात्रों को ट्रेनिंग देंगी।
डीएसके अंतरराष्ट्रीय इंडस्ट्रियल डिजाइन, गेमिंग और एनीमेशन संस्थान के प्रबंध निदेशक अशोक कोलास्कर का क हना है,’डीएसके समूह और सीसीआईवी ने सहमति पत्र के आधार पर 20 एकड़ जमीन पर इस संस्थान को बनाया है।
इस प्रोजेक्ट में कुल 200 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।’ उनका कहना है की इस संस्थान को आईआईटी और आईआइएम के तर्ज पर ही विकसित किया जाएगा।
कोर्स समाप्त होने पर सभी छात्रों को फ्रांस के कमीशन नेशनल डी सर्टिफिकेशन प्रोफेशनल (सीएनसीपी) की ओर से प्रमाणपत्र दिया जाएगा। इस प्रमाणपत्र को विश्व में बेहतर मान्यता भी मिलेगी।
यह संस्थान पाठयक्रम, चुनाव प्रक्रिया और ट्रेनिंग की तकनीको के लिहाज से अपने मूल संस्थान की तरह ही होगी। इस साल अगस्त में इस संस्थान को छात्रों का पहला बैच मिल जाएगा।
इसके लिए जून में प्रवेश परीक्षा ली जाएगी।कोलास्कर का मानना है कि आउटसोर्सिंग का कारोबार महज आईटी तक ही सीमित नहीं है। वास्तव में अब भारत में आउटसोर्सिंग के जरिए इंडस्ट्रीयल डिजाइनिंग, गेमिंग और एनिमेशन के क्षेत्र में नौकरियां आ रही हैं।
यह दुर्भाग्य की बात है की देश की शैक्षिक व्यवस्था में इस तरह के रुचिकर विषयों की ट्रेनिंग नहीं दी जाती है।
कोलास्कर पुणे यू्निवर्सिटी के कुलपति भी रह चुके हैं। वह ग्लोबल डिजानिंग इंडस्ट्री के लिए प्रतिभाओं के लिहाज से भारत को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखते हैं।