भारत में कई वर्षों से रियल एस्टेट क्षेत्र पर संकट और दबाव के बादल मंडराते रहे हैं। निश्चित तौर पर इस दौरान रियल एस्टेट क्षेत्र में बड़े करार होने के साथ-साथ नियामकीय मोर्चे पर भी प्रगति हुई है। लेकिन कुल मिलाकर चर्चा का विषय मकानों की ज्यादा इन्वेंट्री, बिना बिके फ्लैट, रियल्टी कंपनियों के ज्यादा ऋण, उपभोक्ताओं की सक्रियता, मुकदमेबाजी और डेवलपरों के नाकाम होने और हाशिये पर जाने जैसी बातें ही होती हैं।
नोएडा के सुपरटेक टावर को 2022 में गिराया गया और उसकी तस्वीर शायद भारतीय रियल एस्टेट जगत की सबसे अहम घटना इस क्षेत्र की सबसे बड़ी दिक्कत की याद दिलाती रहेगी। इस उद्योग में भ्रष्टाचार की बात पर किसी को कोई हैरानी नहीं होती है लेकिन इसके बावजूद यूनिटेक का पतन और इसके प्रवर्तकों को धनशोधन सहित अन्य आरोपों में जेल भेजे जाने के घटनाक्रम शायद लंबे समय तक इस कारोबार के लिए चेतावनी बनकर रहेंगे कि सफलता कितनी क्षणभंगुर हो सकती है।
संख्या के लिहाज से पिछले साल कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया में शामिल करीब 2,000 मामलों में से 430 से अधिक मामले रियल एस्टेट क्षेत्र से थे। इसकी प्रमुख वजह महामारी के कारण मांग में कमी बताई गई। अन्य आंकड़ों से पता चला कि मकानों की इन्वेंट्री नहीं बिकी।
ठीक एक साल पहले डेवलपरों के आठ प्रमुख शहरों में लगभग 785,000 मकान बिके नहीं थे। रियल एस्टेट सलाहकारी कंपनी प्रॉपटाइगर ने अक्टूबर 2022 में कहा था कि डेवलपरों को इन्हें बेचने में 32 महीने लग सकते हैं। इस अनुमान से यह भी संकेत मिलता है कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के बाजार में उस समय के 100,000 से अधिक तैयार मकानों को बेचने में लगभग 62 महीने का वक्त लगेगा।
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उस वक्त से लेकर अब तक प्रॉपर्टी के बाजार में ऐसा क्या बदला है जिससे तेजी के रुझान को स्वीकार किया जाए? इसके कारण काफी हद तक स्पष्ट नहीं हैं सिवाय इसके कि ज्यादातर बड़े और मशहूर बिल्डर बहुत जल्दी मकान और भूखंड बेच लेते हैं और कीमतें इस रफ्तार से बढ़ रही हैं जो लगभग एक दशक में बढ़ती हुई नहीं देखी गईं हैं और इस क्षेत्र में पैसा आ रहा है।
यही वजह है कि रियल एस्टेट कंसल्टेंसी एनारॉक की बिक्री संबंधी रिपोर्ट ने लोगों को हैरान करने के लिए मजबूर कर दिया। इस रिपोर्ट में कहा गया कि जुलाई और सितंबर 2023 के बीच भारत के शीर्ष सात शहरों में अब तक के सबसे उच्च स्तर पर 1,20,280 मकानों की बिक्री हुई और यह पिछले साल की समान अवधि के दौरान बिके 88,230 मकानों की तुलना में 36 प्रतिशत अधिक है। मॉनसून के महीने में आमतौर पर रियल एस्टेट बाजार का कारोबार मंदा ही रहता है। लेकिन ये आंकड़े सुर्खियों में बने हुए हैं और इससे पता चलता है कि रियल एस्टेट बाजार ने अपनी खोई चमक फिर से हासिल की है।
इसके अलावा गौर करने वाली बात यह भी है कि इन सात शहरों में उस अवधि के दौरान मकानों की कीमतों में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। अगर यह मजबूत मांग के संकेत भी देता है तब इस पर ध्यान देना जरूरी है कि जुलाई-सितंबर 2022 में 93,940 नई यूनिट की पेशकश की रफ्तार 24 प्रतिशत बढ़कर इस वर्ष इसी अवधि के दौरान 116,220 हो गई। एक अन्य महत्त्वपूर्ण डेटा से अंदाजा मिलता है कि ‘किफायती’ और ‘लक्जरी’ दोनों ही वर्गों में काफी अच्छी बिक्री देखी गई है।
नाइट फ्रैंक की हाल में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई से सितंबर तिमाही के दौरान भारत में पहली बार लक्जरी मकानों (1 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाली) की बिक्री किफायती मकानों (50 लाख रुपये से कम कीमत वाली) से अधिक हो गई है जो बड़ी रकम वाले बड़े सौदों का संकेत देती है।
इसको लेकर ऐसे किस्से भी हैं कि एनसीआर में एक बड़े डेवलपर ने कुछ महीने पहले एक महंगी सोसाइटी में सभी फ्लैटों की बिक्री केवल तीन दिनों में कर दी। अनुमान बताते हैं कि भारत के कुछ बड़े शहरों में दो से तीन वर्षों में संपत्ति की कीमतों में तीन गुना वृद्धि हो सकती है। कहा जा रहा है कि पिछले कुछ वर्षों में खरीदारों के मुकाबले निवेशकों की वापसी हो रही है क्योंकि रियल एस्टेट के प्रतिफल में तेजी आई है। रियल एस्टेट क्षेत्र के एक अंदरूनी सूत्र का कहना है कि मौजूदा प्रतिफल की आस में खिलाड़ियों को यह भी डर है कि वे कहीं पीछे न रह जाएं।
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हालांकि, सकारात्मक रुझानों के उत्साह के बीच अक्सर चिंताजनक डेटा दरकिनार हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर मकानों की मौजूदा इन्वेंट्री में सालाना स्तर पर केवल 3 प्रतिशत की कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई से सितंबर 2022 में इन्वेंट्री स्तर 630,000 पर था जो अब 610,000 के स्तर पर है। संपत्ति बाजार के विश्लेषकों को ज्यादा बिक्री और अधिक इन्वेंट्री के बीच कोई बेमेलपन नहीं दिखता है। इन्वेंट्री कम नहीं हो रही है क्योंकि अधिकांश प्रॉपर्टी या मकान अभी तक तैयार नहीं हैं या उनकी डिलिवरी ग्राहकों को नहीं दी गई है।
इस समस्या के तार इस क्षेत्र के दिवालियेपन और मुकदमेबाजी के अधिक मामलों से जुड़े हुए हैं। इस तरह की पृष्ठभूमि में, बड़े पैमाने पर रियल एस्टेट की नई यूनिट के लॉन्च को किस तरह देखा जाए? जैसा कि कंसल्टिंग कंपनियां बता रही हैं कि नए लॉन्च ज्यादातर बड़े बिल्डरों के हैं और ऐसे में खरीदार उन पर अपना भरोसा कर रहे हैं क्योंकि उन्हें इसको लेकर चिंता नहीं हो सकती है। जब बड़े पैमाने पर रियल एस्टेट परियोजनाएं लॉन्च होंगी तब बड़े, मध्यम स्तर और छोटे बिल्डर भी खेल में शामिल हो सकते हैं। अभी तक इसकी कोई विस्तृत सूची नहीं है कि किसने कहां और क्या लॉन्च किया है।
पिछले कुछ वर्षों में, हमने चूक के कई घटनाक्रम देखे हैं जिससे मकान खरीदार का सौदा अधूरा रह जाता है। रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम जैसे नियामकीय बदलावों के चलते संपत्ति बाजार में कुछ पारदर्शिता और जवाबदेही आई है लेकिन ब्रोकर और विश्लेषकों ने स्वीकार किया कि अब भी इस तंत्र में सेंध लगाने के कई तरीके मौजूद हैं।
इस पृष्ठभूमि में मकान की बिक्री, कीमतों या नए लॉन्च से जुड़े बड़े आंकड़ों को सही संदर्भ में देखा जाना चाहिए। इससे यह बात सुनिश्चित होती है कि बेईमान बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई भी संभव है और अब मकान खरीदारों को हल्के में नहीं लिया जाता है, खासकर त्योहारों और चुनावों से पहले क्योंकि उनके चलते रियल एस्टेट गतिविधि प्रभावित होती है।