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बैलेंस शीट से आगे: अब बैंकों के लिए ग्राहक सेवा बनी असली कसौटी

सक्षम निगरानी से बैंकिंग एवं बीमा संस्थानों में उत्पीड़न, खराब सेवाएं और मनमाना व्यवहार जैसी समस्याएं दूर की जा सकती हैं

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तमाल बंद्योपाध्याय   
Last Updated- October 09, 2025 | 11:07 PM IST

कई बार पेंशन या अन्य सेवाओं के लिए लोगों को बैंकों के चक्कर काटने पड़ते हैं और बाद में ऊपरी स्तर से हस्तक्षेप के बाद ही ऐसे मामलों का समाधान हो पाता है। ऐसे कई तथ्य और इनसे जुड़े आंकड़े हैं जो बैंकों और बीमा कंपनियों के बहीखाते में नजर नहीं आते हैं। इनके प्रभाव काफी व्यापक होते हैं जो लोगों के मन में इन संस्थानों की विश्वसनीयता के बारे में असर डाल सकते हैं। सक्षम निगरानी से बैंकिंग एवं बीमा संस्थानों में उत्पीड़न, खराब सेवाएं और मनमाना व्यवहार जैसी समस्याएं दूर की जा सकती हैं। दूसरी तरफ, उदासीनता और सहानुभूति का अभाव अविश्वास पैदा कर सकते हैं जिससे उपभोक्ता अंततः इनसे दूर जाने लगते हैं।

इस संदर्भ में प्रशासनिक सुधार एवं जन शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) की भूमिका पर चर्चा की जा सकती है। यह सेवा संबंधी शिकायतों का समाधान करने की क्षमता के आधार पर मंत्रालयों का पदानुक्रम (रैंकिंग) तय करता है। सितंबर में जारी डीएआरपीजी की नवीनतम रिपोर्ट (अगस्त के आंकड़ों पर आधारित) में कहा गया है कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड करीब 500 पंजीकृत शिकायतों के साथ 42 मंत्रालयों- विभागों में रैंकिंग में पहले पायदान पर रहा।

इसके बाद दूरसंचार विभाग, डाक विभाग, भू-संसाधन विभाग और विद्युत मंत्रालय का नंबर आया। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) का बीमा प्रभाग 12वें पायदान पर और इसका बैंकिंग प्रभाग 14वें स्थान पर है। डीएआरपीजी मंत्रालयों एवं विभागों को दो श्रेणियों समूह ‘ए’ और समूह ‘बी’ में विभाजित करता है। पहले समूह में 500 या इससे अधिक शिकायतों वाले विभाग और दूसरे समूह में 500 से कम शिकायतों वाले विभाग आते हैं।

इसकी नवीनतम रिपोर्ट की दूसरी श्रेणी में 48 मंत्रालय-विभाग शामिल हैं। डीएफएस का पेंशन सुधार विभाग इस सूची में शीर्ष पर है जबकि इसके बाद आयुष मंत्रालय, संसदीय कार्य मंत्रालय, निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग और नीति आयोग आते हैं। डीएआरपीजी प्रशासनिक सुधार एवं लोगों की शिकायतें दूर करने के लिए जवाबदेह है, खासकर, वे जो केंद्र सरकार की एजेंसियों से संबंधित हैं। कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के तहत काम करने वाला डीएआरपीजी केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) के काम-काज पर नजर रखता है।

इसने संबंधित मंत्रालयों की निगरानी में आने वाली इकाइयों की रैंकिंग तय करने के लिए शिकायत निवारण एवं आकलन सूचकांक (जीआरएआई) तैयार किया है। यह सूचकांक कार्य कुशलता, प्रतिक्रिया, विशिष्ट ज्ञान एवं संगठनात्मक प्रतिबद्धता आदि मोर्चों पर स्कोर तय करने के लिए सीपीजीआरएएमएस डेटा का इस्तेमाल करता है। इसकी शुरुआत डीएआरपीजी ने जून 2007 में की थी और यह पोर्टल सभी केंद्र एवं राज्य सरकार के मंत्रालयों से जुड़ा हुआ है। इसका मोबाइल ऐप्लिकेशन भी उपलब्ध है जिसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है और यूनिफाइड मोबाइल ऐप्लिकेशन फॉर न्यू-एज गवर्नेंस (उमंग) से जुड़े मोबाइल ऐप के जरिये भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग ने भारत में मोबाइल आधारित शासन व्यवस्था बढ़ाने के लिए ‘उमंग’ का विकास किया है। उमंग के जरिये देश के सभी नागरिक पूरे देश में ई-सरकारी सेवाएं (केंद्र से लेकर स्थानीय सरकारी निकायों तक) ले सकते हैं। शिकायतों की स्थिति का पता एक विशिष्ट पंजीयन आईडी द्वारा लगाया जा सकता है, जो शिकायत दर्ज करने के समय प्राप्त होता है। अगर कोई शिकायतकर्ता समाधान से संतुष्ट नहीं है तो वह अपील कर सकता है।

मंत्रालयों की रैंकिंग इस बात से तय होती है वे समस्याओं का समाधान किस तरह करते हैं। वित्तीय क्षेत्र के लिए ग्राहकों के लिए अच्छी बात यह है कि डीएफएस द्वारा शिकायतों के निवारण में निरंतर सुधार दिख रहा है। इसका बैंकिंग प्रभाग भी अपने रैंक में तेजी से सुधार कर रहा है और अप्रैल में 24वें स्थान से सुधर कर यह अगस्त में 14वें स्थान पर पहुंच गया। इसी अवधि के दौरान बीमा प्रभाग की रैंकिंग भी 30वें स्थान से सुधर कर 12वें स्थान पर पहुंच गई। इसके पेंशन सुधार प्रभाग का प्रदर्शन शानदार रहा है जो अप्रैल में 14वें स्थान से अगस्त में शीर्ष स्थान पर पहुंच गया।

अगस्त 2025 में डीएफएस ने 74.38 फीसदी शिकायतों का निपटारा किया और कुल 60.22 फीसदी अपीलों की भी सुनवाई की। बैंकिंग सेवाओं से जुड़ी 22,013 शिकायतें थीं जिनमें से 16,985 का निपटारा गया है। हमें यह अवश्य याद रखना चाहिए कि सैद्धांतिक रूप में डीएफएस अधिकतम संख्या में शिकायतें दर्ज होने की चुनौती की सामना कर रही है। विश्व बैंक की ग्लोबल फिनडेक्स 2025 के अनुसार भारत में 89 फीसदी वयस्क लोगों के पास वित्तीय खाते हैं। सितंबर 2025 तक प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत कम से कम 56.6 करोड़ लोगों के पास बैंक खाते हैं। वित्तीय खंड में शिकायतों का निपटारा करना आसान नहीं है क्योंकि ये बैंक शाखाओं के देर से खुलने से लेकर कंपनी ऋण से जुड़े पेचीदा मामलों, प्रोसेसिंग फीस और आवास ऋण सहित कई बातों से संबंधित होते हैं।

एक ध्यान देने योग्य बात यह है कि 155 ​शिकायतों को छोड़कर डीएफएस ने सारी शिकायतों का निपटारा खुद तय 21 दिनों की निर्धारित समयसीमा के भीतर किया है। समयसीमा जीआरएआई का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि इससे यह पता चलता है कि उपभोक्ता कितने समय तक समाधान पाने के लिए धैर्य रख सकते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में केवल 24 शिकायतों के निपटारे में निर्धारित 21 दिन से अधिक समय लग गया। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और निजी बैंकों के मामले में 89 शिकायतों के निपटारे में 21 दिनों से अधिक समय लग गया। डीएआरपीजी ने अपील के निष्पादन के लिए 30 दिनों की समयसीमा तय की है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने सभी अपीलों का निपटारा 30 दिनों के भीतर कर दिया था जबकि एनबीएफसी एवं निजी बैंकों के पास आईं 20 अपीलों का निपटारा निर्धारित समयसीमा के भीतर नहीं हो पाया।

विभिन्न मंत्रालयों के लिए जीआरएआई सूचकांक के मानदंड अलग-अलग हैं। डीएफएस के लिए यह चार मानदंडों पर आधारित है। इनमें कार्य दक्षता 45 फीसदी भारांश रखता है और इसका निर्धारण 21 दिनों के भीतर समाधान, समाधान में लगने वाले औसत समय और विचाराधीन मामलों के आधार पर होता है। प्रतिक्रिया (फीडबैंक) को 30 फीसदी योगदान मिलता है जो संतोषजनक टिप्पणियों, दायर अपील की संख्या पर आधारित है। संबंधित क्षेत्र की विशिष्ट जानकारी को 15 फीसदी भारांश दिया जाता है जिसके लिए अति आवश्यक शिकायतों का अनुपात और वर्गीकरण की पर्याप्तता को आधार बनाया जाता है।

संगठनात्मक प्रतिबद्धता को 10 फीसदी भारांश मिलता है जिसका निर्धारण कर्मचारी आवंटन बनाम प्राप्त शिकायतों के आधार पर होता है। डीएफएस ने हाल में इसे बैंकिंग एवं बीमा इकाइयों के लिए समायोजित किया है जिसके अंतर्गत विशिष्ट क्षेत्र के ज्ञान से जुड़ा मानदंड हटा दिया है और 55 फीसदी भारांश कार्य दक्षता, 35 फीसदी प्रतिक्रिया और 10 फीसदी संगठनात्मक प्रतिबद्धता को दिया गया है।

मासिक रैंकिंग से बैंकों और बीमा कंपनियों के बीच ग्राहक सहायता (कस्टमर केयर) के मोर्चे पर प्रतिस्पर्द्धा काफी बढ़ गई है। सीपीजीआरएएम पोर्टल को बैंकों एवं बीमा कंपनियों के ग्राहक सेवा प्लेटफॉर्म से जोड़कर बेशक समयसीमा अवधि और घटाई जा सकती है। इससे सीपीजीआरएएम पर सौंपी शिकायतें वास्तविक समय में अलग-अलग इकाइयों तक सीधे पहुंचने में मदद मिलेगी। इसी दौरान, प्रणाली को वाजिब शिकायतों की पहचान कर उन्हें अक्सर इरादतन भेजी जाने वाली शिकायतों के बीच अंतर करने के लिए तैयार किया जाना चाहिए। इससे भारतीय वित्तीय प्रणाली को वास्तविक मुद्दों पर ध्यान अधिक केंद्रित करने, उनके त्वरित निपटारे और ग्राहकों (जिनके लिए वे अस्तित्व में आए हैं) को आश्वस्त करने में मदद मिलेगी।


(लेखक जन स्मॉल फाइनैंस बैंक लिमिटेड में वरिष्ठ सलाहकार हैं)

First Published : October 9, 2025 | 10:46 PM IST