Categories: लेख

पारदर्शिता बरतें बैंक

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 11:02 PM IST

प्राइवेट सेक्टर के 2 बैंकों ने जनवरी से मार्च की तिमाही के नतीजों का ऐलान किया है। यस और एक्सिस नामक दोनों बैंकों ने अपने मुनाफे और कारोबार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की बात कही है।


हालांकि इस तिमाही के दौरान ‘मार्क टू मार्केट’ नुकसान और विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव सौदों के लिए प्रावधान करने के मामले में दोनों बैंकों के आंकड़ा अलग-अलग हैं। यस बैंक ने डेरिवेटिव सौदों के मद्देनजर कोई खास प्रावधान नहीं किया है।


बैंक ने चेयरमैन राणा कपूर ने तो यहां तक कहा है कि बैंक के पास डेरेवेटिव संबंधी कोई जोखिम नहीं है, जो काफी हैरान करने वाला है। हालांकि कपूर की बातों को हम झूठ तो नहीं करार दे सकते। जहां तक एक्सिस बैंक की बात है, इसने अपने शेयर होल्डरों और आम लोगों के लिए अपना तमाम लेखा-जोखा पेश किया है और इसके लिए तारीफ का हकदार है।


बैंक ने डेरिवेटिव सौदों के लिए प्रावधान की गई राशि का भी जिक्र किया है। बैंक द्वारा मुहैया कराई गई जानकारी के मुताबिक, 2 ग्राहकों के साथ किए गए 6 सौदों में बैंक को 72 करोड़ रुपये का चूना लगा है। इसके अलावा ‘मार्क टू मार्केट’ आधार पर 188 सौदों में कुल 674 करोड़ रुपये के नुकसान की बात भी कही गई है।


कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि एक्सिस बैंक ने अपने बारे में जारी अनिश्चितता पर विराम लगाने की कोशिश की है। इसके अलावा शेयर होल्डरों और संभावित निवेशकों को बैंक की आर्थिक सेहत से रूबरू कराने का भी काम किया गया है। हालांकि इस बैंक ने पिछले कुछ वर्षों में नई पूंजी इकट्ठा की है और इस वजह से इसकी बैलेंसशीट काफी मजबूत है।


उम्मीद की जानी चाहिए कि आगामी दिनों में अपने नतीजे घोषित करते वक्त अन्य बैंक भी एक्सिस बैंक जैसी साफगोई बरतेंगे। उल्लेखनीय है कि  इस मसले पर बैंकों और ग्राहकों के बीच विवाद के कुछ मामले सामने आ चुके हैं।  इनमें आईसीआईसीआई और कोटक महिंद्रा बैंक से जुड़ा मामला शामिल है। आईसीआईसीआई बैंक ने हाल में खुलासा किया है कि विदेशी क्रेडिट डेरिवेटिव बाजार में उसे तकरीबन 1,050 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है।


साथ ही इस खेल में कौन-कौन से दूसरे बैंक शामिल हैं, इस पर भी अटकलबाजियों का बाजार गर्म है। एक ओर जहां रिजर्व बैंक के गर्वनर का मानना है कि यह मसला ज्यादा खतरनाक नहीं है, वहीं दूसरी ओर विदेशी मुद्रा सलाहकारों का अनुमान है कि इसमें 20 हजार करोड़ रुपये फंसे हैं। हालांकि इस बाबत हुए खुलासों से इतनी भारी राशि के बारे में पता नहीं चलता है और इसके मद्देनजर कई सवाल पैदा होते हैं।


डेरिवेटिव्स सौदों के तहत बैंकों द्वारा गंवाई गई राशि के बारे में जारी अनिश्चितता तभी खत्म हो सकती है, जब सभी बैंक एक्सिस की तर्ज पर अपने सौदों के बारे में बताने में हिचकिचाहट नहीं दिखाएं। मुमकिन है कि विदेशी मुद्रा सलाहकारों द्वारा अनुमानित राशि से कम हो, जो राहत की बात होगी। लेकिन इसके बारे में तब तक किसी को पता नहीं चलेगा, जब तक बैंक खुद से नहीं बताएंगे।

First Published : April 22, 2008 | 11:27 PM IST