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काफी कुछ दांव पर

Published by
टी एन नाइनन
Last Updated- February 04, 2023 | 12:14 AM IST

सवाल यह है कि बड़े पतन के बाद क्या होता है? अगर अदाणी समूह की कंपनियों के बाजार मूल्य में 120 अरब डॉलर से भी अधिक की गिरावट आई है (इस नुकसान का दो तिहाई से अधिक अकेले गौतम अदाणी को हुआ है) तो तथ्य यह भी है कि समूह का मूल्यांकन अभी भी 100 अरब डॉलर से अधिक है।

इस राशि में अदाणी का निजी मूल्यांकन कम से कम दो तिहाई है। ये आंकड़े लगभग हैं क्योंकि परिदृश्य तेजी से बदल रहा है और विभिन्न समायोजन को शामिल कर पाना मुश्किल होगा लेकिन अगर अदाणी संपत्ति के मामले में दुनिया के शीर्ष दो-तीन कारोबारियों या शीर्ष 20 में भी शामिल नहीं हैं तो भी वह बहुत अमीर हैं और उनके समूह का आकार अभी भी बहुत बड़ा है।

सवाल यह है कि अब आगे क्या? हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा था कि समूह 85 फीसदी तक अधिमूल्यित था। चूंकि अनुमान 10 दिन पहले जारी किए गए थे इसलिए शेयर कीमतों में औसतन 60 फीसदी तक की कमी आई है। लेकिन इसके बावजूद समूह की कंपनियों का मूल्यांकन काफी अधिक है। उदाहरण के लिए अदाणी पावर का मूल्यांकन उसकी बुक वैल्यू का 14 गुना है।

अदाणी ट्रांसमिशन का भी यही हाल है जबकि अदाणी ग्रीन एजर्नी का मूल्यांकन उसकी बुक वैल्यू का 56 गुना है। हाल ही में अधिग्रहीत अंबुजा सीमेंट की बुक वैल्यू जरूर अपेक्षाकृत सामान्य है। उसका मूल्य और बुक अनुपात 2.1 का है। सामान्य मूल्यांकन के मानकों के मुताबिक देखें तो अदाणी के कई शेयर अभी गिरावट से काफी दूर हैं।

कंपनियां बाजार पूंजीकरण के आधार पर बनती या बिखरती नहीं हैं हालांकि वे इसका लाभ नई पूंजी जुटाने में कर सकती हैं। परंतु पूंजी को चुकता करना होता है और इसके लिए आपको मुनाफे और नकदी की जरूरत होती है। गत मार्च में अदाणी समूह की सात मूलभूत सूचीबद्ध कंपनियों का कर पूर्व लाभ 17,000 करोड़ रुपये था जो एनटीपीसी से बहुत अलग नहीं था।

समूह का विदेशी कर्ज अब बाजार में बेहद सस्ते स्तर पर है और क्रेडिट रेटिंग्स में भी कमी आ सकती है। यानी कोई भी नया बॉन्ड महंगा होगा। नया बैंक ऋण भी आसानी से नहीं मिलेगा। अदाणी एंटरप्राइजेज के मामले के बाद शेयर बाजार भी किसी नए शेयर की पेशकश को आसानी से नहीं लेगा।

संक्षेप में कहें तो समूह का ध्यान अनिवार्य रूप से इस बात पर केंद्रित रहेगा कि कैसे कर्ज की मौजूदा देनदारियों का निर्वहन किया जाए ताकि वित्तीय विश्वसनीयता बरकरार रहे। नई महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिए धन जुटाना तब तक रुक सकता है जब तक कि वित्तीय स्थिरता कायम नहीं हो जाती।

सीमित नकदी प्रवाह के साथ और बाजार पूंजीकरण आधे से अधिक घट जाने के बाद अदाणी समूह को भी सोच समझकर कदम उठाने होंगे। मुकेश अंबानी से तुलना की जाए तो फिलहाल वह अदाणी से अधिक धनी हैं। परंतु दोनों में अंतर यह है कि अंबानी अपना कर्ज निपटा चुके हैं इसलिए उनके पास निवेश करने के लिए नकदी उपलब्ध है। इसलिए अदाणी द्वारा ग्रीन हाइड्रोजन का सबसे बड़ा उत्पादक और सबसे बड़ा बिजली उत्पादक बनने, सौर ऊर्जा, रक्षा और सेमीकंडक्टर आदि के क्षेत्र में बड़ी परियोजनाओं के आगमन को लेकर शायद उनके बारे में कम ही सुनने को मिले।

बंदरगाहों, हवाई अड्डों और अन्य कारोबारों के विस्तार की तो बात ही अलग है। धीमी वृद्धि की बात करें तो इसका असर वर्तमान और गिरावट के बाद के बाजार मूल्यांकन पर पड़ने का जोखिम होता है। एक चतुर कारोबारी एक साथ कई कारोबारों के जरिये सकारात्मक वृद्धि भी हासिल कर सकता है लेकिन बाधाओं के चलते विकल्प सीमित होने की स्थिति में वह नकारात्मक स्थितियों में भी फंस सकता है।

गत सप्ताह इस स्तंभ में कहा गया था कि अदाणी को जूझना होगा। यह जीवन और मृत्यु की लड़ाई नहीं है इसलिए यह गौतम अदाणी का अंत तो कतई नहीं है। अभी भी वह देश के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं और उनका समूह सबसे बड़े कारोबारी समूहों में से एक है। लेकिन शुरुआती बहादुरी के बाद यकीनन अदाणी ने अपनी स्थिति का आकलन किया होगा। उसी साहस के बूते उन्होंने कहा था कि न तो वह अपनी सार्वजनिक पेशकश को आगे बढ़ाएंगे और न ही कीमत कम करेंगे। और गंभीरता से बात करें तो उन लोगों, जिन्होंने अदाणी की परियोजनाओं में धन लगाया था और सरकार की विनिर्माण एवं अधोसंरचना संबंधी महत्त्वाकांक्षाओं पर इस लड़ाई का असर हो सकता था ।

First Published : February 3, 2023 | 10:57 PM IST