पेंशन कोष विकास और नियामक प्राधिकरण (PFRDA) के नए चेयरमैन दीपक मोहंती ने इंदिवजल धस्माना को बताया कि ‘सिस्टमैटिक विदड्राअल प्लान’ शीघ्र ही लागू किया जाएगा। इसे हालिया कानून में स्वीकृति भी मिल चुकी है। यदि कानून में बदलाव किए जाता है तो ऐसी स्थिति में ही पूरी तरह सिस्टमैटिक विदड्राअल प्लान लागू किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि निर्धारित समय में न्यूनतम सुनिश्चित प्रतिफल योजना (मिनिमम एश्योर्ड रिटर्न स्कीम – मार्स) को अधिसूचित किया जाएगा।
संपादित अंश:
पीएफआरडीए की मंशा न्यूनतम सुनिश्चित प्रतिफल योजना (मार्स) पेश करने की है और इस वित्तीय वर्ष में उत्पाद पेश किए जाने की उम्मीद है। क्या स्थिति है?
प्रस्ताव पर बीते कुछ समय से कार्य जारी है। हमने व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श किया है। हमने परामर्श देने वाली समिति का गठन किया है और मार्स को डिजाइन करने के लिए सलाहकार नियुक्त किया है। यह प्रस्ताव स्तर से आगे बढ़ गया है। अब मुद्दा यह है कि हमें निवेशकों के लिए आकर्षक उत्पाद पेश करना है। इसी के साथ हमें जोखिमों के लिए संतुलन स्थापित करना है। एक बार गारंटी मिल जाती है तो लागत बढ़ जाएगी। हमें पूंजी के बारे में भी सोचने की जरूरत है। हम कई मुद्दों पर विचार – विमर्श कर रहे हैं। इसके तहत कई नई सोच पेश की गई हैं। उम्मीद है कि हम निश्चित समय में मार्स पेश कर पाएंगे।
निवेशकों के लिए खास विशेषताएं जैसे ब्याज की दर, न्यूनतम पूंजी की जरूरत, लॉक इन पीरियड क्या होंगी?
एक विशेषता यह होगी कि निवेशकों के धन को कुछ रिटर्न की गांरटी दी जाएगी। हमें देखना है कि यदि स्थिति में सुधार होता है और यदि स्थित खराब होती है तो हम कैसे स्थिति को संभालते हैं। हमें इस पर काम करना होगा।
क्या आपको लगता है कि मार्स कुछ राज्यों की नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) से अलग होने और पुराने पेंशन सिस्टम (ओपीएस) को स्वीकारने के रुझान को रोक पाएगा?
एनपीएस के तहत मार्स अतिरिक्त उत्पाद/ सुविधा है। यदि राज्य नए गारंटी वाले उत्पाद को अपनाना चाहते हैं तो उसे अपना सकते हैं। अभी तक की स्थितियों में राज्य सरकारों की अलग योजनाएं हैं और केंद्र सरकार की अलग योजनाएं हैं। हालांकि निवेश का निर्धारित पैटर्न है। हमें देखना है कि वे कैसे इस उत्पाद को स्वीकारते हैं।
e ने घोषणा की थी कि एनुअटी आधारित रिटर्न के विकल्पों के तौर पर सिस्टमैटिक विदड्राअल प्लान पेश करेगा। क्या प्रगति हुई?
इरडा के तहत बीमा कंपनियों की एनुअटी आती है। हम पीएफआरडीए के नियमों व कानून के अनुरूप मुहैया करवाएंगे। कानून कहता है कि कोष के 40 फीसदी तक का निवेश एनुअटी में किया जा सकता है। इस सीमा के तहत सुविधाएं मुहैया करवाने की योजना बना रहे हैं। इसका मतलब यह है कि कोई अपने कोष के 60 फीसदी के लिए सिस्टमैटिक विदड्राअल प्लान के विकल्प का उपयोग कर सकता है। इसके तहत पीएफआरडीए का बोर्ड अतिरिक्त विकल्प मुहैया करवा सकता है। सीआरए (सेंट्रल रिकार्ड कीपिंग एजेंसी) और अन्य मध्यवर्ती संस्थाएं अपने-अपने सिस्टम में बदलाव कर रही हैं। शीघ्र लागू होगा। पूरे सिस्टमैटिक विदड्राअल के लिए कानून में बदलाव किए जाने की जरूरत होगी।
इस वित्त वर्ष में पीएफआरडीए की विभिन्न एसेट अंडर मैनेजमेंट की विभिन्न योजनाओं के प्रति आपका क्या नजरिया है?
अभी हम नौ लाख करोड़ एयूएम को पार कर चुके हैं। हम अगली तिमाही तक 10 लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएंगे।