हाल के वर्षों में कई कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है। बड़ी टेक कंपनियों, स्टार्टअप समेत कई कंपनियों ने बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी की है। आमतौर पर छंटनी के शिकार कर्मचारी ग्रैच्युटी, अर्जित अवकाश भत्ते का भुगतान और भविष्य निधि की राशि के साथ नौकरी से निकाले जाने के एवज में दी जाने वाली राशि Severance Pay प्राप्त करते हैं।
वर्तमान में कर विशेषज्ञों के बीच इस बात पर एकमत नहीं है कि क्या Severance Pay कर योग्य है या नहीं। वेद जैन ऐंड एसोसिएट्स के साझेदार अंकित जैन ने बताया कि Severance Pay के कर योग्य होने पर विवाद बना हुआ है। इस मामले पर कर विभाग और न्यायालयों का अलग-अगल नजरिया है।’
विशेषज्ञों के एक समूह का मानना है कि Severance Pay कर योग्य है। आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी के साझेदार मनीत पाल के मुताबिक, ‘नियोक्ता से कर्मचारी आयकर अधिनियम की धारा 17 (3) (i) के तहत कर योग्य ‘वेतन’ मद के अंतर्गत Severance Pay की राशि प्राप्त करता है।’ ऐसे में नियोक्ता अवश्य स्रोत पर कर कटौती करेगा। लूथरा ऐंड लूथरा लॉ ऑफिसेज इंडिया के साझेदार सुमित मंगल ने कहा, ‘वेतन की तरह Severance Pay कर योग्य है। ऐसे में नियोक्ता को कर्मचारी का भुगतान करने से पहले कर की संबंधित राशि काटनी होती है।’
नजरिया 2 : यह करयोग्य नहीं है
एक समूह का मानना है कि दो कारणों से Severance Pay कर योग्य नहीं हैं। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सोलिसिटर्स के काउंसल जयश्री परिहार के मुताबिक, ‘Severance Pay कर योग्य नहीं है। इसे वैकल्पिक भुगतान माना जाता है और यह एक पूंजीगत प्राप्ति है। न कि राजस्व प्राप्ति।’ इन विशेषज्ञों के मुताबिक Severance Pay का भुगतान करने की अनिवार्यता नहीं होती है। ऐसे में आयकर की धारा 17(3)(i) के अंतर्गत मुआवजा नहीं माना जा सकता है।
उनके अनुसार यह भुगतान पूंजीगत प्राप्ति है इसलिए यह कर योग्य नहीं है। पहले हुए कई विवादों में कर अधिकारी यह तर्क दे चुके हैं कि यह ‘वेतन के बदले लाभ’ है। इसलिए ‘Severance Pay कर योग्य है। जैन ने कहा, ‘गुजरात उच्च न्यायालय और मुंबई कर न्याधिकरण ने माना है कि Severance Pay का भुगतान वैकल्पिक है। यह रोजगार की शर्तों का हिस्सा नहीं है। यह पूंजीगत प्राप्ति है जिस पर कर नहीं लगाया जा सकता है।’
इस पर कोई विवाद नहीं है कि नियोक्ता के अलावा कोई भी Severance Pay (या सेवा निरस्त करने पर दिया जाने वाला मुआवजा) का भुगतान किसी भी व्यक्ति को नहीं करता है। यह राशि आयकर अधिनियम की धारा 56(2) में ‘अन्य स्रोतो’ के तहत करयोग्य है। आयकर अधिनियम की धारा 10 (10 बी) और 10 (10 सी) के तहत भुगतान छूट प्राप्त है।
बजट 2018 में किए गए सुधारात्मक उपाय
सरकार ने 2018 के बजट और अन्य सिलसिलेवार अधिसूचनाओं से इस असमंजस की स्थिति को दुरुस्त करने का प्रयास किया है। सीएके के साझेदार पल्लव प्रद्युम्न नारंग के मुताबिक, ‘1 अप्रैल, 2019 से ऐसी आय पर कर लगाने के लिए धारा 56 में उपधारा (xi) को जोड़कर कानून को उपयुक्त रूप से संशोधित किया गया है।’ एएसएल पार्टनर्स के प्रबंधकीय साझेदार अभिनव शर्मा ने इस बदलाव के बाद ऐसे भुगतान पर लगने वाले कर के बारे में समझाया है। उन्होंने कहा, ‘सेवा निरस्त करने या इससे जुड़ी किसी भी शर्त या स्थिति में बदलाव के एवज में मिलने वाला कोई भी मुआवजा, चाहे राजस्व हो या पूंजी वह कर योग्य है।’
हालांकि विवाद जारी है…
अभी यह विवाद पूरी तरह सुलझा नहीं है। परिहार के मुताबिक अजय बी घोष बनाम डीसीआईटी-सीपीसी बेंगलूरु के 2021 के मामले में आयकर के अपीली प्राधिकरण ने कहा कि ‘सेवरन्स पे’ पूरी तरह वैकल्पिक है। इसे मुआवजा मानने के लिए यह जरूरी होगा कि ऐसे में भुगतान करना निहित दायित्व है। हालांकि नियोक्ता पर कोई व्यक्त या निहित दायित्व नहीं था। प्राधिकरण ने इस पर कराधान में छूट का फैसला सुनाया।
ऐसे में आप क्या करें?
यदि आपको Severance Pay मिली है तो अपने से यह तय नहीं करें कि इस पर कर अदा की जाए या नहीं। ऐसे में विशेषज्ञ की सलाह लें। यदि आप छूट का दावा करते हैं तो यह सुनिश्चित करे लें कि ऐसे भुगतान पर नियोक्ता की तरफ से कोई व्यक्त या निहित दायित्व नहीं हो। दस्तावेज में इसका स्पष्ट रूप उल्लेख हो कि यह स्वेच्छा से किया जा रहा भुगतान है।
जैन के अनुसार, ‘सर्वोच्च न्यायालय ने अभी तक कर छूट की पुष्टि नहीं की है, इसलिए कर्मचारी को अपील के दो स्तरों से पहले कोई राहत नहीं मिल पाएगी।’ उन्होंने सुझाव दिया कि कर छूट का दावा करने से पहले इसके फायदे व नुकसान को तौल लें।