RBI MPC MEET: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार, 6 अगस्त को मौजूदा परिस्थितियों पर गौर करते हुए प्रमुख नीतिगत दर रीपो रेट (Repo Rate) को 5.5% पर बरकरार रखने का फैसला किया। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि फरवरी 2025 से अब तक ब्याज दरों में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की जा चुकी है, जिसका असर धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था और क्रेडिट मार्केट पर दिख रहा है। रीपो रेट को जस का तस रखे जाने से बॉन्ड मार्केट में निराशा साफ देखी गई। एडलवाइस एएमसी ने निवेशकों को सलाह दी है कि वे संभावित भविष्य की रेट कट से होने वाले कैपिटल गेन का इंतजार करने के बजाय अब ‘अक्रूअल स्ट्रैटेजीज़’ (accrual strategies) पर ध्यान केंद्रित करें।
बॉन्ड मार्केट ने RBI द्वारा ब्याज दरों को यथावत रखने के फैसले पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दी। बाजार में यह धारणा थी कि अगस्त दरों में कटौती पर विचार करने के लिए उपयुक्त समय हो सकता था, क्योंकि महंगाई कम बनी हुई है और टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताओं के बीच भारत की आर्थिक वृद्धि दर पर संभावित नकारात्मक असर पड़ सकता है। हालांकि, RBI ने सतर्क रुख अपनाते हुए फिलहाल किसी भी अग्रिम नीतिगत कदम के बजाय वर्तमान आर्थिक स्थिति पर ही ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया।
एडलवाइस एएमसी ने बताया कि यह बैठक ज्यादातर नियमित रही और इसमें कोई बड़ा सरप्राइज नहीं था। हालांकि, बॉन्ड मार्केट की नकारात्मक प्रतिक्रिया ने यील्ड कर्व के लंबे सिरे पर बने दबाव को उजागर कर दिया है। 7% से ऊपर की यील्ड लगातार बनी हुई है, और पिछले तीन महीनों में लॉन्ग टर्म बॉन्ड्स ने कैश रिटर्न की तुलना में कमजोर प्रदर्शन किया है।
एसेट मैनेजर ने निवेशकों को सलाह दी है कि वे संभावित भविष्य की रेट कट से होने वाले कैपिटल गेन का इंतजार करने के बजाय अब ‘अक्रूअल स्ट्रैटेजीज़’ (accrual strategies) पर ध्यान केंद्रित करें। ऐसे पोर्टफोलियो की सिफारिश की गई है जिसमें 2 से 5 वर्षों की अवधि में मैच्योर होने वाले कॉरपोरेट बॉन्ड शामिल हों, ताकि बेहतर रिटर्न की संभावना के साथ-साथ मूल्य में उतार-चढ़ाव का जोखिम भी कम रहे।
एक अहम कदम उठाते हुए, केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई दर के अनुमान को जून में दिए गए 3.7% से घटाकर 3.1% कर दिया है। इसका मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी बताया गया है। हालांकि, RBI गवर्नर ने यह चेतावनी भी दी कि खाद्य कीमतों में अस्थिरता बनी हुई है और इस पर लगातार नजर बनाए रखने की जरूरत है।
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वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP वृद्धि दर का अनुमान 6.5% पर यथावत रखा गया है। केंद्रीय बैंक ने भरोसा जताया कि आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारक अब भी मजबूत बने हुए हैं। दिलचस्प बात यह है कि MPC के बयान में वैश्विक टैरिफ अनिश्चितताओं का कोई उल्लेख नहीं किया गया, जबकि निवेशकों के बीच इसे लेकर चिंता बनी हुई है।