ITR Filing 2023 : अगर आपको पिछले वित्त वर्ष यानी 2022-23 के दौरान सोने (gold) की बिक्री से नुकसान हुआ है तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर इस नुकसान को किसी और इनकम से सेट ऑफ यानी एडजस्ट कैसे किया जा सकता है। आज बात उन्हीं नियमों की करेंगे ताकि इस विषय में उन निवेशकों का कन्फ्यूजन दूर हो सके जो सोने की बिक्री से हुए नुकसान को किसी अन्य इनकम से सेट ऑफ कर टैक्स देनदारी से या तो बचना या इसे कम करना चाहते हैं।
सोना एक कैपिटल ऐसेट (capital asset) है इसलिए सोने की बिक्री से हुए नुकसान या लाभ को कैपिटल गेन से होने वाली इनकम की कैटेगरी में रखा गया है। लेकिन क्योंकि हम सोने के अलग-अलग फॉर्म में निवेश करते हैं इसलिए कैपिटल गेन के नियम भी अलग-अलग फॉर्म के लिए अलग अलग हैं। 1 अप्रैल 2023 से सोने को लेकर टैक्स नियमों में बदलाव भी किया गया है।
अगर किसी वित्त वर्ष के दौरान आपको गोल्ड में निवेश से नुकसान होता है तो आप उस वित्त वर्ष के दौरान अन्य कैपिटल ऐसेट, मसलन इक्विटी शेयर, म्युचुअल फंड, बॉन्ड… वगैरह से होने वाले कैपिटल गेन से उसको सेट ऑफ कर सकते हैं। किसी कैपिटल ऐसेट की बिक्री से होने वाले कैपिटल लॉस को सेट ऑफ कैपिटल गेन के अलावा किसी अन्य इनकम से नहीं किया जा सकता है। लेकिन शॉर्ट-टर्म कैपिटल लॉस और लॉन्ग-टर्म कैपिटल लॉस के सेट ऑफ को लेकर नियम अलग हैं।
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शॉर्ट-टर्म, लॉन्ग-टर्म लॉस को किस तरह के कैपिटल गेन से कर सकते हैं एडजस्ट
यदि गोल्ड में निवेश पर आपको शॉर्ट -टर्म कैपिटल लॉस (STCL) हुआ है तो आप उसको सेट ऑफ किसी अन्य लॉन्ग या शॉर्ट दोनों तरह के कैपिटल गेन से कर सकते हैं। लेकिन अगर लॉन्ग-टर्म कैपिटल लॉस (LTCL) है तो उसको सेट ऑफ सिर्फ किसी अन्य लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन से ही किया जा सकता है।
अब जानते हैं कि आखिर सोने के अलग -अलग फॉर्म, मसलन फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड और पेपर गोल्ड (गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड म्युचुअल फंड, सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड) को लेकर टैक्स के क्या नियम हैं और इनको बेचने से हुए नुकसान को हम सेट ऑफ कैसे कर सकते हैं।
फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड, सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड
फिजिकल गोल्ड (गहने, सिक्के, बिस्किट), डिजिटल गोल्ड, सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स नियमों में 1 अप्रैल 2023 के बाद कोई बदलाव नहीं किया गया है। मतलब इन सब की बिक्री पर इंडेक्सेशन (Indexation) के फायदे के साथ लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) का प्रावधान 1 अप्रैल 2023 के बाद भी पहले की तरह ही हैं।
फिजिकल गोल्ड (physical gold), डिजिटल गोल्ड (digital gold), सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड (sovereign gold bond) की बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन पर टैक्स होल्डिंग पीरियड (खरीदने के दिन से लेकर बेचने के दिन तक की अवधि) के आधार पर लगता है।
नियमों के अनुसार अगर आप फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड, सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के बाद 36 महीने पूरे होने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 36 महीने पूरे होने के बाद बेचते हैं तो कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होगा। इंडेक्सेशन ( Indexation) के तहत महंगाई के हिसाब से परचेज प्राइस को बढा दिया जाता है। जिससे कैपिटल गेन में कमी आती है और टैक्स देनदारी घटती है।
फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड, सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड की बिक्री से यदि आपको शार्ट-टर्म कैपिटल लॉस (STCL) हुआ है तो आप उसको सेट ऑफ किसी अन्य लॉन्ग या शॉर्ट दोनों तरह के कैपिटल गेन से कर सकते हैं। लेकिन अगर लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस (LTCL) है तो उसको सेट ऑफ सिर्फ किसी अन्य लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन से ही किया जा सकता है।
गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड म्युचुअल फंड
गोल्ड ईटीएफ (gold ETF) और गोल्ड म्युचुअल फंड (gold mutual fund) पर टैक्स डेट फंड (35 फीसदी से ज्यादा एक्सपोजर इक्विटी में नहीं) की तरह लगता है। मतलब अगर आप इन्हें बेचते हैं तो उससे होने वाली कमाई को आपकी कुल आय में जोड़ दिया जाएगा। जिस पर आपको अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स चुकाना होगा।
1 अप्रैल 2023 से पहले डेट फंड की तर्ज पर गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्युचुअल फंड पर भी इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस मिलाकर 20.8 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) का प्रावधान था, बशर्ते आप खरीदने के 36 महीने बाद बेचते हैं।
गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड म्युचुअल फंड की बिक्री से होने वाले नुकसान क्योंकि शॉर्ट-टर्म कैपिटल लॉस ही माने जाएंगे भले ही आपका होल्डिंग पीरियड कुछ भी हो। इसलिए इस शॉर्ट-टर्म कैपिटल लॉस को आप सेट ऑफ किसी अन्य लॉन्ग या शॉर्ट दोनों तरह के कैपिटल गेन से कर सकते हैं।
यदि सेट ऑफ के बाद भी नुकसान बच जाता है…
यदि किसी वित्त वर्ष में सेट-ऑफ के बाद भी नुकसान बच जाता है तो जिस वर्ष नुकसान हुआ है उसके अगले 8 वर्ष तक उस नुकसान को सेट ऑफ करने के लिए कैरी-फॉरवर्ड कर सकते हैं।
नुकसान को कैरी-फॉरवर्ड करने के लिए जरूरी है कि जिस वित्त वर्ष के दौरान आपको गोल्ड की बिक्री से नुकसान हुआ है, उस वित्त वर्ष के लिए आप इनकम टैक्स रिटर्न यानी आईटीआर तय समय सीमा के अंदर दाखिल कर दें और उसमें उस नुकसान का उल्लेख करें। आम तौर पर आईटीआर फाइल करने की समय सीमा 31 जुलाई होती है।