आपका पैसा

ITR Filing 2023: शेयर बाजार में हुए नुकसान को कर सकते हैं सेट ऑफ, जानिए कैसे

कैपिटल लॉस को सेट ऑफ कैपिटल गेन के अलावा किसी और तरह के इनकम से नहीं किया जा सकता है

Published by
अजीत कुमार   
Last Updated- July 17, 2023 | 2:12 PM IST

ITR Filing 2023: पिछले वित्त वर्ष यानी 2022-23 के दौरान इक्विटी मार्केट में निवेश से यदि आपको नुकसान हुआ है तो आपके लिए टैक्स से संबंधित उन नियमों को जानना आवश्यक है जिनके तहत नुकसान (लॉस) को उसी वित्त वर्ष के दौरान अन्य कैपिटल ऐसेट से होने वाले कैपिटल गेन से सेट ऑफ यानी एडजस्ट करने के प्रावधान किए गए हैं। आज ITR Filing 2023 में बात उन्हीं नियमों की :

क्या हैं नियम ?

इक्विटी शेयर या इक्विटी म्युचुअल फंड से होने वाली इनकम कैपिटल गेन से होने वाली इनकम (Income from capital gains) की कैटेगरी में आती है। अगर किसी वित्त वर्ष के दौरान आपको इक्विटी शेयर या इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश से नुकसान होता है तो आप उस वित्त वर्ष के दौरान अन्य कैपिटल ऐसेट मसलन गोल्ड, डेट फंड, हाउस प्रॉपर्टी , बॉन्ड … वगैरह से होने वाले कैपिटल गेन से उसको सेट ऑफ कर सकते हैं। लेकिन शॉर्ट-टर्म कैपिटल लॉस (STCL) और लॉन्ग-टर्म कैपिटल लॉस (LTCL) के सेट ऑफ को लेकर नियम अलग हैं।

शॉर्ट-टर्म, लॉन्ग-टर्म लॉस के सेट ऑफ को लेकर नियम

यदि इक्विटी शेयर या इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश पर आपको शॉर्ट-टर्म कैपिटल लॉस हुआ है तो आप उसको सेट ऑफ किसी अन्य लॉन्ग या शॉर्ट दोनों तरह के कैपिटल गेन से कर सकते हैं। लेकिन अगर लॉन्ग-टर्म कैपिटल लॉस है तो उसको सेट ऑफ सिर्फ किसी अन्य लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन से ही किया जा सकता है। याद रहे कैपिटल लॉस को सेट ऑफ कैपिटल गेन के अलावा किसी और तरह के इनकम से नहीं किया जा सकता है।

शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन की गणना

एक वर्ष से कम अवधि में अगर आप इक्विटी शेयर या इक्विटी म्युचुअल फंड बेचते/ रिडीम करते हैं तो इनकम शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको 15 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 15.6 फीसदी) शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।

Also Read : शेयर, म्युचुअल फंड और गोल्ड से हुई कमाई पर कैसे और कितना देना होता है टैक्‍स, जानिए छूट पाने के भी तरीके

लेकिन अगर आप एक वर्ष के बाद बेचते हैं तो इनकम लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको सालाना एक लाख रुपये से ज्यादा की इनकम पर 10 फीसदी (4 फीसदी सेस मिलाकर कुल 10.4 फीसदी) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। ध्यान रहे सालाना एक लाख से कम की इनकम पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स का प्रावधान नहीं है। ईएलएसएस (Equity Linked Saving Schemes या ELSS) और आर्बिट्राज फंड (arbitrage fund) भी इक्विटी फंड की कैटेगरी में आते हैं। अगर कोई बैलेंस्ड/ हाइब्रिड फंड भी कुल कॉर्पस का 65 फीसदी इक्विटी में निवेश करे तो टैक्स के हिसाब से इसे भी इक्विटी फंड ही माना जाता है।

यदि सेट ऑफ के बाद भी नुकसान बच जाता है…

यदि किसी वित्त वर्ष में सेट ऑफ के बाद भी नुकसान बच जाता है तो तो जिस वर्ष नुकसान हुआ है उसके अगले 8 वर्ष तक उस नुकसान को सेट ऑफ करने के लिए कैरी-फारवर्ड कर सकते हैं।

Also Read : NPS : नई और पुरानी दोनों व्यवस्था के तहत आप उठा सकते हैं टैक्स बेनिफिट

एक बात और नुकसान को कैरी-फारवर्ड करने के लिए जरूरी है कि आप उस वित्त वर्ष (जिस वित्त वर्ष के लिए आप इनकम टैक्स रिटर्न यानी आईटीआर दाखिल कर रहे हैं) तय समय सीमा के अंदर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें और उसमें उस नुकसान का उल्लेख करें।

यदि आपको शेयर की ट्रेडिंग से नुकसान हुआ है…

एक ही दिन में शेयर खरीद कर उसी दिन शाम तक बेच देने को इंट्रा-डे ट्रेडिंग कहा जाता है। इंट्रा-डे ट्रेडिंग से जो कमाई होती है उसे स्पेक्युलेटिव बिजनेस इनकम माना जाता है और यह बिजनेस या प्रोफेशन से होने वाले इनकम (Income from business or profession) की कैटेगरी में आती है। इस कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से लगता है।

वहीं यदि इंट्रा-डे ट्रेडिंग से आपको नुकसान हुआ है तो आप इस नुकसान को सिर्फ इसी तरह के बिजनेस से होने वाली इनकम से सेट ऑफ कर सकते हैं।

Also Read : प्रॉपर्टी से होने वाली कमाई पर भी आप बचा सकते हैं टैक्स, जानिए कैसे

यदि सेट ऑफ के बाद भी नुकसान बच जाता है तो जिस वर्ष नुकसान हुआ है उसके अगले 4 वर्षों के दौरान ठीक इसी तरह के स्पेक्युलेटिव बिजनेस से होने वाली इनकम से इस नुकसान को सेट ऑफ किया जा सकता है।

नुकसान को कैरी-फारवर्ड करने के लिए जरूरी है कि जिस वित्त वर्ष के दौरान आपको शेयर की इंट्रा-डे ट्रेडिंग से नुकसान हुआ है, उस वित्त वर्ष के लिए आप इनकम टैक्स रिटर्न यानी आईटीआर तय समय सीमा के अंदर दाखिल कर दें और उसमें उस नुकसान का उल्लेख करें। आम तौर पर आईटीआर फाइल करने की समय सीमा 31 जुलाई होती है।

यदि आपको फ्यूचर एंड ऑप्‍शन (F&O) ट्रेडिंग से नुकसान हुआ है…

फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) ट्रेडिंग से जो कमाई होती है उसे नॉन-स्पेक्युलेटिव बिजनेस इनकम माना जाता है और यह बिजनेस या प्रोफेशन से होने वाले इनकम (income from business or profession) की कैटेगरी में आती है। फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग से होने वाली कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से लगता है।

यदि फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग से आपको नुकसान हुआ है तो आप पहले इस नुकसान को बिजनेस या प्रोफेशन से होने वाले अन्य इनकम से सेट ऑफ कर सकते हैं। लेकिन इसके बाद भी अगर नुकसान बच जाता है तो आप इसे सैलरी से होने वाली इनकम को छोडकर अन्य तरह के इनकम मसलन हाउस प्रॉपर्टी, कैपिटल गेन या अन्य स्रोतों से होने वाली इनकम से सेट ऑफ कर सकते हैं।

यदि किसी वित्त वर्ष में सेट ऑफ के बाद भी नुकसान बच जाता है तो जिस वर्ष नुकसान हुआ है उसके अगले 8 वर्ष तक उस नुकसान को सेट ऑफ करने के लिए कैरी-फारवर्ड कर सकते हैं। लेकिन नुकसान को कैरी-फारवर्ड करने के लिए जरूरी है कि जिस वित्त वर्ष के दौरान आपको फ्यूचर एंड ऑप्‍शन (F&O) ट्रेडिंग से नुकसान हुआ है, उस वित्त वर्ष के लिए आप इनकम टैक्स रिटर्न यानी आईटीआर तय समय सीमा के अंदर दाखिल कर दें और उसमें उस नुकसान का उल्लेख करें।

First Published : July 17, 2023 | 1:53 PM IST