प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Freepik
ITR Filing: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करना हर टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि लोग सही फॉर्म चुनने में भ्रमित हो जाते हैं। खासकर ITR-1 (सहज) और ITR-4 (सुगम) फॉर्म को लेकर लोगों में काफी असमंजस देखने को मिलता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने AY 2025-26 (वित्त वर्ष 2024-25) के लिए इन दोनों फॉर्म्स को पहले ही नोटिफाई कर दिया है। इस साल दोनों फॉर्म्स में कुछ अहम बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों ने छोटे टैक्सपेयर्स, खासकर सैलरीड और छोटे बिजनेसमैन के लिए रिटर्न दाखिल करना आसान बना दिया है। आइए जानते हैं कि ये दोनों फॉर्म्स किनके लिए हैं और इनमें मूल अंतर क्या है।
इनकम टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं, “ITR-1 फॉर्म को ‘सहज’ के नाम से जाना जाता है और यह उन लोगों के लिए बनाया गया है जिनकी इनकम का स्रोत सीधा-सादा है। साथ ही यह फॉर्म उन व्यक्तियों के लिए है जिनकी सालाना इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है। इस फॉर्म का इस्तेमाल वे लोग भी कर सकते हैं जिनकी इनकम निम्नलिखित स्रोतों से आती है: वेतन या पेंशन, एक मकान की संपत्ति से इनकम (जिसमें पिछले साल के नुकसान को आगे बढ़ाने का मामला शामिल नहीं है) और अन्य स्रोतों से इनकम – जैसे सेविंग अकाउंट या FD से ब्याज, फैमिली पेंशन या डिविडेंड। इसके अलावा, अगर किसी की फार्मिंग इनकम 5,000 रुपये तक है, तो वे भी इस फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं।”
वे आगे कहते हैं, “हालांकि, कुछ लोग ITR-1 का इस्तेमाल नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति गैर-निवासी भारतीय (NRI) है, या उसकी कुल इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है और साथ ही उसकी इनकम का स्रोत लॉटरी, रेसिंग या जुआ आदि है, तो उसे ITR-1 की बजाय दूसरा फॉर्म चुनना होगा। इसी तरह, अगर कोई व्यक्ति किसी कंपनी में डायरेक्टर है, उसके पास एक से ज्यादा मकान जैसी संपत्तियां है, या उसने अनलिस्टेड इक्विटी शेयरों में निवेश किया है, तो भी वो ITR-1 फॉर्म नहीं भर सकते।”
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जैन कहते हैं, “ITR-4 को ‘सुगम’ भी कहा जाता है और यह उन लोगों के लिए है जो छोटे बिजनेस या प्रोफेशन से जुड़े हैं और प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम (presumptive taxation scheme) के तहत अपनी इनकम घोषित करना चाहते हैं। यह फॉर्म सामान्य व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) और पार्टनरशिप फर्म (LLP को छोड़कर) के लिए है, जिनकी कुल इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है। इस फॉर्म का उपयोग वे लोग कर सकते हैं जो इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 44AD, 44ADA, या 44AE के अंतर्गत अपनी इनकम की कैलकुलेट करते हैं। उदाहरण के लिए, छोटे दुकानदार, फ्रीलांसर, डॉक्टर, वकील या ट्रांसपोर्टर इस फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा, इस फॉर्म में एक मकान की संपत्ति से इनकम, ब्याज से होने वाली इनकम या फिर फैमिली पेंशन को भी शामिल किया जा सकता है, बशर्ते कुल इनकम 50 लाख रुपये से कम हो।”
वे आगे कहते हैं, “ITR-4 का उपयोग वे लोग नहीं कर सकते जो गैर-निवासी भारतीय हैं या जिनकी इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है और या फिर जिनके पास एक से ज्यादा मकान की संपत्ति है। साथ ही, अगर कोई व्यक्ति किसी कंपनी में डायरेक्टर है या उसकी फार्मिंग इनकम 5,000 रुपये से ज्यादा है, तो उसे ITR-4 की बजाय अन्य फॉर्म चुनना होगा।”
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस बार ITR-1 और ITR-4 में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब इन दोनों फॉर्म्स में 1.25 लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) को शामिल करने की सुविधा दी गई है, जो धारा 112A के तहत टैक्स से छूट प्राप्त हैं। इसका मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति को लिस्टेड इक्विटी शेयरों, इक्विटी म्यूचुअल फंड्स या बिजनेस ट्रस्ट से 1.25 लाख रुपये तक का कैपिटल गेन हुआ है, तो उसे अब ITR-2 या ITR-3 जैसे जटिल फॉर्म्स भरने की जरूरत नहीं होगी। यह बदलाव खासकर उन सैलरीड और छोटे निवेशकों के लिए फायदेमंद है जो शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में छोटा-मोटा निवेश करते हैं।
इसके लिए दोनों फॉर्म्स में एक नया कॉलम जोड़ा गया है, जिसका नाम है: ‘ऐसी इनकम जिस पर कोई टैक्स देय नहीं है: धारा 112A के तहत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन, जो इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आता’। इस सुविधा से उन टैक्सपेयर्स को रिटर्न दाखिल करने में आसानी होगी जिनके पास लिमिटेड कैपिटल गेन हैं और जो अन्य सभी शर्तों को पूरा करते हैं।
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अगर कोई टैक्सपेयर्स न्यूज टैक्स रिजीम से बाहर निकलकर ओल्ड टैक्स रिजीम चुनना चाहता है, तो उसे फॉर्म 10-IEA दाखिल करना होगा। यह फॉर्म रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख से पहले जमा करना जरूरी है। खासकर ITR-4 दाखिल करने वालों के लिए यह जरूरी है कि वे इस शर्त का पालन करें, अगर वे पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत छूट और कटौती का लाभ लेना चाहते हैं।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR-1 और ITR-4 सहित सभी सात ITR फॉर्म्स को नोटिफाई कर दिया है, लेकिन अभी तक ई-फाइलिंग पोर्टल पर इनके लिए अपडेटेड यूटिलिटीज उपलब्ध नहीं हैं। इसका कारण फरवरी 2025 में संसद में प्रस्तुत नए इनकम टैक्स बिल पर राजस्व विभाग का ध्यान केंद्रित होना बताया जा रहा है। इस वजह से टैक्सपेयर्स को रिटर्न दाखिल करने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है।
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जैन कहते हैं, “इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने से पहले टैक्सपेयर्स को अपनी इनकम के स्रोत और पात्रता के आधार पर सही फॉर्म चुनना चाहिए। ITR-1 उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिनकी इनकम का स्रोत सीमित और साधारण है, जैसे वेतनभोगी या पेंशनधारी। वहीं, ITR-4 उन लोगों के लिए है जो छोटे व्यवसाय या पेशे से जुड़े हैं और प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन का लाभ लेना चाहते हैं। दोनों ही फॉर्म्स में नए बदलावों ने छोटे निवेशकों और टैक्सपेयर्स के लिए प्रक्रिया को और सरल बना दिया है।”