प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
आजकल सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स पर अफवाहें तेजी से फैलती हैं। हाल ही में व्हाट्सएप पर एक मैसेज घूम रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने फाइनेंस एक्ट 2025 के जरिए रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों के बाद की जिंदगी के फायदों को खत्म कर दिया है। इसमें कहा गया है कि डियरनेस अलाउंस (DA) में बढ़ोतरी और पे कमिशन के बदलाव जैसे लाभ अब नहीं मिलेंगे। ये मैसेज लाखों रिटायर्ड लोगों के बीच चिंता पैदा कर रहा है, क्योंकि ये उनके पेंशन और अन्य सुविधाओं से जुड़े हैं। लेकिन क्या ये दावा सही है? चलिए इसकी असलियत जानते हैं।
सरकारी प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की फैक्ट चेक टीम ने इस मैसेज को पूरी तरह फर्जी करार दिया है। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट शेयर करके साफ-साफ बताया कि सरकार ने रिटायर्ड कर्मचारियों के किसी भी लाभ को वापस नहीं लिया है। DA में बढ़ोतरी और पे कमिशन के रिव्यू जैसे फायदे पहले की तरह ही जारी रहेंगे। PIB ने ये भी कहा कि ये अफवाह गलत जानकारी पर आधारित है और लोगों को ऐसी खबरों पर भरोसा न करने की सलाह दी। ये फैक्ट चेक इसलिए जरूरी है क्योंकि ऐसे मैसेज से बुजुर्गों में बेवजह डर फैलता है।
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दरअसल, जो बदलाव हुआ है, वो सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स, 2021 के रूल 37 से जुड़ा है। इसे संशोधित किया गया है, लेकिन ये सिर्फ उन कर्मचारियों पर लागू होता है जो सरकारी नौकरी से पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) में चले गए थे। नए रूल 37(29C) के मुताबिक, अगर ऐसा कोई कर्मचारी PSU में काम करते हुए किसी गलत काम के लिए बर्खास्त या हटाया जाता है, तो उसके सरकारी सेवा के दौरान के रिटायरमेंट लाभ भी छिन सकते हैं। यानी, अगर कोई मिसकंडक्ट करता है, तो PSU का फैसला उस मंत्रालय की समीक्षा से गुजरेगा जो उस यूनिट से जुड़ा है। इसमें रूल 7, 8, 41 और 44(5)(A) व (B) के प्रावधानों को सरकारी कर्मचारियों की तरह ही लागू किया जाएगा।
अब बात करते हैं 8वीं पे कमिशन की। सरकार ने इसे गठित कर दिया है, जो केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों की सैलरी, भत्तों और अन्य लाभों की समीक्षा करेगा। ये कमिशन इसलिए बनी है क्योंकि 7वीं पे कमिशन को लागू हुए 2016 से 10 साल पूरे हो चुके हैं। नई कमिशन के बदलाव 1 जनवरी 2026 से लागू होने की उम्मीद है। ये लाखों कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि इसमें सैलरी में बढ़ोतरी और बेहतर सुविधाओं पर फोकस होगा। कमिशन के सदस्य विभिन्न विभागों से जुड़े विशेषज्ञ होंगे, जो मौजूदा महंगाई और आर्थिक हालात को देखते हुए सिफारिशें देंगे।