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Sovereign Gold Bond : 3 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम से ज्यादा डिस्काउंट पर मिल रहा है सोने में निवेश का मौका

स्टॉक एक्सचेंज पर Sovereign Gold Bond को सोने की मौजूदा कीमतों से तकरीबन 5-6 फीसदी कम पर खरीदा जा सकता है।

Published by
अजीत कुमार
Last Updated- May 05, 2023 | 11:53 AM IST

सोने में निवेश की बात होते ही पहले ध्यान सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond या SGB) पर जाता है। जानकार भी सोने में निवेश के लिहाज से पहली प्राथमिकता सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड को देते हैं। 1 अप्रैल 2023 से SGB गोल्ड ईटीएफ (gold ETF) और गोल्ड म्युचुअल फंड (gold mutual fund) के मुकाबले और भी आकर्षक हो गया है क्योंकि गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्युचुअल फंड को बेचने पर इंडेक्सेशन (Indexation) के साथ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स के प्रावधान को सरकार ने खत्म कर दिया है।

इसका मतलब यह है कि गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्युचुअल फंड से जो भी कमाई होगी, वह आपके इनकम में जोड़ दी जाएगी, जिस पर आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। वहीं सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड के प्रीमैच्योर रिडेम्पशन के मामले में इंडेक्सेशन के साथ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स के प्रावधान आगे भी जारी रहेंगे।

लेकिन सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड सब्सक्रिप्शन के लिए हमेशा उपलब्ध नहीं होते। मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2022-23 के लिए चौथी और आखिरी सीरीज की बिक्री 10 मार्च को खत्म हो गई जबकि निवेशकों को 14 मार्च को बॉन्ड जारी भी कर दिए गए। फिलहाल SGB सब्सक्रिप्शन के लिए उपलब्ध नहीं है। ऐसे में कई निवेशक हैं जिन्हें यह लग रहा है कि शायद आने वाले दिनों में कीमतों में और तेजी न आ जाए।

इन निवेशकों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। मौजूदा वित्त वर्ष (2023-24) के लिए पहली सीरीज के जारी होने तक का इंतजार करने के बजाय वे सेकेंडरी मार्केट यानी स्टॉक एक्सचेंज पर जाकर SGB खरीद सकते हैं। ये बॉन्ड ट्रेडेबल हैं यानी ट्रेड के लिए सेकेंडरी मार्केट (secondary market) में उपलब्ध होते हैं। डीमैट फॉर्म (demat form) में बॉन्ड को लेने वाले कभी भी इसे स्टॉक एक्सचेंज पर बेच सकते हैं।

सेकेंडरी मार्केट (secondary market) से खरीद

सेकेंडरी मार्केट पर बॉन्ड को सोने की मौजूदा कीमतों से तकरीबन 5-6 फीसदी कम पर खरीदा जा सकता है। क्योंकि लिक्विडिटी की कमी की वजह से यहां ये बॉन्ड डिस्काउंट पर उपलब्ध होते हैं। खासकर वैसे सीरीज जो हाल ही में लॉन्च हुए हैं या जिनके मैच्योर होने में अभी 4 साल या इससे ज्यादा का वक्त बचा है, साथ ही जो कम इश्यू प्राइस पर जारी हुआ हो।

वहीं वैसे सीरीज जिनके मैच्योर होने में दो साल से कम वक्त बचा है और जिन्हें अधिक इश्यू प्राइस पर जारी किया गया हो, वहां डिस्काउंट कम है। एनएसई (NSE) पर शुक्रवार को किसी SGB (SGBOC28VII) की सबसे कम लास्ट ट्रेडिंग प्राइस (LTP) 5,682 रुपये थी जबकि गोल्ड का मौजूदा बाजार भाव 6,017 रुपये प्रति ग्राम है।

इसके अलावा भी SGB के और सीरीज हैं जहां डिस्काउंट तकरीबन इतना ही है। हालांकि यहां वॉल्यूम कम है। मसलन –

SGBJAN29X – 5,685.20
SGBNV29VII – 5,688
SGBJUL29IV – 5,693
SGBSEP29VI – 5700
SGBJUL28IV – 5,703.01
SGBJU29III – 5,704.99

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डिस्काउंट की वजह

जानकारों के अनुसार डिस्काउंट की सबसे बड़ी वजह सेकेंडरी मार्केट में लिक्विडिटी की कमी तो है ही, एक और बड़ी वजह इस बॉन्ड का यील्ड है। SGB पर सालाना 2.5 फीसदी इंटरेस्ट/कूपन रेट का प्रावधान है। लेकिन यह इंटरेस्ट इश्यू प्राइस (issue price) पर मिलता है न कि सोने की मौजूदा कीमतों पर।

मान लीजिए चार-पांच साल पहले अगर किसी को SGB 3,000 रुपये के इश्यू प्राइस पर मिला तो उसे इंटरेस्ट मौजूदा ट्रेडिंग प्राइस पर नहीं मिलेगा बल्कि इश्यू प्राइस यानी नॉमिनल वैल्यू के हिसाब से ही मिलेगा। इस तरह से यील्ड घटकर 1 फीसदी तक रह जाता है।

सेकेंडरी मार्केट में SGB के ट्रेडिंग वॉल्यूम से इसे समझते हैं:

फिलहाल 2 नवंबर 2021 को जारी किए गए बॉन्ड (SGBNV29VII) में ट्रेडिंग वॉल्यूम सबसे ज्यादा है। नवंबर 2029 को मैच्योर होने वाला यह बॉन्ड 4,761 रुपये के इश्यू प्राइस पर जारी हुआ था, जबकि इसका लास्ट ट्रेडिंग प्राइस 5,688 रुपये था। इस सीरीज में ज्यादा ट्रेडिंग वॉल्यूम की वजह इसका सबसे ज्यादा डिस्काउंट पर उपलब्ध होना है, जो बायर्स को लुभा रहा है।

सेलर्स भी डिस्काउंट पर इसलिए बेचने को तैयार हैं क्योंकि उन्हें इश्यू प्राइस के मुकाबले 19 फीसदी से ज्यादा रिटर्न महज डेढ़ साल में मिल रहा है। शुक्रवार को इस बॉन्ड में कुल 3,378 यूनिट्स का कारोबार हुआ ।

सलाह

मैच्योरिटी तक करें होल्ड

लेकिन सिर्फ डिस्काउंट की वजह से एसजीबी को सेकेंडरी मार्केट से खरीदने का निर्णय नहीं किया जा सकता। अगर आप मैच्योरिटी तक इसे होल्ड कर सकते हो तभी इसे सेकेंडरी मार्केट से खरीदें। वरना अगर खरीदने के बाद मैच्योरिटी से पहले बेच देते हैं तो आपको भी डिस्काउंट पर बेचना होगा। साथ में आपको कैपिटल गेन टैक्स भी चुकाना होगा।

अगर आप सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड खरीदने के बाद 36 महीने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी लाभ को शार्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप 36 महीने बाद बेचते हैं तो लाभ पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस और सरचार्ज मिलाकर 20.8 फीसदी) लांग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स देना होगा।

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ट्रेडेबल बॉन्ड खरीदने पर कैपिटल गेन टैक्स में छूट मिलेगी, बशर्ते आप मैच्योरिटी (8 साल) तक होल्ड करते हैं।

एसआईपी (SIP) जैसे भी खरीद सकते हैं….

स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड के लिए उपलब्ध सॉवरेन बॉन्ड में लिक्विडिटी काफी कम होती है। इसलिए अगर आप ज्यादा वॉल्यूम में खरीदना चाहेंगे तो डिस्काउंट या तो काफी कम हो जाएगा या ऑफर प्राइस, मार्केट प्राइस के बराबर आ जाएगा।

इसलिए आप कम वॉल्यूम में यानी कुछ यूनिट ही खरीदें। हां, आप एसआईपी की तर्ज पर हर सीरीज में थोड़ा-थोड़ा करके यानी कुछ-कुछ यूनिट भी खरीद सकते हैं। इससे आपको एवरेजिंग का फायदा भी हो जाएगा।

First Published : May 1, 2023 | 4:29 PM IST