Investment in Unit Linked Insurance Plans (Ulips): भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने जीवन बीमा कंपनियों से कहा है कि यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) का प्रचार निवेश योजना की तरह न करें। उसने बीमा कंपनियों से यह भी बताने के लिए कहा है कि यूलिप में किस तरह का जोखिम होता है।
कुछ बीमाकर्ता अपने मिडकैप और स्मॉलकैप फंड का जमकर विज्ञापन कर रहे हैं। कुछ वितरक और एजेंट भी म्युचुअल फंड की लोकप्रियता का फायदा उठाकर यूलिप बेच रहे हैं। ऐसे में कई ग्राहक उसे यह समझे बिना खरीद लेते हैं कि वह पेशकश बीमाकर्ता की है अथवा फंड हाउस की।
सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार दीपेश राघव ने कहा, ‘कुछ बीमा कंपनियों के विज्ञापन पर नजर डालने से कम समझदार निवेशक ऐसा सोच सकते हैं कि वे किसी फंड में निवेश कर रहे हैं। मगर वास्तविकता यह है कि उनका निवेश यूलिप में होगा जो फंड में निवेश करेगा। यूलिप में बीमा कवर के लिए मोर्टेलिटी शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।’
मोर्टेलिटी शुल्क का भुगतान उम्र के साथ बढ़ता जाता है। अरविंद राव ऐंड एसोसिएट्स के संस्थापक अरविंद ए राव ने कहा, ‘वरिष्ठ नागरिक के मामले में अधिक मोर्टेलिटी शुल्क लिया जाता है, जिससे परिपक्वता रकम प्रभावित होती है।’ आईआरडीएआई द्वारा निर्देश दिए जाने के बाद बीमा कंपनी यूलिप के बीमा और निवेश दोनों पहलुओं पर प्रकाश डाल सकते हैं। इससे निवेशकों के बीच भ्रम को दूर करने में मदद मिलेगी।
यूलिप में पांच साल का लॉक-इन होता है। यह उन निवेशकों के लिए उपयोगी हो सकता है जो लंबी अवधि के निवेश के लिए रखे गए पैसे का इस्तेमाल लघु अवधि के लक्ष्यों के लिए कर लेते हैं अथवा मंदी के दौरान इक्विटी एमएफ से पैसे निकाल लेते हैं।
यूलिप में अगर प्रीमियम 2.5 लाख रुपये प्रति वर्ष तक है, तो परिपक्वता रकम कर मुक्त हो जाती है। फंडों का नए सिरे से संतुलन भी करमुक्त होता है। जहां तक इक्विटी एमएफ का सवाल है तो उसमें दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर 10 फीसदी कर लगता है।
यूलिप में प्रीमियम पर छूट की सुविधा मिलती है। राघव ने कहा, ‘अगर आप अपने बच्चे की शिक्षा के लिए बचत कर रहे हैं और उसके कॉलेज जाने की उम्र में एक निश्चित रकम पाना चाहते हैं तो आप यूलिप के जरिये यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके न रहने पर भी उसे वह रकम मिलती रहे।’ टर्म प्लान के मामले में परिवार को भुगतान किया जाता है और वह उसे खर्च कर सकता है।
लिक्विडिटी एक बड़ी चुनौती है। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन ने कहा, ‘अगर आपको कोई आपात जरूरत होगी तो आप पहले 5 वर्षों में रकम नहीं निकाल सकते।’
उम्र बढ़ने और अमीर होने के साथ-साथ व्यक्ति की जीवन बीमा संबंधी जरूरतें भी कम होती जाती हैं। ऐसे में कॉम्बो पॉलिसी के तहत कवरेज में कमी की अनुमति नहीं होती है। राघव ने कहा कि यूलिप योजनाओं के तहत मोर्टेलिटी शुल्क आम तौर पर टर्म प्लान से अधिक होता है।
किसी शुद्ध निवेश पॉलिसी में अगर दो लोग एक ही फंड में बराबर रकम निवेश करते हैं तो उन्हें समान रिटर्न मिलता है भले ही उनमें से एक की उम्र 30 वर्ष और दूसरे की उम्र 55 वर्ष क्यों न हो। राघव ने कहा, ‘बीमा सह निवेश पॉलिसी में अधिक उम्र के व्यक्ति को कम रिटर्न मिलता है क्योंकि उसे अधिक मोर्टेलिटी शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।’
यूलिप में अगर आपने किसी फंड में निवेश किया है और उसका खराब दिख रहा है, तो भी आप लॉक-इन अवधि खत्म होने तक किसी अन्य बीमाकर्ता के फंड में नहीं जा सकते।
यूलिप में निवेश करने से पहले अपने निवेश की अवधि को जांच लेना जरूरी है। कोटक महिंद्रा लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के प्रमुख (अल्टरनेट, डिजिटल चैल्स, प्रोडक्ट मार्केटिंग एवं हेल्थ टेक) पीयूष त्रिवेदी ने कहा, ‘यूलिप उन ग्राहकों के लिए एक बेहतरीन पॉलिसी है जो 10 साल से अधिक समय की लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं।’
निवेशकों को अपनी लिक्विडिटी संबंधी जरूरतों और प्रीमियम भुगतान करने की क्षमता भी जांच लेनी चाहिए। साथ ही यह भी देख लेना चाहिए कि क्या उनके पास कटौती का लाभ उठाने के लिए धारा 80सी के तहत कितनी गुंजाइश है।
यूलिप दो प्रकार के होते हैं: टाइप 1 और टाइप 2। टाइप 1 यूलिप में पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर नॉमिनी को निवेश मूल्य या बीमित राशि में से जो भी अधिक हो, मिलता है। टाइप 2 यूलिप में नॉमिनी को बीमा राशि और निवेश मूल्य दोनों मिलते हैं। राघव ने कहा, ‘अगर आप रिटर्न के लिए यूलिप में निवेश कर रहे हैं, तो टाइप 1 यूलिप चुनें। अगर आप बीमा कवर के लिए भी निवेश कर रहे हैं, तो टाइप 2 बेहतर रहेगा।’
निवेश करने से पहले बीमा कंपनी के विभिन्न फंडों के पिछले प्रदर्शन की जांच करना भी महत्त्वपूर्ण होता है। अगर निवेशक अधिक लचीलापन (लिक्विडिटी, कवर कम करने का विकल्प) चाहते हैं, तो उनके लिए टर्म प्लान एवं एमएफ की संयुक्त पॉलिसी बेहतर रहेगा।