एमएनसी फंड तो कई साल से हैं मगर एचडीएफसी म्युचुअल फंड ने पिछले दिनों एक नया फंड लाकर इन्हें फिर सुर्खियों में ला दिया है। इस श्रेणी ने 10 साल की औसत अवधि में निफ्टी 50 टोटल रिटर्न इंडेक्स को पीछे छोड़ा है मगर कम अवधि की बात करें तो यह पिछड़ती नजर आती है।
एसबीआई, यूटीआई, आदित्य बिड़ला सन लाइफ और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल जैसी फंड कंपनियों के पास इस श्रेणी में एक्टिव फंड हैं। कोटक के पास निफ्टी एमएनसी इंडेक्स पर आधारित एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड है। इस श्रेणी में फंड कंपनियां कुल मिलाकर 12,315 करोड़ रुपये की संपत्ति संभाल रही हैं।
कहां निवेश करते हैं एमएनसी फंड
एमएनसी फंड उन कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं, जिनमें आम तौर पर 50 फीसदी से ऊपर हिस्सेदारी विदेशी प्रवर्तकों के पास होती है। इनका बेंचमार्क निफ्टी एमएनसी इंडेक्स है, जिसमें 30 बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) के शेयर शामिल हैं। इन शेयरों को फ्री-फ्लोट बाजार पूंजीकरण के आधार पर चुना जाता है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियां एफएमसीजी, वाहन एवं वाहन पुर्जा, स्वास्थ्य सेवा, पूंजीगत वस्तु, धातु एवं खनन तथा सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में हैं। चूंकि इन कंपनियों का आकार अलग-अलग है, इसलिए एमएनसी फंडों में रकम लगाने पर निवेशकों को लार्ज, मिड और स्मॉल-कैप के तमाम शेयरों में निवेश का मौका मिल जाता है।
फंड प्रबंधकों की रणनीति भी अलग-अलग होती हैं। कुछ चुनिंदा शेयरों वाला कॉम्पैक्ट पोर्टफोलियो रखते हैं। मिसाल के तौर पर एसबीआई मैग्नम ग्लोबल फंड में केवल 20 शेयर हैं। इसके उलट आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएनसी फंड अधिक विविधता के साथ 57 शेयरों में निवेश करता है।
संभावना खूब, बुनियाद मजबूत
भारत आजकल विनिर्माण के मामले में चीन का अच्छा विकल्प बनकर उभरा है, इसीलिए कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां वैश्विक बाजार की मांग पूरी करने के लिए भारत में विनिर्माण करने का फैसला कर सकती हैं। इससे भारत में उनकी सहयोगी कंपनियां या शाखाएं और भी तेजी से बढ़ सकती हैं। इस तरह लंबी अवधि के लिए निवेश करने वालों की रकम को ये फंड लगातार बढ़ा सकते हैं।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों में आम तौर पर बेहतरीन कारोबार ही होता है। उनके पार कारोबार का ऐसा मॉडल होता है, जिसे दुनिया भर के बाजारों में परखा जा चुका है। उनकी मूल कंपनियां शोध में बहुत निवेश करती हैं। इस कारण समय-समय पर नए उत्पाद आते रहते हैं और कारोबार में वृद्धि होती रहती है। इन कंपनियों के कॉरपोरेट गवर्नेंस के पैमाने बहुत ऊंचे होते हैं और बैलेंस शीट भी मजबूत होती हैं।
फंड्स इंडिया के उपाध्यक्ष और शोध प्रमुख अरुण कुमार कहते हैं, ‘एमएनसी फंड आम तौर पर ‘गुणवत्ता भरे’ निवेश का जरिया माने जाते हैं। वे जानी-मानी वैश्विक कंपनियों में निवेश करते हैं, जिनके पास जाने-माने ब्रांड हैं, कर्ज कम है और बाजार में आने वाले उतार-चढ़ाव के दौरान उनका प्रदर्शन भी अच्छा रहा है। आम तौर पर इन फंडों में अस्थिरता कम होती है, लंबे समय में इनका रिटर्न ठीकठाक रहता है और बाजार कमजोर होने पर भी ये दूसरों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
मूल्यांकन ज्यादा, विकल्प कम
एमएनसी फंड में निवेश करने पर जोखिम भी रहता है। ज्यादतर एमएनसी शेयरों का मूल्यांकन काफी अधिक रहता है। गेनिंग ग्राउंड इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के संस्थापक रवि कुमार टीवी कहते हैं, ‘एमएनसी शेयरों की संख्या काफी कम है, जिसकी वजह से फंड प्रबंधकों को विविधता लाने में दिक्कत होती है।’ उनका कहना है कि खास थीम पर आधारित अन्य फंडों की तरह ये फंड भी कुछ खास सालों में कमजोर रह सकते हैं।
कभी-कभी इन कंपनियों की मूल संस्थाएं शोध एवं विकास (आरऐंडडी) पर हुए बड़े खर्च को वसूलने के लिए रॉयल्टी की मांग कर चुकी हैं, जिससे अल्पांश शेयरधारकों को झटका लगा है। भारतीय नियामकों ने कई बार इन कंपनियों के कुछ उत्पादों पर सख्ती भी की है। इस तरह की कार्रवाई से उनकी मुनाफे की क्षमता पर कुछ समय के लिए चोट पड़ी है।
विकल्प भी मौजूद हैं
लंबी अवधि के लिए निवेश करने के इच्छुक लोग एमएनसी फंड के बजाय फ्लेक्सी-कैप या मल्टी-कैप फंड चुन सकते हैं। अरुण कुमार कहते हैं, ‘अच्छी तरह से संभाला गया, विविधता भरा, गुणवत्ता युक्त फ्लेक्सी-कैप फंड का पोर्टफोलियो इसी प्रकार का होता है और उसमें भी जोखिम के साथ रिटर्न मिलता है। लेकिन इनके फंड प्रबंधक के पास गुंजाइश ज्यादा होती है क्योंकि इनमें शेयर ज्यादा होते हैं। वह ज्यादा क्षेत्रों में दांव लगाकर विविधता ला सकते हैं। वह अधिक क्षेत्रों में विविधता लाने में सक्षम होगा (इनके उलट एमएनसी फंड एफएमसीजी, आईटी, फार्मा जैसे रक्षात्मक शेयरों में ज्यादा निवेश करते हैं)।’
कौन करे निवेश
रवि कुमार की राय में जो निवेशक एमएनसी को समझते हैं और ठीकठाक जोखिम लेने को तैयार रहते हैं, उन्हें तीन से पांच साल की अवधि के लिए इन फंडों पर विचार करना चाहिए। स्क्रिपबॉक्स के निदेशक भरत पाठक आगाह करते हैं कि उन्हीं निवेशकों को एमएनसी फंड में रकम लगानी चाहिए, जिनके पास संभावनाओं पर नजर रखने की क्षमता है, इच्छा है और महारत है। रवि कुमार का कहना है कि पहली बार निवेश करने उतरे लोगों को डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंड में ही जाना चाहिए।
अरुण कुमार कहते हैं, ‘अपने पूरे इक्विटी पोर्टफोलियो में किसी थीम वाले फंड को 20 फीसदी से कम पर रोकें और एमएनसी फंड 10 फीसदी तक ही रखें।’