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फेड ने दरें घटा दीं तो लंबी चलेगी चांदी की दौड़, निवेशकों को भी रहना चाहिए तैयार

चांदी में निवेश आसान नहीं है क्योंकि यह भारी धातु होती है। इसे रखना, शुद्धता और तरलता दूसरी समस्याएं होती हैं। इसलिए चांदी में निवेश का बढ़िया जरिया म्युचुअल फंड हैं।

Last Updated- December 10, 2023 | 10:57 PM IST
Silver rose by more than 10 percent in October, chances of further rise in prices

सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) ने पिछले करीब एक साल में 16.4 फीसदी का औसत रिटर्न दिया है, जबकि इसी दौरान गोल्ड ईटीएफ का रिटर्न 15.1 फीसदी ही रहा है। एडलवाइस असेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) ने पिछले दिनों सिल्वर ईटीएफ पेश किया है। पहले से चल रहे नौ ईटीएफ 2,845 करोड़ रुपये संभाल रहे हैं। लेकिन इन्हें अपने पोर्टफोलियो में शामिल करने से पहले निवेशकों को इस धातु की चाल-ढाल समझ लेनी चाहिए।

बढ़ती औद्योगिक मांग

चांदी की बढ़ती औद्योगिक मांग का इसकी हालिया दौड़ में बहुत बड़ा हाथ है। आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) ए बालसुब्रमण्यन कहते हैं, ‘पिछले एक साल में चांदी के भाव चढ़ने के दो मुख्य कारण हैं – भूराजनीतिक अनिश्चितताएं और चांदी की मांग के मुकाबले आपूर्ति कम होना। इलेक्ट्रिक वाहन और सोलर पैनल जैसी पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों पर जोर होने और 5जी तकनीक का अधिक इस्तेमाल होने के कारण मांग और आपूर्ति का अंतर बढ़ा है क्योंकि इन सभी में चांदी प्रमुख घटक होती है। चांदी के गहनों की मांग भी बढ़ती जा रही है।’

सिल्वर इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कैलेंडर वर्ष में चांदी की वैश्विक मांग 18 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। यह मांग गहनों, उद्योग और चांदी की छड़ों तथा सिक्कों समेत सभी श्रेणियों से आईं। 2022 में मांग के मुकाबले 23.77 करोड़ आउंस चांदी की कमी थी और इतनी कमी पहले कभी नहीं देखी गई।

सुरक्षित निवेश

अनिश्चितता के दौर में सोने की ही तरह चांदी भी निवेश का सुरक्षित साधन मानी जाती है। डीएसपी म्युचुअल फंड के फंड प्रबंधक रवि गेहानी कहते हैं, ‘औद्योगिक इस्तेमाल के साथ चांदी निवेश सुरक्षित रखने वाली कमोडिटी भी है। इस मामले में यह सोने का सस्ता विकल्प है।’

यह भी माना जा रहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व अगले साल से ब्याज दरों में कटौती शुरू कर देगा। गेहानी का कहना है, ‘मौद्रिक नीति में ढिलाई से डॉलर कमजोर हो सकता है। इससे कीमती धातुओं के बाजार में नई तेजी दिख सकती है। अतीत में भी फेड ने जब-जब ब्याज दरें घटाई हैं तब-तब कीमती धातुओं का प्रदर्शन शानदार रहा है।’

म्युचुअल फंड के रास्ते

धातु चांदी में निवेश आसान नहीं है क्योंकि यह भारी धातु होती है। इसे रखना, शुद्धता और तरलता दूसरी समस्याएं होती हैं। इसलिए चांदी में निवेश का बढ़िया जरिया म्युचुअल फंड हैं। ईटीएफ काफी किफायती साधन हैं। इसे रखना झंझट भरा हो सकता है। कुछ फंड ऑफ फंड्स भी सिल्वर ईटीएफ की यूनिट में निवेश कराते हैं। ईटीएफ और फंड ऑफ फंड्स के जरिये आप छोटा निवेश ही कर सकते हैं। फंड ऑफ फंड्स में निवेशक सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) भी चुन सकते हैं।

निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड में कमोडिटी प्रमुख और फंड प्रबंधक विक्रम धवन समझाते हैं, ‘ईटीएफ सूचीबद्ध होते हैं और उनकी ट्रेडिंग होती है, इसलिए उनमें तरलता, पारदर्शिता और सुरक्षा मिलती है। धातु चांदी में रकम लगाने के बजाय सिल्वर ईटीएफ में निवेश करने से कुल लागत भी कम आती है। निवेशकों को न तो चांदी रखने और उसके बीमा के बारे में सोचना होता है और न ही धातु से जुड़ी कोई और दुर्घटना जैसे चोरी आदि इसमें हो सकती है।’

बालसुब्रमण्यन को उम्मीद है कि सिल्वर ईटीएफ भविष्य में अच्छा रिटर्न देंगे। मगर वह आगाह करते हैं कि इनमें उतार-चढ़ाव भी रहेगा।

चांदी बनाम सोना

अब सोने और चांदी दोनों के ईटीएफ मौजूद हैं, इसलिए निवेशक इस ऊहापोह में पड़ सकते हैं कि किसमें निवेश करने से उन्हें निकट भविष्य में ज्यादा रिटर्न मिलेगा।

बालसुब्रमण्यन कहते हैं, ‘आम तौर पर चांदी रिटर्न के मामले में सोने की राह पर ही चलती है। जब गोल्ड-टु-सिल्वर रेश्यो बढ़ जाता है तो चांदी पर बेहतर रिटर्न हासिल होता है।’ गोल्ड टु सिल्वर रेश्यो चांदी की वह मात्रा होती है, जिसकी कीमत में 1 आउंस सोना आ जाता है।

गेहानी भी सहमति जताते हुए कहते हैं, ‘चांदी बनाम सोने की होड़ में औद्योगिक मांग बहुत अंतर डाल देती है। चांदी की करीब 50 फीसदी मांग उद्योगों से आती है, जबकि सोने की बमुश्किल 7 से 10 फीसदी मांग ही वहां से आती है। जब कमोडिटी चढ़ रही होती हैं तब चांदी सोने पर भारी पड़ जाती है।’

धवन को लगता है कि सोना जोखिम से ज्यादा महफूज रखता है। उनकी दलील है, ‘चांदी आर्थिक अनिश्चितता और मंदी के दौर में सोने के मुकाबले कमजोर रहती है। चांदी में उतार-चढ़ाव भी सोने के मुकाबले ज्यादा देखा गया है।’

तब क्या करें?

निवेशक अपने कुल निवेश का 5-10 फीसदी चांदी में लगा सकते हैं। गेहानी की सलाह है, ‘जब भी चांदी गिरे, थोड़ी रकम लगा दें। थोड़े समय में उतार-चढ़ाव से जो नुकसान हो सकता है, उसके मुकाबले लंबी अवधि का फायदा बहुत ज्यादा होगा।’ चांदी में निवेश के साथ आपको सोने में 10 से 15 फीसदी निवेश भी करना चाहिए।

धवन का सुझाव है, ‘बाजार में कुछ समय के लिए आने वाले उतार-चढ़ाव से निपटना है तो सिल्वर ईटीएफ में लंबे समय के लिए निवेश करें। हर दो से चार साल में सबसे बढ़िया रिटर्न देने वाली श्रेणी बदल जाती है, इसलिए कम समय के लिए निवेश तभी अच्छा रहता है अगर आपको बाजार की बहुत बढ़िया समझ हो या आप दांव खेल रहे हों।’

First Published - December 10, 2023 | 6:29 PM IST

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