बाजार को लगता था कि भारतीय रिजर्व बैंक इस महीने मौद्रिक नीति की समीक्षा में रीपो दर 25 आधार अंक बढ़ा देगा मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ और रीपो दर जस की तस बनी रही। हालांकि रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने साफ कहा कि दर में बढ़ोतरी का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है मगर बॉन्ड प्रतिफल में कमी आने से पता चलता है कि बाजार कुछ और मान रहा है।
बंधन म्युचुअल फंड में हेड (फिक्स्ड इनकम) सुयश चौधरी कहते हैं, ‘हमें लगता है कि भारत में दर बढ़ोतरी का सिलसिला अपने चरम पर पहुंच चुका है। अगर अगले कुछ महीनों में महंगाई मामला नहीं बिगाड़ती है तो हो सकता है कि दर काफी समय तक इसी स्तर पर बनी रहें।’
कॉरपोरेट ट्रेनर (डेट मार्केट्स) और लेखक जयदीप सेन को भी लगता है कि फरवरी में हुई दर बढ़ोतरी शायद आखिरी बढ़ोतरी थी। वह कहते हैं, ‘महंगाई पहले काफी ज्यादा हो चुकी है, इसलिए आने वाले दिनों में इसमें कमी आने के आसार हैं। इस बात की संभावना कम नजर आ रही है कि दरों में अभी और बढ़ोतरी होगी।’
मनीएडुस्कूल के संस्थापक अर्णव पांड्या आगाह करते हैं कि ऐसी सूरत में कच्चे तेल के दाम बढ़ने (जैसा हाल में हुआ), अड़ियल मुख्य मुद्रास्फीति, कमजोर मॉनसून के कारण खाद्य महंगाई में उछाल जैसी अप्रत्याशित घटनाओं से जोखिम बढ़ सकता है। यह भी समझ लीजिए कि हाल-फिलहाल दरों मे कटौती की कोई संभावना नहीं है।
एफडी पर ब्याज बढ़ेगा!
बैंकों की सावधि जमा (एफडी) पर ब्याज दरों में नाटकीय इजाफा बेशक न हो मगर अभी ये और भी बढ़ सकती हैं। पैसाबाजार के सह-संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) नवीन कुकरेजा कहते हैं, ‘जब तक ऋण में वृद्धि की रफ्तार बैंक जमा में वृद्धि की रफ्तार से ज्यादा रहेगी, बैंक ज्यादा से ज्यादा जमा हासिल करने और कर्ज की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए एफडी पर ब्याज बढ़ाते रहेंगे।’
एफडी का ब्याज अपने चरम पर कब पहुंचेगा यह नहीं कहा जा सकता। पांड्या कहते हैं, ‘इसलिए जब भी आपके पास पैसा हो और ब्याज दर बढ़िया लगे तो फौरन एफडी करा लीजिए।’
कुकरेजा की सलाह भी कमोबेश ऐसी ही है। वह समझाते हैं, ‘इस समय कई स्मॉल फाइनैंस बैंक और निजी क्षेत्र के कुछ बैंक एफडी पर 7.5 फीसदी या उससे भी ज्यादा ब्याज दे रहे हैं। कितना लंबा निवेश करना है, यह देख लीजिए और उतनी अवधि की एफडी पर जो सबसे अधिक ब्याज दे रहा हो, वहां निवेश कर दीजिए।’
डेट एमएफ में ज्यादा जोश नहीं
चौधरी तीन से पांच साल की औसत परिपक्वता अवधि वाले बेहतरीन डेट म्युचुअल फंडों में निवेश करने की सलाह देते हैं। ब्याज दरें बढ़ने के कारण डेट एमएफ में परिपक्वता पर प्रतिफल यानी यील्ड टु मैच्योरिटी (वाईटीएम) भी काफी बढ़ गई हैं।
सेन कहते हैं, ‘दरों में और बढ़ोतरी की संभावना कम हो गई है, इसलिए निवेशकों को मार्क-टु-मार्केट घाटा होने का खटका भी नहीं है। निकट भविष्य में वाईटीएम से एक्सपेंस रेश्यो घटाने के बाद जो आंकड़ा आएगा, कमोबेश उतना ही रिटर्न डेट फंड से मिलने की संभावना है।’
निवेशक अपनी निवेश अवधि के हिसाब से लिक्विड, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन, मनी मार्केट फंड, बैंकिंग एवं पीएसयू फंड तथा कॉरपोरेट बॉन्ड फंड में रकम लगा सकते हैं मगर ज्यादा जोखिम से उन्हें बचना चाहिए। मगर कुछ विशेषज्ञ अवधि के हिसाब से दांव लगाना सही नहीं मान रहे।
सेन कहते हैं, ‘पिछले 22 साल में रीपो दर और 10 साल के सरकारी बॉन्डों के रिटर्न की दर के बीच औसत अंतर 100 आधार अंक का रहा है। इस समय यह अंतर 70 आधार अंक का है। इसलिए रीपो दर घटने पर भी बॉन्ड का रिटर्न तेजी से बढ़ने के आसार नहीं हैं।’
होम लोन पर प्री-पेमेंट करें या बैंक बदलें
होम लोन की भारी ईएमआई और लंबी अवधि की मार झेल रहे ग्राहकों ने दर में बढ़ोतरी रुकने पर राहत की सांस ली। कई बैंकों ने बेंचमार्क दर और अपनी ब्याज दर के बीच अंतर (स्प्रेड) कम कर दिया है।
बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं, ‘2019-20 में स्प्रेड 300 आधार अंक था, जो आज घटकर 200 आधार अंक रह गया है।’ स्प्रेड घटने से लोन ग्राहकों को अपना कर्ज कम ब्याज दर वाले दूसरे बैंक में ले जाने का मौका मिल रहा है।
जिन्होंने कुछ अरसा पहले ही लोन लिया है, उन्हें प्री-पेमेंट की कोशिश करनी चाहिए। शेट्टी कहते हैं, ‘चार-पांच साल पहले लोन लिया हो तो आपकी ईएमआई और अवधि काफी बढ़ गई होंगी। पैसा बचाने और प्री-पेमेंट करने की कोशिश करें।’