फ्लेक्सी-कैप फंड निवेशकों के रडार पर वापस आ गए हैं। इस फंड में निवेशकों का शुद्ध प्रवाह अगस्त 2024 में 3,513 करोड़ रुपये दर्ज किया गया जो डायवर्सिफाइड इक्विटी योजनाओं में सबसे अधिक था। इसके बाद सितंबर में भी इनमें 3,214.57 करोड़ रुपये का शुद्ध प्रवाह आया।
भारतीय शेयर बाजार के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद उतार-चढ़ाव और मूल्यांकन में भी जबरदस्त तेजी होने के कारण निवेशक फ्लेक्सी-कैप फंड की ओर रुख कर रहे हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि निवेशक लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में उचित निवेश निर्णय के लिए फंड मैनेजरों पर भरोसा करना चाहते हैं।
निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड की फंड मैनेजर (इक्विटी निवेश) मीनाक्षी डावर ने कहा, ‘फ्लेक्सी-कैप फंड अपने लचीलेपन कारण पसंद किए जा रहे हैं क्योंकि वे लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में निवेश को समायोजित करते हुए जोखिम रहित धारणा अथवा उतार-चढ़ाव को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं।’
फ्लेक्सी-कैप फंड तय आवंटन सीमा के बिना मार्केट कैप में निवेश करते हैं। फंड मैनेजरों को उन शेयरों को चुनने की पूरी आजादी होती है जो उन्हें आकर्षक लगते हैं। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों से पता चलता है कि 30 सितंबर, 2024 तक 39 फ्लेक्सी-कैप फंडों ने कुल मिलाकर 4.44 लाख करोड़ रुपये का प्रबंधन किया।
श्रीराम ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) के वरिष्ठ फंड मैनेजर दीपक रामाराजू ने कहा, ‘बाजार में मौजूदा उतार-चढ़ाव के दौरान दमदार निवेश प्रवाह की मुख्य वजह यह है कि फ्लेक्सी-कैप फंड लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में निर्धारित आवंटन से बंधे न होने का लाभ देते हैं। पोर्टफोलियो को लगातार समायोजित करने के इस लचीलेपन से संभावित रिटर्न को दम मिलता है।’
फ्लेक्सी-कैप फंड मैनेजरों को सबसे अधिक लचीलापन देते हैं। मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के वरिष्ठ फंड मैनेजर (इक्विटी) वरुण गोयल ने कहा, ‘निवेश का दायरा बढ़ाकर अधिक विविधीकरण के जरिये इन फंडों को जोखिम और लाभ को संतुलित करने में मदद मिलती है। फ्लेक्सी-कैप फंड ऐतिहासिक तौर पर बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद बेहतर प्रदर्शन करते हैं, क्योंकि इसमें निवेश का दायरा विभिन्न क्षेत्रों तक फैलाना आसान होता है।’
फिलहाल कई फ्लेक्सी-कैप फंड ने अपने पोर्टफोलियो को लार्जकैप शेयरों की ओर अधिक झुका दिया है। रामराजू ने कहा कि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में निवेश से तेजी से वृद्धि का अवसर मिलता है जबकि लार्जकैप शेयरों में निवेश से लंबी अवधि में स्थिरता मिलती है। फ्लेक्सी-कैप योजनाओं में कर बचत का लाभ भी मिलता है। ऐसे आप खुद ही लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों में नए सिरे से संतुलन करेंगे कर देनदारी बनेगी।
इन योजनाओं में रकम का आवंटन फंड मैनेजर के बाजार दृष्टिकोण पर आधारित होता है। ऐसे में निवेशक की इच्छा के अनुरूप आवंटन और विभिन्न मार्केट कैप के लिए फंड के आवंटन में अंतर होने का जोखिम होता है। अगर फंड मैनेजर मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में अधिक निवेश करता है, तो इससे निवेशक के लिए अपेक्षित जोखिम बढ़ सकता है।
फ्लेक्सी-कैप फंड उन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प है जिनके पास विभिन्न मार्केट कैप में रकम आवंटित करने के लिए पर्याप्त समय अथवा विशेषज्ञता नहीं है। इन फंडों में लंबी अवधि के लिहाज से बेहतर रिटर्न हासिल करने की क्षमता होती है। गोयल ने कहा, ‘मध्यम जोखिम वाले और लंबी अवधि में रिटर्न हासिल करने की चाहत रखने वाले निवेशकों को फ्लेक्सी-कैप फंड चुनना चाहिए। संतुलित जोखिम और बेहतर रिवॉर्ड प्रोफाइल के कारण ये फंड लंबी अवधि में अधिक रिटर्न देते हैं।’
निवेशकों को फ्लेक्सी-कैप फंड में कम से कम 5 साल के लिए निवेश करना चाहिए। डावर ने कहा, ‘मुख्य रूप से इक्विटी पोर्टफोलियो के लिए फ्लेक्सी-कैप फंडों में निवेश पर विचार किया जा सकता है। इसमें एकमुश्त अथवा सिस्टेमैटिक (एसआईपी/एसटीपी) तरीके से निवेश किया जा सकता है।’
निवेश करने से पहले मार्केट कैप के लिए फंड के ऐतिहासिक आवंटन की समीक्षा करें यानी पूरा पिछला आंकड़ा देखें कि उसने कैसे आवंटन किया है। रामराजू ने कहा, ‘निवेशकों को विविधता लाने और अलग-अलग बाजार चरणों के दौरान लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप में प्रभावी तरीके से आवंटन करने की फंड मैनेजर की क्षमता का आकलन करना चाहिए।’
अगर आप फंड मैनेजर की किसी संभावित गड़बड़ी के जोखिम से बचना चाहते हैं, तो आपके लिए निफ्टी 500 या बीएसई 500 को ट्रैक करने वाले इंडेक्स फंड बेहतर विकल्प हो सकते हैं। इन फंडों में करीब 70 फीसदी आवंटन लार्जकैप में और बाकी मिडकैप एवं स्मॉलकैप होता है। रामराजू ने कहा, ‘जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर इक्विटी निवेश पोर्टफोलियो का करीब 25 फीसदी आवंटन फ्लेक्सी-कैप फंड में किया जा सकता है।’