EPF: यह सुरक्षित और टैक्स फ्री रिटर्न सुनिश्चित करता है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
EPF Calculation: प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले सैलरीड कर्मचारियों की सैलरी से हर महीने इम्प्लॉइड प्रोविडेंट फंड (EPF) की रकम कटती है। यह एक रिटायरमेंट बेनेफिट स्कीम है और इसे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) मैनेज करता है। ईपीएफ अकाउंट में कमर्चारी और एम्प्लायर यानी कंपनी दोनों की तरफ से कंट्रीब्यूशन होता है। यह कंट्रीब्यूशन बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता (Basic+DA) का 12-12 फीसदी होता है। सरकार की ओर से हर साल ईपीएफ की ब्याज दरें तय की जाती हैं। अभी 8.25 फीसदी सालाना ब्याज मिल रहा है। EPF एक ऐसा अकाउंट है, जिसमें रिटायरमेंट तक धीरे-धीरे बड़ा कॉपर्स बन जाता है।
मान लीजिए आपकी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता मिलाकर 15,000 रुपये है। आपकी उम्र 30 साल है, तो रिटायरमेंट तक यानी 60 साल की उम्र तक आपके पास 67 लाख रुपये रिटायरमेंट फंड तैयार हो सकता है। इसे EPF कैलकुलेशन से समझते हैं।
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बेसिक सैलरी+DA= ₹15,000
मौजूदा उम्र= 30 साल
रिटारमेंट उम्र= 60 साल
कर्मचारी का मंथली कंट्रीब्यूशन= 12%
कंपनी का मंथली कंट्रीब्यूशन= 3.67%
EPF पर ब्याज दर= 8.25% सालाना
सालाना सैलरी ग्रोथ= 5%
60 साल की उम्र में मैच्योरिटी फंड= ₹67,05,202 (कर्मचारी का कंट्रीब्यूशन ₹15,28,435 और कंपनी का कंट्रीब्यूशन ₹4,67,443 रुपये रहा। इस तरह, कुल कंट्रीब्यूशन ₹19,95,878 रहा।)
(नोट: कंट्रीब्यूशन के पूरे साल में सालाना ब्याज दर 8.25% और सैलरी ग्रोथ 5% ली गई है। यह कैलकुलेशन स्क्रिपबॉक्स कैलकुलेटर पर आधारित है।)
ईपीएफ अकाउंट में कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 12 फीसदी जमा होता है। लेकिन, कंपनी की 12 फीसदी की रकम दो हिस्सों में जमा होती है। कंपनी के 12 फीसदी कंट्रीब्यूशन में से 8.33 फीसदी रकम EPS में जमा होती है और शेष 3.67 फीसदी रकम ही EPF में जाती है।
कर्मचारी की बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता= ₹15,000
EPF में कर्मचारी का कंट्रीब्यूशन= ₹15,000 का 12%= ₹1800
EPF में कंपनी का कंट्रीब्यूशन= ₹15,000 का 3.67%= ₹550
पेंशन फंड (EPS) में कंपनी का कंट्रीब्यूशन= ₹15,000 का 8.33%= ₹1250
इस तरह, पहले साल 15,000 रुपये बेसिक सैलरी वाले कर्मचारी के EPF अकाउंट में कुल मंथली कंट्रीब्यूशन 2350 रुपये (1800+550 रुपये) होगा। इसके बाद सालाना आधार पर सैलरी में 5 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ उसी अनुपात में बेसिक और महंगाई भत्ते में इजाफा होगा। जिसके साथ-साथ ईपीएफ कंट्रीब्यूशन बढ़ता जाएगा। जिन कमर्चारी की बेसिक सैलरी 15,000 रुपये से उससे कम है, उनके लिए इस स्कीम से जुड़ना अनिवार्य है।
Personal CFO के फाउंडर एंड सीईओ सुशील जैन का कहना है, ईपीएफ (EPF) निवेश के सबसे बेहतरीन विकल्पों में से एक है, जो मजबूत और बैलेंस्ड पोर्टफोलियो बनाने में मदद करता है। एसेट एलोकेशन करते समय यह डेट एलोकेशन को बैलेंस करने में सहायक होता है।
उनका कहना है कि रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए इसे सबसे भरोसेमंद निवेश माना जाता है। यह डेट एलोकेशन में एसआईपी (SIP) की तरह काम करता है। यह एजुकेशन, मैरिज जैसे ज़िम्मेदारी वाले लक्ष्यों को पूरा करने और मेडिकल इमरजेंसी के समय फंडिंग में मदद करता है। सबसे अहम बात यह है कि यह सुरक्षित और टैक्स फ्री रिटर्न सुनिश्चित करता है।