प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: ShutterStock
Retirement Plan: प्रोफेशनल सर्विसेज फर्म “ग्रांट थॉर्नटन भारत” के एक सर्वे के अनुसार, युवा भारतीय पेशेवर जल्दी रिटायर होने की इच्छा रखते हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर इस सपने को पूरा करने के लिए पर्याप्त बचत नहीं करते। “ग्रांट थॉर्नटन भारत” द्वारा किए गए इस सर्वे में मुख्य रूप से 25 से 54 साल की उम्र के प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों से जवाब लिए गए। सर्वे में रिटायरमेंट प्लानिंग, पेंशन की उम्मीदों और वित्तीय जागरूकता पर केंद्रित सवालों के जरिए जानकारी जुटाई गई।
25 साल या उससे कम उम्र के 43 फीसदी जवाबदाताओं ने कहा कि वे 45 से 55 साल की उम्र के बीच रिटायर होना चाहते हैं, जो रिटायरमेंट की सामान्य उम्र 60 साल से काफी कम है। सर्वे में शामिल 74 फीसदी लोगों ने बताया कि वे अपनी मासिक तनख्वाह का 1 से 15 फीसदी हिस्सा रिटायरमेंट के लिए बचत करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया, “उम्मीद से कम रिटायरमेंट उम्र और वित्तीय योगदान के पैटर्न में स्पष्ट असंतुलन है।” इसमें जोड़ा गया कि ऊंची महत्वाकांक्षाएं सही निवेश व्यवहार से मेल नहीं खातीं।
आधे से ज्यादा जवाबदाताओं ने कहा कि वे रिटायरमेंट के बाद हर महीने 1 लाख रुपये से ज्यादा की पेंशन की उम्मीद रखते हैं, लेकिन केवल 11 फीसदी को भरोसा है कि उनके निवेश पर्याप्त होंगे। सर्वे में कहा गया, “यह बड़ा अंतर तैयारियों में कमी को दर्शाता है।”
केवल 3.65 फीसदी जवाबदाताओं ने कहा कि उन्हें “पूरी तरह भरोसा” है कि उनके पेंशन उत्पाद रिटायरमेंट के बाद उनकी जरूरतें पूरी करेंगे, जबकि 42 फीसदी ने कहा कि उन्हें “बिल्कुल भी भरोसा” नहीं है।
ज्यादातर जवाबदाता रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए पारंपरिक पेंशन योजनाओं पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं। करीब 83 फीसदी ने कहा कि उनकी रिटायरमेंट प्लानिंग कर्मचारी भविष्य निधि (EPF), ग्रेच्युटी या राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) पर आधारित है। निजी एन्युटी योजनाएं, जो रिटायरमेंट के बाद स्थिर आय दे सकती हैं, अभी भी कम इस्तेमाल हो रही हैं; 76 फीसदी जवाबदाताओं ने इनमें निवेश नहीं किया है।
आधे जवाबदाताओं ने स्वीकार किया कि उन्हें अटल पेंशन योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जो असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए रिटायरमेंट आय सुनिश्चित करने वाली सरकारी योजना है। वहीं, केवल 17 फीसदी ने कहा कि वे अपनी पेंशन गणना को “बहुत अच्छी तरह” समझते हैं।
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सर्वे के नतीजे वित्तीय शिक्षा और पेंशन प्लानिंग में सुधार की जरूरत को रेखांकित करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया, “वित्तीय संस्थानों को स्थिर आय की मांग को पूरा करने के लिए एन्युटी जैसे गारंटीड आय उत्पादों को शुरू करने पर विचार करना चाहिए।”
इसमें NPS में सुधार और पेंशन योजनाओं व रिटायरमेंट प्लानिंग के बारे में जागरूकता बढ़ाने की मांग की गई।