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रिटायरमेंट के लिए सिर्फ FD के भरोसे न रहें, महंगाई और जोखिम से बचाव के लिए चुनें निवेश के स्मार्ट विकल्प

भारतीय स्टेट बैंक की एक विशेष शोध रिपोर्ट के अनुसार बैंकों की सावधि जमा यानी एफडी में करीब 47 फीसदी हिस्सा वरिष्ठ नागरिकों का है।

Last Updated- September 08, 2024 | 11:05 PM IST
Don't rely only on FD for retirement, choose smart investment options to protect yourself from inflation and risk रिटायरमेंट के लिए  सिर्फ FD के भरोसे न रहें, महंगाई और जोखिम से बचाव के लिए चुनें निवेश के स्मार्ट विकल्प

भारतीय स्टेट बैंक की एक विशेष शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022-23 में भारतीय परिवारों ने वित्तीय परिसंपत्तियों में 29.7 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया। इनमें से 33.4 फीसदी रकम बैंकों में जमा रही, 6 फीसदी म्युचुअल फंड में और महज 0.9 फीसदी शेयरों और डिबेंचर में निवेश किया गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों की सावधि जमा यानी एफडी में करीब 47 फीसदी हिस्सा वरिष्ठ नागरिकों का है। जानकारों का मानना है कि सावधि जमा पर इतना भरोसा अच्छा नहीं है। तो आइए जानते हैं कि अपना रिटायरमेंट पोर्टफोलियो तैयार करने वाले बुजुर्ग सावधि जमा के अलावा और कहां निवेश कर सकते हैं?

सेवानिवृत्त लोग इसलिए भी सावधि जमा पर अधिक भरोसा करते हैं क्योंकि वे इससे परिचित होते हैं। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी विशाल धवन कहते हैं, ‘वे अपनी पूरी जिंदगी में बैंक जमा से परिचित रहे होंगे और हाल ही में उन्हें शेयर और म्युचुअल फंड के बारे में जानकारी हुई है। इसके अलावा, सेवानिवृत्ति के बाद अधिकतर लोग अपने कामकाजी दिनों की तुलना में ज्यादा रूढि़वादी हो जाते हैं। वे इस बारे में निश्चित अनुमान रखना चाहते हैं कि निवेश की हुई रकम पर उन्हें कितना फायदा मिलेगा, जो उन्हें बैंक के सावधि जमा से मिलता है।’

जानकारों के मुताबिक, सेवानिवृत्ति पोर्टफोलियो में तीन भाग होने चाहिए। वाइज इन्वेस्टमेंट के मुख्य कार्य अधिकारी हेमंत रुस्तगी का कहना है, ‘पहला आपात स्थिति से निपटने के लिए लिक्विड योजनाओं में पर्याप्त निवेश होना चाहिए। दूसरा, पोर्टफोलियो का एक हिस्सा अपने मासिक खर्चों को पूरा करने के लिए निश्चित और नियमित आय उत्पन्न करने के लिए उपयोग में आना चाहिए और तीसरा, बढ़ती महंगाई से बचाव के लिए रकम का एक हिस्सा वृद्धिशील परिसंपत्तियों में निवेश किया जाना चाहिए।’

नियमित आय प्राप्त करें

निश्चित और नियमित रिटर्न की जरूरतों को पूरा करने लिए वरिष्ठ नागरिक सावधि जमा, उच्च गुणवत्ता वाले बॉन्ड, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना और डाकघर की मासिक आय योजना जैसे साधनों में निवेश कर सकते हैं।

इस पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा एन्युइटी में भी निवेश किया जा सकता है। निश्चित आय वाली योजनाओं का ब्याज दर अक्सर अवधि पूरी होने पर बदल जाता है, जिससे निवेशक को पुनर्निवेश का जोखिम उठाना पड़ता है। एन्युइटी में खरीदार (यहां तक की उनके पति या पत्नी, संयुक्त एन्युइटी में) को जीवनभर वही रकम मिलती है जो शुरू में वादा की गई थी। धवन कहते हैं, ‘एन्युइटी निवेशक को लंबे अर्से तक जीवित रहने से होने वाले जोखिम से भी बचाती है।’

बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए वृद्धि वाली परिसंपत्तियां

वरिष्ठ नागरिकों के समक्ष आने वाली सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती महंगाई की है। राघव का कहना है, ‘एक ऐसा कोष जो सेवानिवृत्ति की शुरुआत में पर्याप्त रिटर्न देता है शायद बढ़ती महंगाई के कारण आगे चलकर पर्याप्त नहीं रह सकता है। इससे वरिष्ठ नागरिक को अपने कोष से रकम निकालनी पड़ सकती है, जिसका मतलब हुआ कि भविष्य में मिलने वाला रिटर्न और कम हो जाएगा।’

बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए पोर्टफोलियो का एक हिस्सा इक्विटी म्युचुअल फंड और हाइब्रिड फंड जैसी वृद्धिशील परिसंपत्तियों में निवेश किया जाना चाहिए।

रुस्तगी कहते हैं, ‘इक्विटी की बात करें तो वरिष्ठ नागरिकों को अपने पोर्टफोलियो में लार्ज कैप फंडों, खासतौर पर इंडेक्स फंडों पर जोर देना चाहिए। हाइब्रिड फंड में डेट, इक्विटी और आर्बिट्रेज के मिश्रण में निवेश किया जाता है। निवेशक अपने जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर इक्विटी सेविंग, बैलेंस्ड एडवांटेज और एग्रेसिव हाइब्रिड फंड में से चुन सकते हैं।’

ये गलतियां न करें

कई वरिष्ठ नागरिक सेवानिवृत्ति के बाद जरूरत पड़ सकने वाली धनराशि को कम आंकते हैं। धवन कहते हैं, ‘वे महंगाई के असर, कराधान, स्वास्थ्य संबंधी खर्चों और स्वास्थ्य बीमा के लिए देने वाली प्रीमियम रकम को कम आंकते हैं।’ कई लोगों के पास आपातकालीन स्थिति के लिए भी पर्याप्त धनराशि नहीं होती है और उनके पास पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा सुविधा नहीं रहने पर अपनी सेवानिवृत्ति कोष में से रकम निकासी करनी पड़ती है।

राघव के मुताबिक, कई निवेशक यह भी नहीं समझते हैं कि समय के साथ निवेश पर मिलने वाली रिटर्न में गिरावट भी आ सकती है। उदाहरण के लिए ब्याज दरों में नियमित गिरावट आने से निश्चित आय वाले साधनों से कम रिटर्न मिल सकता है। यही नहीं, हताशा में अत्यधिक जोखिम लेने से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।

First Published - September 8, 2024 | 10:12 PM IST

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