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कैटेगरी-3 AIF को मिली टैक्स में राहत, दिल्ली हाईकोर्ट ने CBDT के आदेश को असंवैधानिक बताया

दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीडीटी सर्कुलर को आंशिक रूप से खारिज कर कैटेगरी-3 एआईएफ को 40% टैक्स देनदारी से राहत दी है।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- July 30, 2025 | 10:20 PM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2014 के सीबीडीटी के सर्कुलर के बारे में अरसे से प्रती​क्षित कर स्पष्टता दे दी है। इससे कैटेगरी-3 वैक​ल्पिक निवेश फंडों (एआईएफ) को राहत मिली है। इन फंडों में हेज फंड और जटिल ट्रेडिंग रणनीतियों में निवेश करने वाले भी शामिल हैं। उद्योग जगत के लोगों का कहना है कि 2014 के सीबीडीटी सर्कुलर के कारण एआईएफ को लाभ पर लगभग 40 प्रतिशत कर देना पड़ा जबकि कर्नाटक और तमिलनाडु के एआईएफ ने केवल 12.5 प्रतिशत कर भुगतान किया।

29 जुलाई के आदेश में दिल्ली उच्च न्यायालय ने बोर्ड ऑफ एडवांस रूलिंग्स के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें इक्विटी इंटेलिजेंस एआईएफ ट्रस्ट की ओर से दाखिल निकासी आवेदन को नामंजूर कर दिया गया था। बीएआर ने कहा था कि अगर लाभार्थियों के नाम मूल ट्रस्ट डीड में नहीं हैं तो ऐसे ट्रस्ट को अनिर्धारित माना जाएगा और उस पर ‘अधिकतम मार्जिनल रेट’ लागू होगी।

सेबी के नियमों के अनुसार एआईएफ के लिए व्यवसाय शुरू करने से पहले पंजीकरण कराना अनिवार्य है। पंजीकरण के लिए एआईएफ को सेबी के पास ट्रस्ट डीड जमा करनी होगी। एआईएफ के वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि मूल ट्रस्ट डीड में निवेशकों के नाम नहीं हो सकते और अगर ऐसा होता है तो यह अपने आप में सेबी के नियमों का बड़ा उल्लंघन होगा।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘किसी भी अधिनियम के तहत किसी भी इकाई को असंभव कार्य के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इस मामले में बताए गए तथ्य इस तरह के असंभव काम को बढ़ावा दे सकते हैं।’ इसके अलावा, उच्च न्यायालय ने सीबीडीटी सर्कुलर के पैरा 6 में विरोधाभास का भी जिक्र किया है। सर्कुलर में मूल ट्रस्ट डीड में निवेशकों के नाम या पहचान को अनिवार्य किया गया है। लेकिन इसके पैरा 6 में कहा गया है कि यह सर्कुलर उन राज्यों में लागू नहीं होगा जहां उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर विपरीत निर्णय दिया है।

First Published : July 30, 2025 | 10:20 PM IST