अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी होने से पहले दुनिया भर के बाजारों में घबराहट देखी गई, जिसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा। सेंसेक्स 1,017 अंक लुढ़ककर 54,303 पर रह गया, जो 19 मई के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। निफ्टी भी 276 अंक के नुकसान के साथ 16,202 पर बंद हुआ। इस हफ्ते दोनों सूचकांकों में 2.5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। लगातार तीसरे हफ्ते बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ।
अमेरिका में मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी होने से पहले निवेशक भी घबराहट में है क्योंकि ऊंचे आंकड़ों से दरों को लेकर फेडरल रिजर्व के निर्णय में बदलाव आ सकता है। भारत में बाजार बंद होने के बाद अमेरिका में ये आंकड़े जारी हुए हैं। आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में मई महीने में मुद्रास्फीति चार दशक के उच्च स्तर 8.6 फीसदी पर पहुंच गई है। पिछले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति में तेजी से इजाफा हुआ है, जिसके कारण दुनिया भर के केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति को सख्त बनाने में लगे हैं।
कच्चे तेल के उच्च स्तर पर रहने से भी देसी निवेशकों के मनोबल पर असर पड़ा है। ब्रेंट क्रूड 3 महीने के उच्च स्तर 128 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। इसके अलावा कोविड का प्रसार रोकने के लिए शांघाई के सात जिलों में लगाए गए नए लॉकडाउन से भी धारणा प्रभावित हुई है।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘अमेरिका में मंहगाई के आंकड़े अधिक रहने का मतलब है कि फेडरल रिजर्व सतर्क रुख अनाएगा और निवेशक बिकवाली शुरू कर सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि शांघाई में लॉकडाउन की घोषणा झटके की तरह है क्योंकि लोगों को लग रहा था कि स्थिति सामान्य हो रही है।
यूरोपीय केंद्रीय बैंक ने भी संकेत दिए हैं कि जुलाई में दरों में 25 आधार अंक और सितंबर में 50 आधार अंक का इजाफा हो सकता है। उसने प्रोत्साहन कार्यक्रम को भी वापस लेना शुरू कर दिया है। यूरोपीय केंद्रीय बैंक ने पिछली बार 2011 में दरें बढ़ाई थीं। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी बुधवार को रीपो दर में 50 आधार अंक का इजाफा किया है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में रिटेल शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा कि यूरोपीय केंद्रीय बैंक द्वारा दर बढ़ाने के संकेत और अमेरिका में मुद्रास्फीति के ऊंचे आंकड़ों से वैश्विक वृद्धि को लेकर चिंता बढ़ गई है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 4,000 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की बिकवाली की, जिससे डॉलर के मुकाबले रुपये में नरमी आई। मई में विदेशी निवेशकों ने करीब 40,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी। इस महीने अब तक 20,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की जा चुकी है।
रुपया और फिसला
कच्चे तेल का दाम बढ़ने और डॉलर में मजबूती आने से रुपया शुक्रवार को अब तक के निचले स्तर पर फिसल गया। दिन के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 77.88 तक फिसल गया था लेकिन कारोबार की समाप्ति पर यह 77.77 पर बंद हुआ। यह लगातार तीसरा दिन है जब रुपया सर्वकालिक निचले स्तर को छूकर आया है। विश्लेषकों का कहना है कि रुपया 78 के पार निकल सकता है।
कच्चे तेल में तेजी
अमेरिका में ईंधन की मांग बढ़ने से कच्चे तेल के दाम में शुक्रवार को भी तेजी रही। ब्रेंट क्रूड 98 सेंट चढ़कर 124.05 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। यूएस वेस्ट टैक्सस इंटरमीडिएट क्रूड 0.7 फीसदी बढ़त के साथ 122.33 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। ब्रेंट क्रूड में लगातार चौथे हफ्ते तेजी आई है। भारत द्वारा खरीदे जाने वाले मानक कच्चे तेल का दाम एक दशक के उच्च स्तर 121 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है।