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अल्ट्राटेक सीमेंट: कीमतों में गिरावट से हो सकता है घाटा

Last Updated- December 05, 2022 | 11:42 PM IST

भारत की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट के परिणाम बाजार की आशाओं के अनुरुप नहीं रहे। कंपनी के वॉल्यूम की बिक्री भी कम रही।


कंपनी के वाल्यूम में मार्च 2008 की तिमाही में 4.4 फीसदी की गिरावट आयी। बाजार में आपूर्ति से ज्यादा मांग होने के बावजूद कंपनी आशा के अनुरुप वॉल्यूम की डिलवरी नहीं कर पाई।


इसके कारण कंपनी का कुल राजस्व मात्र 9.3 फीसदी बढ़कर 1,600 करोड़ रुपये रहा। सालाना 12 से 13 फीसदी की उच्च प्रत्याशा के बावजूद कंपनी की घरेलू बिक्री पिछले वर्ष के अनुपात में कम रही विशेषकर दक्षिण भारत में जहां कंपनी अपने कुल वॉल्यूम का एक चौथाई हिस्सा बेचती है।


कंपनी का तेल की बढ़ती कीमतों,बिजली और यातायात में आने वाले खर्चो पर नजर रखने के कारण कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन सालाना 30.5 फीसदी की दर से मजबूत हुआ। हालांकि मार्जिन में लगातार 340 बेसिस प्वाइंट की तेज गिरावट देखी गई। अन्य आय की अधिकता की वजह से कंपनी का कुल लाभ तो बढ़ा लेकिन यह आशा के अनुरुप नहीं रहा।


कंपनी ने अपनी क्षमता बढ़ानी जारी रखी। पिछले दो-तीन महीनों में कंपनी ने 140 लाख टन की क्षमता बढ़ाई  और कंपनी का आने वाले 12 महीनों में 400 लाख टन क्षमता और बढ़ाने का विचार है।


हाल ही में सीमेंट और क्लिंकर के निर्यात में प्रतिबंध लगाने से कंपनी के पास 40 से 50 लाख टन सीमेंट की अतिरिक्त क्षमता हो सकेगी।इन वजहों से बाजार में 100 से 110 लाख टन सीमेंट की अधिकता होगी और बाजार के विश्लेषकों का मानना है कि इससे सीमेंट की कीमतों में 10 से 15 फीसदी की गिरावट आ सकेगी।


अल्ट्राटेक की शेयर की कीमतों की गति गंभीर स्तर पर हैं। कंपनी की मार्च 2008 में प्रति शेयर आय 81 रुपये थी,उसमें वित्तीय वर्ष 2009 में 30 से 32 फीसदी की गिरावट हो सकेगी और उक्त वर्ष इसमें हल्के सुधार के  आसार है।


इन सभी कारणों से कंपनी केस्टॉक का कारोबार 817 रुपये केस्तर पर हो रहा है जो वित्तीय वर्ष 2009 की प्रत्याशित मूल्य से 15 गुना महंगा है। यह सेक्टर के आशाजनक नजरिये से कम है।


रैनबैक्सी: उम्मीद से कम वृध्दि


बाजार 6,982 करोड़ का कारोबार करने वाली रैनबैक्सी के तिमाही परिणामों से शायद कुछ बेहतर करने की उम्मीद कर रहा था। दवा उद्योग की बड़ी कंपनी रैनबैक्सी की बिक्री कुल मिलाकर आशाओं के अनुरुप नहीं रहा।


यहां तक कि कंपनी के डॉलर से प्राप्त राजस्व पिछले वित्तीय वर्ष की तिमाही की तुलना में मात्र 15 फीसदी अधिक रहा।रुपये के बढ़ते मूल्य से स्थिति और खराब हो गयी। नतीजतन संघटित रुपये की विक्री बढ़त घटकर 1699 करोड़ के करीब आ पहुंची जो कि 7 फीसदी से थोड़ा ज्यादा है।


कंपनी को हुये 79.8 करोड़ का फॉरेक्स लॉस से लाभ में कमी आयी। कुछ अपवादस्वरुप उत्पाद की कीमतें भी 49 फीसदी कम होकर 83.4 करोड़ पर रही। कंपनी के लिये सकारात्मक बात यह रही कि प्रॉफिट मार्जिन 2.9 फीसदी बढ़कर 15 फीसदी तक पहुंच गया। इसका कारण कंपनी का खर्चो में कटौती करना रहा है। कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन स्थिर रहकर 14.4 फीसदी के स्तर पर रहा।


कंपनी की दवाइयों की बिक्री अमेरिका में बढ़ी इसके लिये कंपनी के उत्पाद सोट्रेट को श्रेय जाता है जो मुंहासों का उपचार करता है। घरेलू बाजार में भी कंपनी केतेजी से बढ़ते कार्डियोलीवर,अस्थमा और गैस की दवाओं के क्षेत्र में नये उत्पाद उतारने से बिक्री में वृध्दि हुई। कंपनी के लिये जो परेशान करने वाली बात रही वह कंपनी की दवाओं की बिक्री का यूरोपीय बाजार में 11 फीसदी का गिर जाना।


यहां तक कि ज्यादातर राहत देने वाले रोमानियन बाजार में भी कंपनी की बिक्री में 29 फीसदी की गिरावट आयी। कंपनी के प्रबंधन का कहना है कि रोमानिया को होने वाली बिक्री पर हेल्थकेयर सेक्टर में प्रस्तावित सुधार का प्रभाव पड़ा। कंपनी की हालत रोमानिया में सुधरनी चाहिये क्योंकि कंपनी ने हाल ही में दवा कंपनी टेरापिया का अधिग्रहण किया है जिसका रोमानियन बाजार में मजबूत स्थित है। 


कंपनी पिछले छ: महीनों से अमेरिका में बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपर प्लासिया और हर्प्स के लिये दवाओं की बिक्री का आदेश प्राप्त कर लिया है। कंपनी का ऑर्चिड केमिकल्स के साथ गठबंधन से कंपनी को अमेरिका और यूरोप में तेजी से बढ़ते सेफालोस्फोरिन के बाजार में पैठ बनाने में मद्द मिलनी चाहिये।


कंपनी के प्रबंधन का कहना है कि कंपनी वित्तीय वर्ष 2008 में 18 से 20 फीसदी का अधिक राजस्व जुटायेगी और कंपनी 18 फीसदी का अधिक ऑपरेटिंग मार्जिन इकठ्ठा करेगी।कंपनी के शेयरों का 477 रुपये केस्तर पर कारोबार कंपनी के वित्तीय वर्ष 2008 में प्रस्तावित आकड़ों से 20.4 फीसदी ज्यादा है। 

First Published - April 24, 2008 | 11:07 PM IST

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