शेयर बाजार के डे ट्रेडर्स के कारोबार नहीं करने का फैसले का असर बाजार के वॉल्यूम पर पड़ रहा है।
हालांकि एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंजस मेंबर्स ऑफ इंडिया के कहने पर ही आर्बिट्राज और जॉबिंग के कई कारोबारी वापस बाजार में आ गए हैं। दरअसल पहली अप्रैल को इन डे ट्रेडर्स ने आयकर की धारा 88 ई के तहत सेक्योरिटीज ट्रैंजैक्शन टैक्स (एसटीटी)का लाभ खत्म किए जाने के खिलाफ काम बंद करने का फैसला किया था। कारोबारियों का मानना है कि धारा 88 ई का लाभ नहीं मिलने से उनके मार्जिन पर भारी दबाव पड़ेगा और उनके लिए कारोबार करना मुश्किल हो जाएगा।
क्रॉससीस कैपिटल सर्विसेस के एमडी राजेश बेहाटी के मुताबिक फिलहाल डे ट्रेडर्स एक हफ्ते के लिए ही बाजार में लौटे हैं। उनके मुताबिक अगर सरकार इस मसले पर इन कारोबारियों को राहत नहीं देती है तो कारोबार को भारी धक्का लगेगा। पहली अप्रैल को इन कारोबारियों के बाजार में शामिल नहीं होने से बाजार का वॉल्यूम करीब 25 फीसदी गिर गया था।
पहली अप्रैल को बीएसई और एनएसई का कुल कारोबार केवल 63 करोड शेयरों का रहा था जबकि 31 मार्च को यह 92 करोड़ शेयरों का था। यही नहीं एनएसई के वायदा कारोबार में भी इसका असर पडा और मंगलवार को इसमें 30 फीसदी की गिरावट आ गई थी और ये 67 हजार करोड़ से घटकर 51 हजार करोड़ पर आ गया था।
गुरुवार को भी बाजार में वॉल्यूम काफी कम था। कैश और वायदा मिलाकर बाजार में कुल 49,574.42 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ। जबकि 31 मार्च को कुल 67,796.68 करोड़ का कारोबार हुआ था और पहली अप्रैल को यह गिरकर 51,765.69 करोड़ पर आ गया। कारोबारियों का मानना है कि एसटीटी पर बने नए नियमों कतई मुनासिब नहीं हैं क्योंकि इससे डबल टैक्सेशन होगा यानी इससे एक ही कमाई पर उन पर दो बार टैक्स लगने लगेगा।
एसटीटी का लाभ हटाने का कारोबारियों पर असर को देखते हुए एसोसिएशन ने वित्त मंत्रालय और सेबी को एक ज्ञापन सौंपा है और उसे अब उनके जवाब का इंतजार है। बजट के प्रस्तावों में आयकर की धारा 88 ई के तहत कारोबारियों को मिल रहा लाभ खत्म कर दिया गया है। इसके तहत एसटीटी को अब कारोबार से होने वाली कमाई निकालते समय एसटीटी को घटाया नहीं जा सकेगा।
आज की तारीख में ये कारोबारी अपनी कुल आय में एसटीटी की रकम को जोड़ने के बाद ही आयकर की गणना करते हैं। धारा 88 ई के तहत उन्हे टैक्स छूट मिलती रही है और उन्हे साल के अंत में उन्हे एसटीटी घटाने के बाद आने वाला टैक्स ही अदा करना होता था। लेकिन बजट प्रस्ताव लागू हो जाने के बाद कारोबारियों को कुल आयकर से एसटीटी घटाने के नियम का लाभ मिलना बंद हो जाएगा।