facebookmetapixel
Govt Scheme: हर महीने 5,000 रुपए जमा करें और सिर्फ 15 साल में बेटी के लिए 25 लाख तक का फंड तैयार; जानें कैसेMP: मोहन यादव सरकार के दो साल, सीएम ने किया उपलब्धियों का बखानट्रंप की H-1B वीजा फीस बढ़ोतरी पर बड़ा विरोध, 19 राज्यों ने दायर किया मुकदमाRBI के रीपो रेट कट के बाद SBI का बड़ा फैसला! FD, MCLR और EBLR दरों में किया बदलावT20 वर्ल्ड कप से पहले साझेदारी पर मुहर, ICC-JioStar ने दी सफाईIndia-US Trade Talks: अमेरिकी टीम ने भारत के डिजिटल डेटा सुरक्षा कानून और IT नियमों पर जताई चिंताइंडिगो संकट: DGCA ने 4 उड़ान निरीक्षकों को किया निलंबित, एयरलाइन ने इल्सन को स्वतंत्र समीक्षा के लिए नियुक्त कियाप्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी निवेश को दी मंजूरीनोवो नॉर्डिस्क लाई डायबिटीज की नई दवा, शुरुआती 0.25 मिलीग्राम खुराक की कीमत 2,200 रुपये प्रति सप्ताहत्योहारी मांग और GST में कटौती से वाहनों की बिक्री में भारी बढ़ोतरी, नवंबर में ऑटो इंडस्ट्री ने बनाया रिकॉर्ड

विदेशी निवेशकों के जल्द लौटने की उम्मीद नहीं, बाजार में गिरावट के पीछे उनका अहम योगदान

बाजार में गिरावट के पीछे विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली अहम रही है। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 2025 में अभी तक 1.05 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है।

Last Updated- February 24, 2025 | 10:31 PM IST
Stock Market Strategy

भारत में शेयर बाजार के निवेशकों के लिए पिछले पांच महीने चुनौतीपूर्ण रहे हैं। अक्टूबर 2024 से बाजार में गिरावट का दौर शुरू हुआ था और अभी तक बेंचमार्क निफ्टी अपने उच्चतम स्तर से 14 फीसदी और सेंसेक्स 13.2 फीसदी टूट चुका है। निफ्टी मिडकैप में इस दौरान 17.8 फीसदी और स्मॉलकैप सूचकांक में 21.3 फीसदी की गिरावट आई है।

विश्लेषकों के अनुसार ​इस गिरावट के पीछे विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली अहम रही है। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 2025 में अभी तक 1.05 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली की है। विदेशी निवेशक ऐसे समय में भारत में बिकवाली कर रहे हैं जब चीन की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए वहां की सरकार ने प्रोत्साहन उपायों की घोषणा की है। 

मोतीलाल ओसवाल फाइनैं​शियल सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार एमएससीआई इंडिया सूचकांक में पिछले साल जनवरी से सितंबर तक खूब तेजी देखी गई। पिछले साल जून से सितंबर के बीच इसने कुछ समय के लिए एमएससीआई चीन सूचकांक से बेहतर प्रदर्शन किया। मगर उसके बाद से चीन के एमएससीआई सूचकांक ने एमएससीआई भारत सूचकांक को पीछे छोड़ दिया है।

वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज में निदेशक (इ​क्विटी स्ट्रैटजी) क्रांति बतीनी ने कहा, ‘मध्यम से अल्पावधि के लिहाज से चीन के बाजार का मूल्यांकन (5 साल के औसत 15.3 गुना के मुकाबले 16.2 गुना पर कारोबार कर रहा है) कम बना हुआ है। ऐसे में कुछ हेज फंड और उच्च जो​खिम वाला निवेश चीन जा रहा है। इसकी तुलना में निफ्टी अपने 5 साल के औसत 23.9 गुना और 10 साल के औसत 23.9 गुना के मुकाबले 21.3 गुना पर कारोबार कर रहा है।’

कोटक सिक्योरिटीज के आंकड़ों के अनुसार थाईलैंड को छोड़कर सभी प्रमुख उभरते बाजारों में फरवरी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश निकला है।

विदेशी निवेशकों ने फरवरी में भारत में 218.9 करोड़ डॉलर, ब्राजील में 2.1 करोड़ डॉलर, इंडोने​शिया में 38.1 करोड़ डॉलर , मले​शिया में 5.9 करोड़ डॉलर, फिलिपींस में 50 लाख डॉलर, द​क्षिण कोरिया में 27.6 करोड़ डॉलर, ताइवान में 111.4 करोड़ डॉलर और वियतनाम में 23.5 करोड़ डॉलर की बिकवाली की है। थाईलैंड में 1.7 करोड़ डॉलर का शुद्ध निवेश हुआ है।

विश्लेषकों ने कहा कि अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की संरक्षणवादी नीतियों के मद्देनजर डॉलर के मजबूत होने से उभरते बाजारों में बिकवाली बढ़ी है।

जियोजित फाइनैं​शियल सर्विसेज में मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, ‘विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली की मुख्य वजह भारत के बाजार का मूल्यांकन ऊंचा रहना है। दिसंबर तिमाही के नतीजों से संकेत मिलता है कि उद्योग जगत की कमाई में 7 फीसदी बढ़ी है जो ऊंचे मूल्यांकन को वाजिब नहीं ठहराता है। डॉलर की मजबूती भी चुनौती बढ़ा रही है।’

First Published - February 24, 2025 | 10:24 PM IST

संबंधित पोस्ट