टाटा एसेट मैनेजमेट के प्रबंध निदेशक वेद प्रकाश चतुर्वेदी का मानना है कि बुधवार को जारी औद्योगिक उत्पादन आंकड़ों के अनुसार भारत मंदी का सामना कर रहा है। टाटा म्युचुअल फंड के 41 वर्षीय प्रमुख जिन्हेेंं हाल ही में अपने फंड के लिये बैलेंस्ड , इन्फ्रास्ट्रक्चर और लिक्विड फंड की श्रेणियों में क्रिसिल म्युचुअल फंड अवार्ड मिला, ने पलक शाह और राजेश अब्राहम से कहा कि इक्विटी बाजार में कमजोर आर्थिक वृध्दि दिखने लगी है।
शेयर बाजार में मंदी का दौर दिख रहा है। आप का क्या कहना है?
हमारी 1996-97 से 2007 तक अच्छी चाल थी। अगर आप 1999 के मंदी के दौर को छोड़ दें तो यह बाजार के चढ़ाव का 10 वर्षीय लंबा दौर रहा। इस दौरान अर्थव्यवस्था की वृध्दि की अपेक्षा बाजार का प्रतिफल बहुत ज्यादा था। बडे शेयर बाजार मंदी केदौर को प्रदर्शित कर रहे हैं। मै डिकपलिंग थ्योरी पर विश्वास नही करता हूं। हम इस समय ऐसे हालात में है जहां एक अर्थव्यवस्था दूसरी अर्थव्यवस्था से जुड़ी हुई है। पिछले दस सालों में वैश्विक दृष्टि से अर्थव्यवस्थाओं का एकीकरण हो रहा है। हानि की आशंका के चलते बाजार से पूंजी निकाली जा रही है। जोखिम कम लिया जा रहा है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं जैसे चिली की अर्थव्यवस्था उच्च निर्यात केंद्रित है। उनके पास विनिर्माण और निर्यात की जबरदस्त क्षमता है। चीन और भारत थोड़ा अलग है क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था मूलत: घरेलू खपत और पर आधारित है।
इन हालात में वैश्विक पूंजी पूल जो अच्छी वापसी की ओर भागती है। अब फिर से प्रतिभूतियों की कीमतें घटने की वजह से भारत और चीन के बाजार में प्रवेश कर सकती है।
क्या उतार-चढ़ाव बरकरार रहना है अगर बात भारतीय बाजार के संदर्भ में की जाये?
भारत में उतार-चढ़ाव के थमने में और 12 महीनों का वक्त लगेगा। यहां बाजार चक्र और आर्थिक चक्र भी है। हमने 1994 से 1997 तक मंदी के दौर का सामना किया था। बाजार में इस समय कारोबार उचित मूल्यों पर हो रहा है, अगर एक साल पहले के तुलनात्मक अनुपात की दृष्टि से देखा जाये।
इसके अतिरिक्त आज 1992 से 1995-97 के मंदी के दौर से आज बाजार में ज्यादा सुधारात्मक कदम उठाये जा रहे है। बाजार चक्र व्यापार चक्र का पीछा करता है। हम सूचना प्रौद्योगिकी, ऑटो और वस्त्र निर्माण में मंदी को देख रहे हैं। बाजार में भी कुछ ऐसे ही हालात हैं।
जनवरी-फरवरी केआंकड़े जिन्हें अप्रैल में प्रकाशित किया जायेगा, महत्वपूर्ण होगा। जब बाजार आठ से नौ फीसदी की गति से बढ़ रहा है तो यह संभव नहीं है कि शेयर बाजार एक ही साल में 40 फीसदी बढ़ जाये।
कंपनियां इस तिमाही में मंदी का सामना कर सकती है। कुछ कंपनियां जिन्होंने पिछली कुछ तिमाही में 50 से 100 फीसदी की वृध्दि तय की थी, अब तय नहीं कर सकेंगी।
बाजार में जारी गतिरोध के क्या उत्प्रेरक हैं?
वर्तमान गतिरोध के पीछे मूलत: तीन कारण हैं। वैश्विक उतार-चढ़ाव भी ध्यान देने लायक प्रसंग है। इसके अतिरिक्त अमेरिका में जारी मंदी का दौर, वैश्विक बाजार में जिंस की कीमतों का अपने उच्च स्तर पर होना भी इस मंदी के लिये जिम्मेदार है। घरेलू मोर्चे पर अर्थव्यवस्था के भी धीमी होने के आसार हैं।
वैसे भी जब ब्याज दरों में कमी आना शुरु होगी तब अर्थव्यवस्था में सुधार होना शुरु हो सकता है। इसके अतिरिक्त अगले साल होने वाले संसदीय चुनावों से भी बाजार पर असर पड़ सकता है। मै उम्मीद करता हूं कि जब तक कोई स्पस्ट तस्वीर नहीं आती है यह उतार-चढ़ाव बना रहेगा।
क्या आप इसकी कल्पना कर रहें है कि ब्याज दरों मे कमी की जायेगी और मंहगाई के बारे में आप का क्या विचार है?
मंहगाई को बुनियादी तौर पर कमतर आंका गया है। लेकिन चुनावों के नजदीक होने की वजह से मंहगाई को नियंत्रित होने के प्रयास अवश्य होने है।
आप के पास मॉरीशस में पंजीकृत एक ऑफशोर इक्विटी टाटा इंडिया अपोरचुनिटी फंड हैं। यह कैसा काम कर रहा है?
ण हमने पिछले दो सालों में बड़ी एशियाई देशों से लगभग 40 अरब रुपये की पूंजी इकठ्ठी की है। यह एक सतत प्रक्रिया है और हम लगातार पूंजी पा रहे हैं। हमनें ज्यादातर पूंजी वैयक्तिक निवेशकों से इकठ्ठा की है। इसमें कई फंड शामिल हैं और यह विदेशी संस्थागत निवेशकों के समानांतर है।
घरेलू फंड हाउस के एसेट अंडर मैनेजमेंट के बढ़ाने के बाद प्रतियोगिता में टाटा म्युचुअल फंड कहां ठहरता है? आपकी भविष्य की योजनाएं क्या हैं?
टाटा म्युचुअल फंड के एसेट अंडर मैनेजमेंट ने अच्छी बढ़त हासिल की है। यह पिछले पांच सालों में 1,000 करोड़ से बढ़कर 24,000 करोड़ रुपये हो गया है। अब तक इसमें 20 लाख से भी ज्यादा निवेशकों ने निवेश किया है। हमारी उचित समय पर एक नैचुरल रिसोर्सेस फंड लाने की भी योजना है।