इस वर्ष बाजार में तेजी और औसत फ्लोट आकार में वृद्धि के बीच प्री-आईपीओ आवंटन में गिरावट आई है। वर्ष 2023 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद इन सौदों की रफ्तार थम गई है। महज तीन कंपनियों ने कुल 235 करोड़ रुपये मूल्य के ऐसे प्लेसमेंट को चुना। पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 648 करोड़ रुपये मूल्य के आठ सौदे हुए थे। बैंकरों ने कहा कि छोटे आकार के निर्गम लाने वाली कंपनियां प्रमुख निवेशकों से स्थायी निवेश पाने के लिए प्री-आईपीओ आवंटन का विकल्प चुनती हैं।
कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग में प्रबंध निदेशक वी जयशंकर ने कहा, ‘छोटे आकार के निर्गमों में निवेशकों को सौदे के आकार के कारण एंकर में बहुत कम हिस्सा मिलता है। आप इसका समाधान प्री-आईपीओ के जरिये निकालने का प्रयास करते हैं। जब सौदा बड़ा होता है तो बहुत कम लोग प्री-आईपीओ करते हैं क्योंकि एंकर श्रेणी में देने के लिए पर्याप्त होता है।’
पूरे कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान 12 कंपनियों ने प्री-आईपीओ नियोजनों के जरिये 1,075 करोड़ रुपये तक की पूंजी जुटाई जो 2016 (जब से आंकड़ा उपलब्ध है) के बाद सबसे अधिक है। 2024 में प्री-आईपीओ प्लेसमेंट लाने वाली कंपनियों में राशि पेरिफेरल्स (150 करोड़ रुपये), एक्सिकॉम टेलीसिस्टम्स (71 करोड़ रुपये) और प्लेटिनम इंडस्ट्रीज (14 करोड़ रुपये) शामिल हैं। सभी तीन प्री-आईपीओ निर्गम का आकार 700 करोड़ रुपये से कमथा जबकि इस साल आईपीओ का औसत आकार 1,100 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है।
बैंकरों का यह भी कहना है कि आईपीओ से जुड़ी कई कंपनियों ने बाजार में तेजी के बीच आईपीओ के समय बेहतर मूल्यांकन मिलने की उम्मीद में प्री-आईपीओ प्लेसमेंट से परहेज किया। ऑफर दस्तावेज सौंपने के बाद प्री-आईपीओ प्लेसमेंट किया जाता है। इस विकल्प के जरिये जुटाई जाने वाली राशि के हिसाब से आईपीओ का आकार घट जाता है। आमतौर पर ऐसे प्लेसमेंट भारी डिस्काउंट पर लाए जाते हैं।
एसबीआई कैपिटल मार्केट्स के समूह प्रमुख (ईसीएम) दीपक कौशिक ने कहा, ‘जब मांग मजबूत हो तो निर्गम लाने वाली कंपनियां प्री-आईपीओ चरण में ज्यादा हिस्सा घटाना पसंद नहीं करती हैं। इसके अलावा, एक बार जब आप प्री-आईपीओ की पेशकश करते हैं, तो आपकी आधार कीमत तय हो जाती है। चूंकि हमारे पास मौजूदा समय में आकर्षक मूल्यांकन हैं और प्री-आईपीओ निवेशक ज्यादा मोलभाव करने वाले इसलिए कई लोग उस तरीके को नहीं अपना रहे हैं। इसलिए बेहतर मूल्यांकन का इरादा हो तो सीधे बाजार का इस्तेमाल करना बेहतर है।’
जयशंकर ने कहा कि कंपनियां या निवेशक मांग जोरदार होने पर प्री-आईपीओ के जरिए शेयर आवंटित करने के बजाय लिस्टिंग के बाद ब्लॉक डील को प्राथमिकता देते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक बाजार धारणा में कमजोरी नहीं आती, प्री-आईपीओ सौदों में नरमी बनी रहेगी। जयशंकर ने कहा, ‘प्री-आईपीओ स्वयं में कोई योजना नहीं है। इसे तभी पेश लाया जाता है जब इसे निर्गम के लिए जरूरी माना जाए। वहीं सौदे का आकार भी एक महत्त्वपूर्ण मानदंड है।’
इस साल आईपीओ से कोष उगाही पहले ही पिछले साल के आंकड़े को पार कर चुकी है। 2024 में अब तक 45 आईपीओ बाजार में आए हैं जिनके जरिये करीब 50,000 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं जबकि पिछले वर्ष 57 निर्गमों से 49,436 करोड़ रुपये जुटाए गए थे।