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बाजार में उच्च महंगाई का पूरा असर नहीं दिखा है

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 7:42 PM IST

विश्लेषकों का कहना है कि मुद्रास्फीति बाजारों के लिए चिंता का मुख्य विषय बनी हुई है। उन्हें कीमतें नहीं थमने की स्थिति में प्रमुख सूचकांकों में और गिरावट आने की आशंका हे। उनका मानना है कि मौजूदा स्तरों पर बाजारों में मुद्रास्फीतिकारी दबाव की आशंका का पूरा असर नहीं दिखा है।
इक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम ने कहा, ‘यदि बढ़ती मुद्रास्फीति पर विराम नहीं लगा तो सेंसेक्स और निफ्टी में मौजूदा स्तरों से और 3-4 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। रूस-यूक्रेन युद्घ को लेकर भी कोई जल्द समाधान नहीं निकलता दिख रहा है। इन सबसे से चिंताओं को बढ़ावा मिल रहा है।’
भारत में मार्च की थोक बिक्री सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) बढ़कर 14.55 प्रतिशत पर पहुंच गई। खाद्य तेल और ऊर्जा कीमतों में भारी तेजी की वजह से इसमें तेजी आई है। फरवरी में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति 13.11 प्रतिशत पर दर्ज की गई थी। दूसरी तरफ, उपभोक्ता कीमत सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति मार्च में 6.95 प्रतिशत पर पहंच गई, जो फरवरी में 6.07 प्रतिशत थी।
जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने निवेशकों को भेजी अपनी ताजा रिपोर्ट ग्रीड ऐंड फियर में चेताया है, ‘भारत में मुद्रास्फीति एक प्रमुख मुद्दा बन गई है, जबकि सीपीआई अब पिछले तीन महीनों से आरबीआई की 6 प्रतिशत सीमा से ऊपर है। इससे पता चलता है कि आरबीआई को सख्त मौद्रिक नीति का रुख शुरू करने की जरूरत होगी।’
इस बीच, बाजार सोमवार को गिरावट का शिकार हुआ और बीएसई में 2 प्रतिशत से ज्यादा की कमजोरी आई, क्योंकि निवेशक तेज मुद्रास्फीति को लेकर चिंतित बने रहे और इन्फोसिस तथा एचडीएफसी बैंक के मार्च 2022 के तिमाही नतीजे अनुमानों से नीचे रहे।
गोल्डमैन सैक्स में मुख्य अर्थशास्त्री (भारत) शांतनु सेनगुप्ता ने ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘भारत में खाद्य मुद्रास्फीति 2021 के मुकाबले बढऩे की आशंका है और हमें वैश्विक कृषिगत कीमतों से तेजी के जोखिम से इसमें तेजी आने का अनुमान है। 2022 की दूसरी छमाही में 125 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने के बाद, 2022 में हमारा मुद्रास्फीति अनुमान सालाना आधार पर 6.6 प्रतिशत पर बना हुआ है, जो
आरबीआई के मुद्रास्फीति अनुमान के मुकाबले काफी ज्यादा है।’
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर को डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति अप्रैल में 13.5-15 प्रतिशत के दायरे में बने रहने का अनुमान है, और हालात कुछ हद तक इस पर निर्भर करेंगे कि अप्रैल 2022 के शेष हिस्से में कच्चे तेल की कीमतें कैसी रहती हैं और पेट्रोल तथा डीजल कीमतों में आगे कितना बदलाव किया जाता है।
नायर ने कहा, ‘मार्च 2022 में खाद्य एवं बेवरेज सूचकांक में तिमाही आधार पर गिरावट और पिछले सप्ताह सीपीआई खाद्य मुद्रास्फीति में कुछ नरमी दर्ज किए जाने के बाद मुद्रास्फीति दर में कमी आने से कुछ राहत मिली है। मार्च 2022 में खाद्य एवं बेवरेज सूचकांक में मासिक आधार पर गिरावट मुख्य तौर पर सब्जियों, अंडों और चाय पर केंद्रित रही, जबकि अन्य उत्पादों में मामूली वृद्घि दर्ज की गई। हम इसे लेकर चिंतित बने हुए हैं कि सामान्य मॉनसून भी उन उत्पादों की खुदरा कीमतों में नरमी लाने के लिहाज से पर्याप्त साबित नहीं हो सकता है जिनसे खाद्य मुद्रास्फीति को बढ़ावा मिल रहा है, जिनमें खाद्य तेल भी शामिल हैं।’

First Published : April 20, 2022 | 1:13 AM IST