प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
छोटे-मध्यम कारोबारियों यानी MSME को कर्ज सस्ता और आसान मिले, इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों को साफ निर्देश दिए हैं। सरकार ने संसद को बताया कि मॉनेटरी पॉलिसी का असर बेहतर तरीके से पहुंचे, इसलिए MSME को दिए जाने वाले लोन को किसी बाहरी बेंचमार्क से जोड़ने की सलाह दी गई है।
इस सिस्टम में लोन की ब्याज दरें हर तीन महीने में रीसेट होंगी। पहले यह समय ज्यादा होता था, लेकिन अब इसे सिर्फ तीन महीने कर दिया गया है। इससे अगर RBI रेपो रेट कम करता है तो उसका फायदा जल्दी MSME वालों तक पहुंचेगा।
साथ ही, जो पुराने कर्जदार पहले से फिक्स्ड या दूसरे सिस्टम में लोन ले चुके हैं, उन्हें भी नई व्यवस्था में आने का मौका मिलेगा। बैंक उन्हें आपसी सहमति से स्विचओवर की सुविधा देंगे। मतलब पुराने लोन पर भी कम ब्याज का लाभ ले सकेंगे।
सरकार गुणवत्ता मानकों को लागू करने के लिए अलग-अलग मंत्रालयों से क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (QCO) जारी करवाती है। ये ऑर्डर भारतीय मानक ब्यूरो यानी BIS के जरिए धीरे-धीरे से लागू होते हैं। लेकिन इनसे छोटे उद्योगों का प्रोडक्शन बाधित न हो, इसलिए MSME को कई तरह की छूट और रियायतें दी गई हैं।
माइक्रो उद्योगों को लागू करने की तारीख से छह महीने अतिरिक्त समय मिलता है, जबकि छोटे उद्योगों को तीन महीने दिया गया है। अगर कोई घरेलू उत्पादक निर्यात के लिए सामान बनाता है तो उसके लिए आयात पर पूरी छूट है। इसी तरह रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए 200 यूनिट तक आयात बिना किसी रोक-टोक के हो सकता है।
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पुराना स्टॉक, जो QCO लागू होने से पहले बनाया या आयात किया गया हो, उसे छह महीने तक बेचने की छूट रहती है। BIS लाइसेंस की सालाना फीस में भी बड़ी राहत दी गई है। इसमें माइक्रो उद्योगों को 80 फीसदी, छोटे को 50 फीसदी और मध्यम को 20 फीसदी की छूट दी गई है। अगर यूनिट उत्तर-पूर्व में है या महिला उद्यमी चला रही हैं तो अतिरिक्त 10 फीसदी रियायत मिलती है।
सबसे बड़ी बात यह कि MSME यूनिट्स के लिए अपनी लैबोरेट्री रखना अनिवार्य नहीं रहा। पहले यह जरूरी होता था, लेकिन अब वैकल्पिक कर दिया गया है।
सरकार ने MSME के लिए म्यूचुअल क्रेडिट गारंटी स्कीम शुरू की है। इसके तहत गारंटी मिलने से मशीनरी और जरूरी उपकरण खरीदने के लिए लोन आसानी से मिल जाता है।
साथ ही, सूक्ष्म और लघु उद्योगों को 10 लाख रुपये तक के लोन में कोई कोलेटरल या गारंटी नहीं देनी पड़ती। यह नियम सभी अनुसूचित कमर्शियल बैंकों पर लागू है।
(PTI के इनपुट के साथ)