सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज इंडिया (सीडीएसएल) में तकनीकी गड़बड़ी के कारण सोमवार को कारोबार की शुरुआत में काफी आम निवेशक सेल ऑर्डर के क्रियान्वयन में असमर्थ रहे। खाते की संख्या के लिहाज से सीडीएसएल देश की सबसे बड़ी डिपॉजिटरी है।
शुरू में निवेशकों को लगा कि यह उनके ब्रोकरेज फर्म में तकनीकी गड़बड़ी के कारण हो रहा है। हालांकि ब्रोकिंग फर्मों ने जल्द ही अपने क्लाइंटों को बताया कि यह तकनीकी गड़बड़ी सीडीएसएल में है। देश की सबसे बड़ी ब्रोकरेज जीरोधा ने 10.12 बजे ट्वीट किया, सीडीएसएल में तकनीकी गड़बड़ी के कारण आपको अपने शेयरों की बिक्री के ऑथराइजेशन में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। आईसीआईसीआई डायरेक्ट, ऐंगल वन जैसी अन्य ब्रोकरेज फर्म ने भी अपने क्लाइंटों को ऐसा ही ट्वीट भेजा।
बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि यह मामला डीमैट खाते से प्रतिभूतियों को डेबिट किए जाने को लेकर ऑथराइजेशन के लिए इस्तेमाल सीडीएसएल के पोर्टल के साथ तकनीकी दिक्कतसे जुड़ा है। यह सिस्टम पिछले साल लगाया गया था ताकि ब्रोकरों के तरफ से पावर ऑफ अटॉर्नी का दुरुपयोग रोका जा सके।
एक अग्रणी ब्रोकिंग फर्म के अधिकारी ने कहा, अपना शेयर बेचने के लिए अपनी होल्डिंग के डेबिट को ऑथराइज करने के लिए ज्यादातर निवेशक टीपीआईएन (ट्रांजेक्शन पर्सनल आइडेंटिफिकेशन नंबर) का इस्तेमाल करते हैं। चूंकि वे टीपीआईएन के इस्तेमाल के जरिये डेबिट को ऑथराइज नहीं कर पाए, लिहाजा वे अपने शेयर बेच नहीं पाए।
यह मामला सुलझने में कई घंटे लगे। हालांकि कुछ ने कहा कि यह सिस्टम रुक-रुककरक काम कर रहा था और बार-बार की कोशिश से कई को कामयाबी भी मिली। हालांकि कुछ ब्रोकरेज फर्मों ने अपने क्लाइंटोंं को सीडीएसएल ऑथराइजेशन को तब तक छोडऩे की अनुमति दी जब तक कि मामला न सुलझ जाए। इस विकल्प का इस्तेमाल करने वालों को अपने डेबिट के ऑथराइजेशन के लिए 5 बजे तक का समय दिया गया।
जीरोधा ने 1.55 बजे एक अन्य ट्वीट में कहा, सीडीएसएल टीपीआईएन ऑथराइजेशन का मामला अब सुलझ गया है। आप अब अपनी होल्डिंग की बिक्री को ऑथराइज कर सकते हैं।
इस घटनाक्रम पर सीडीएसएल को अब सेबी के पास रूट काउज एनालिसिस (आरसीए) जल्द जमा कराना होगा। इस बारे में जानकारी मांगे जानेपर सीडीएसएल ने कोई टिप्पणी नहीं की। अभी सीडीएसएल 4.65 करोड़ डीमैट खाते संभालती है, जो एक साल पहले के मुकाबले करीब 80 फीसदी ज्यादा है।
इस साल बाजार नियामक सेबी ने तकनीकी गड़बड़ी पर मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टिट््यूशन (एमआईआई) को दंडित करने के लिए फ्रेमवर्क जारी किया था, जिसमें स्टॉक एक्सचेंज, डिपॉजिटरीज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन शामिल है। इस फ्रेमवर्क के तहत एमआईआई को आरसीए जमा कराने या अपूर्ण आरसीए जमा कराने में देरी के मामले में एक लाख रुपये प्रतिदिन भुगतान करना होगा। फ्रेमवर्क के तहत विस्तृत आरसीए रिपोर्ट जमा कराने के लिए 21 दिन का समय दिया गया है।