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एनएसडीएल के प्रमुख संचालन अधिकारी प्रशांत वागल ने कहा कि कर मुक्त बॉन्ड जारी करने से बॉन्ड बाजार में खुदरा भागीदारी को बढ़ावा मिल सकता है। भारत सरकार ने 2016 के बाद कोई नया कर मुक्त बॉन्ड जारी नहीं किया है।
वागल ने 25वें ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में मंगलवार को कहा, ‘भारत में राष्ट्रीय बचत योजनाएं, लघु बचत योजनाएं, म्युचुअल फंड की इक्विटी लिंक्ड बचत योजनाएं (ईएलएसएस), पेंशन योजनाएं हैं। अभी इक्विटी मार्केट में राजीव गांधी इक्विटी बचत योजना है। कई साल पहले कर बचत बॉन्ड्स इस्तेमाल किए जाते थे, यह जब जारी होते थे तो लोग उन्हें धड़ल्ले से खरीदते थे। लिहाजा हम क्यों नहीं कर बचत योजना जैसा कुछ बनाएं। इसमें जहां कर बचत बॉन्ड पर ब्याज तो कर मुक्त हो, लेकिन निवेश पर नहीं… हम शुरुआत से ही लोगों के इसे हाथों हाथ स्वीकारता देख सकते हैं क्योंकि हम खुदरा निवेशकों की भागीदारी चाहते हैं।’
उन्होंने बताया कि बॉन्ड बाजार में खुदरा निवेश खास आयु वर्ग में सीमित हो गया है। इसमें 41 वर्ष से अधिक आयु के लोग अधिक हैं और युवा आयु वर्ग का कम निवेश कर रहा है। उन्होंने बताया, ‘डीमैट के 15 लाख से 16 लाख खाते हैं और इसमें 41 साल से अधिक लोगों के 10 लाख से अधिक खाते हैं। लिहाजा बॉन्ड में निवेश करने वाली दो तिहाई आबादी वह है जो रिटायरमेंट की उम्र की तरफ बढ़ रहे हैं। इसीलिए बॉन्ड को पूंजी की सुरक्षा करने वाले रूप में माना जाता है और यह स्थिर आमदनी देता है।
इसमें 41 से 60 वर्ष की आयु के लोगों की संख्या 5 लाख है और इससे अधिक उम्र के लोगों की संख्या भी 5 लाख है। लिहाजा यह अनुपात है। हम ऐसे लोग चाहते हैं जो भारत की युवा आबादी हो, 30 वर्ष से कम हो लेकिन यह मुश्किल से 2 लाख से 3 लाख है।’