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सन फार्मा: दर्द ज्यादा नहीं

Last Updated- December 05, 2022 | 5:16 PM IST

सन फार्मा के शेयर की कीमत में दो कारोबारी सत्रों के दौरान पांच प्रतिशत की कमी आई। हालांकि, गुरुवार को इसमें 3.5 प्रतिशत का सुधार आया।


बाजार को इस बात से चिंता है कि अमेरिकी फूड ऐंड ड्रग एडमिनिसट्रेशन ने सन फार्मा की सहयोगी कंपनी कराको को मधुमेह की दवा मेटफॉर्मिन के कई बैचों को बाजार से वापस लेने को कहा है। कराको कंपनी में सन फार्मा की हिस्सेदारी 76 प्रतिशत की है।प्राधिकरण के मुताबिक कुछ बैचों में टैबलेट का आकार या तो सामान्य से छोटा है या फिर बड़ा।


हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि  बाजार से दवाओं को वापस लेने से कराको को कुछ खास नुकसान नहीं होगा। उनका अनुमान है कि कराको को केवल 50 लाख रुपये का नुकसान हो सकता है।सन फार्मा के शेयरों की कीमत में आई गिरावट की दूसरी वजह है विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड के शेयर में परिवर्तित होने में लगा समय। बॉन्ड धारकों को लगभग 50 लाख शेयर जारी किए गए थे जिसमें से अभी तक केवल आधे ही सूचीबध्द हो पाए हैं।


जब शेष शेयर भी सूचीबध्द हो जाते हैं तो संभव है कि सन फार्मा के स्टॉक में कुछ और मंदी देखने को मिले। इसके अतिरिक्त सन फार्मा द्वारा खरीदे गए इजराइली जेनेरिक दवा निर्माता कंपनी टैरो को कैलेंडर वर्ष 2007 में 3,130 लाख डॉलर की आय पर 70 प्रतिशत अधिक मुनाफा हुआ है।


ऐसा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2008 में सन फार्मा की आय 2,600 करोड रुपये होगी और शुध्द लाभ 980 करोड़ रुपये होगा, इसमें वित्त वर्ष 2007 के मुकाबले 17 फीसदी की वृध्दि होगी। वर्तमान में इसके स्टॉक का कारोबार 1,255 रुपये पर किया जा रहा है जो आगामी आमदनी का लगभग 22 गुना है और इसे सस्ता नहीं कहा जा सकता है। यद्यपि बराबरी की कंपनियों की तुलना में यह बेहतर है जिसका श्रेय इसके अच्छे परिचालन मार्जिन जो अभी 30 प्रतिशत से अधिक है, को जाता है।


प्रिंट मीडिया: कागज की गाज


पिछले तीन-चार महीने से न्यूजप्रिंट के मूल्य में क्रमिक वृध्दि हुई है जो फिलहाल पिछले वर्ष के न्यूनतम स्तर से लगभग 12 प्रतिशत अधिक है। इसकी वजह मुख्यत: आपूर्ति से जुड़े व्यवधान हैं।उद्योग पर निगाह रखने वालों का विश्वास है कि अगले छह महीने तक इनकी स्थिति यथावत बनी रहेगी जिसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2009 के लिए औसत मूल्य लगभग 31,500 रुपये प्रति टन हो सकता है।


इसमें वित्त वर्ष 2008 के मुकाबले लगभग 15 प्रतिशत की वृध्दि होगी जो लगभग 27,500 रुपये प्रति टन होना चाहिए।वास्तव में धन्यवाद मजबूत होते रुपये को देना चाहिए और डॉलर के अपेक्षाकृत कम मूल्यों की वजह से भी कंपनियों को वर्तमान वर्ष में कुछ पैसे बचाने में मदद मिल सकती है।


विश्लेषक कहते हैं कि आमतौर पर न्यूजप्रिंट का मूल्य कुल मूल्यों का लगभग 40 प्रतिशत होता है यद्यपि यह प्रतिशतता आयात के परिमाण के अनुसार बदल भी सकती है।प्रिंट मीडिया के शेयरों की सफलता का एक कारण यह भी है। एचटी मीडिया, डेक्कन क्रोनिकल और जागरण प्रकाशन सफल हुए हैं-वर्ष की शुरूआत से इन तीनों में 40 प्रतिशत की बढ़त हुई है।


वास्तव में कच्चे माल के बढ़ते बिल से समाचार पत्र कंपनियों के लाभों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, खास तौर से उन पर जो न्यूजप्रिंट का आयात करते हैं। उदाहरण के तौर पर एचटी मीडिया जो 1,040 करोड़ रुपये की कंपनी है का लाभ वित्त वर्ष 2009 में लगभग 15 प्रतिशत कम हो सकता है। ऐसा अनुमान है कि यह कंपनी वित्त वर्ष 2008 में 1,225 करोड़ रुपये की आय और 120 करोड़ रुपये की शुध्द आय अर्जित करेगी।


ऐसा आकलन है कि प्रिंट मीडिया उद्योग अगले तीन वर्षों में लगभग 12 प्रतिशत की चक्रवृध्दि से विकास होगा और अगले तीन वर्षों में, वर्ष 2011 तक इसके 20,000 करोड़ रुपये के होने का अनुमान है। विज्ञापन से प्राप्त होने वाली आय वर्तमान 6,500 करोड़ रुपये से दोगुनी होकर 13,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

First Published - March 28, 2008 | 11:07 PM IST

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