वर्ष 2017 में निवेशकों का समर्थन गंवा देने वाले वैल्यू फंड्स इक्विटी बाजार में जारी तेजी की वजह से फिर से मजबूत वापसी करते हुए दिख रहे हैं। बीते एक साल में वैल्यू फंड्स ने 50.79 फीसदी का औसत रिटर्न दिया है जो लार्ज एवं फ्लेक्सी कैप योजनाओं के रिटर्न से भी अधिक है। वैल्यू फंड्स उन स्टॉक एवं क्षेत्रों में निवेश करते हैं जो फिलहाल मांग में नहीं हैं लेकिन उनमें दीर्घावधि वृद्धि की संभावना होती है और वे तुलनात्मक रूप से सस्ते भी पड़ते हैं। हालांकि वर्ष 2017 से लेकर मार्च 2020 तक जोर सिर्फ वृद्धि एवं गुणवत्ता वाले स्टॉक पर ही रहा था क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ रही थी। इस दौरान वैल्यू फंड्स का प्रदर्शन गिरता चला गया।
लेकिन मार्च 2020 में आई औचक गिरावट और उसके बाद के महीनों में इक्विटी बाजारों में रौनक लौटने से वैल्यू फंड्स ने फिर से तगड़ा रिटर्न देना शुरू कर दिया। पिछले साल आईडीएफसी स्टर्लिंग वैल्यू फंड ने अपनी श्रेणी का सर्वाधिक 74.17 फीसदी का रिटर्न दिया है। उसके बाद टेम्पल्टन इंडिया वैल्यू फंड का नंबर आता है जिसने 65.80 फीसदी रिटर्न दिया है।
दूसरी तरफ वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक, लार्ज एवं फ्लेक्सी कैप फंड्स का औसत रिटर्न क्रमश: 44.19 फीसदी और 46 फीसदी रहा है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य निवेश अधिकारी एस नरेन कहते हैं, ‘एक साल पहले हमारी मानना था कि वैल्यू फंड वृद्धि एवं गुणवत्ता वाले फंड्स की बराबरी करने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। लेकिन उसके बाद से उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। इसके अलावा निवेशकों की दिलचस्पी धातु, दूरसंचार एवं दूसरे कमजोर स्टॉक में रही जिसमें मूल्य वृद्धि की काफी संभावनाएं थीं। इन क्षेत्रों के मेल ने बीते एक साल में वैल्यू फंड्स के मजबूत प्रदर्शन में सहयोग दिया है।’
अमूमन एक वैल्यू फंड उस तरह के शेयरों में निवेश करता है जिसमें तर्कसंगत वृद्धि की संभावना हो लेकिन उस समय वे वाजिब दाम पर ही मिल रहे हों। क्वांटम एमएफ में फंड मैनेजर (इक्विटी) सौरभ गुप्ता कहते हैं कि वैल्यू फंड प्रबंधन करने वाली फर्म हमेशा उन कंपनियों के शेयरों की तलाश में रहती है जो अपने वास्तविक मूल्य से कम दाम पर मिल रहे हों।