भारत के कुल बाजार पूंजीकरण में सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू/ पीएसई) की भागीदारी बढ़कर 17.3 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो करीब सात साल में सर्वाधिक है। इस बाजार भागीदारी में वर्ष 2022 से बड़ा बदलाव आया है। 2022 में यह भागीदारी तेजी से घटकर करीब एक अंक में रह गई थी। आकर्षक मूल्यांकन आदि ने निवेशकों का ध्यान पीएसयू शेयरों की तरफ फिर से खींचा है।
निफ्टी पीएसई इंडेक्स पिछले साल में करीब दोगुना हुआ है। भले ही बड़ी तेजी ने महंगे मूल्यांकन की चिंता बढ़ाई है, लेकिन ऐतिहासिक रुझान बरकरार रहा, तो तेजी बनी रह सकती है। इलारा कैपिटल के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि पीएसयू क्षेत्र चुनावी वर्षों के दौरान बेहतर प्रदर्शन करता है।
इलारा कैपिटल की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अनुभव आधारित प्रमाणों से पता चलता है कि किसी आम चुनाव के वर्ष में बीएसई पीएसयू इंडेक्स औसतन 14 प्रतिशत चढ़ता है, जिससे फरवरी में इसमें सुधार का संकेत दिख रहा था। नतीजों की घोषणा के सीजन तक सूचकांक ने 22 प्रतिशत प्रतिफल दिया है।’
चुनाव के बाद और तेजी विनिवेश से पैदा होने वाले अवसरों से आ सकती है। हालांकि विश्लेषक पीएसयू शेयरों में अत्यधिक निवेश के खिलाफ सतर्क हैं। इलारा ने मौजूदा परिदृश्य की तुलना 2016-17 की मूल्यांकन अवधि से की है, जिसके बाद तीन साल का कमजोर प्रदर्शन दर्ज किया गया था।