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अमेरिकी चुनाव से शेयर बाजार कुछ हफ्ते रह सकते हैं अस्थिर

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 1:22 AM IST

पिछले कुछ दिनों से बाजारों में उतार-चढ़ाव बना हुआ है और यह ऊंचें स्तरों पर नहीं रुक सकता। यदि विश्लेषकों पर भरोसा किया जाए तो संकेत मिलता है कि बाजार अगले कुछ सप्ताहों तक अस्थिर बने रहेंगे।
वैश्विक स्तर पर, आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव, प्रमुख केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतियों और लगभग सभी शहरों में कोविड-19 संबंधित लॉकडाउन, तथा तेल कीमतें निवेशकों को बाजारों से दूर बनाए रख सकती हैं। विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू तौर पर, कमजोर अर्थव्यवस्था के साथ साथ कोविड-19  के बढ़ रहे मामलों और मुद्रास्फीति आरबीआई के कम्फर्ट जोन से ऊपर रहने, भारत-चीन के बीच तनाव, भारतीय उद्योग जगत की दूसरी तिमाही के नतीजों से धारणा प्रभावित हो सकती है।
एवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रेटेजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड के अनुसार, जस्टिस रुथ बेडर जिंसबर्ग की मौत के बाद सर्वोच्च न्यायालय में नोमिनेशन के लिए संभावित अमेरिकी राजनीतिक लड़ाई से नवंबर में होने वाले अमेरिकी चुनाव की ओर ध्यान केंद्रित हुआ है। उनका कहना है कि कई राजनीतिक विश्लेषक अब राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बिडेन के बीच कड़ी टक्कर की भविष्यवाणी कर रहे हैं। हॉलैंड ने कहा, ‘कई प्रांतों में पोस्टल बैलट मतदान को देखते हुए चुनाव का वास्तविक परिणाम कुछ दिनों या सप्ताहों में पता नहीं चल पाएगा, फिर भी आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि किस संख्या में चुनाव लड़ा जा सकता है।’
भारत में, प्रमुख सूचकांक सेंसेटस और निफ्टी-50 अपने मार्च 2020 के निचले स्तरों से 47 और 48 प्रतिशत चढ़े हैं। इनमें मजबूत विदेशी प्रवाह और घरेलू रिटेल निवेशकों की अच्छी भागीदारी की वजह से तेजी आई है। यदि तरलता का प्रवाह बदलता है तो विश्लेषक भारतीय बाजारों में तेज गिरावट की आशंका जता सकते हैं।
हॉलैंड के अनुसार, मुनाफावसूली अल्पावधि में मिडकैप अैर स्मॉलकैप में ज्यादा देखी जा सकती है। यूबीएस में रणनीतिकार नियाल मैकलॉयड ने जियामिन शेन के साथ तैयार की अपनी 17 सितंबर की रिपोर्ट में कहा, ‘सामान्य तौर पर, हम यह नहीं मान रहे हैं कि अमेरिकी चुनाव का एशियाई बाजारों पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ेगा, लेकिन इक्विटी बाजार पहले से ही एक स्टैंडर्ड डेविएशन महंगे हैं, और इन घटनाक्रम का प्रभाव सामान्य के मुकाबले ज्यादा पड़ सकता है।’
बिहार में विधानसभा चुनाव और भारतीय उद्योग जगत के वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही के परिणाम के अलावा, कंपनियों के नए आईपीओ से निवेशकों द्वारा मुनाफावसूली देखी जा सकती है और पूंजी सेकंडरी से प्राइमरी बाजारों में जा सकती है।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के आंकड़े के अनुसार, 80 प्रतिशत कंपनियों ने प्राइमरी बाजार के लिए जरूरी मंजूरी के संबंध में बाजार नियामक सेबी से संपर्क किया है। ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि ये कंपनियां 51,515 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही हैं। इक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम का कहना है कि आगामी निर्गमों में भी छोटे निवेशकों की भागीदारी मजबूत रहने की संभावना है।

First Published : September 24, 2020 | 1:14 AM IST