बाजारों के लिए पिछले दो कारोबारी सत्र काफी अच्छे रहे हैं। इस दौरान एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स 3,200 अंक से ज्यादा उछला है। शुक्रवार को 1,961 अंकों की तेजी अदाणी समूह के शेयरों में कुछ खरीदारी के बीच सकारात्मक वैश्विक संकेतों के कारण आई थी। लेकिन सोमवार को कारोबारी सत्र के दौरान 1,300 अंकों की बढ़ोतरी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के चलते दर्ज हुई जहां भारी बहुमत के साथ महायुति गठबंधन की सत्ता बरकरार रही। सकारात्मक वैश्विक संकेतों ने भी मनोबल में इजाफा किया।
इस घटनाक्रम को अग्रणी ब्रोकरेज फर्मों ने किस तरह से देखा है और इस पृष्ठभूमि में उनकी निवेश रणनीति क्या है। एक नजर :
लोकसभा चुनावों में थोड़े झटके के बाद राजनीतिक तौर पर यह जनादेश ब्रांड मोदी को मजबूत करेगा। महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में जोरदार बहुमत के साथ विजय से संकेत मिलता है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने अपनी रणनीति में कुछ बदलाव किया है। सरकार अब खर्च पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। हम वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में कंपनियों की आय में थोड़े सुधार की उम्मीद कर रहे हैं। मनोबल में बदलाव से तेजी पर थोड़ा जोखिम लेने की शुरुआत हो सकती है।
खास तौर से लार्जकैप का मूल्यांकन वित्त वर्ष 26 (अनुमानित) के ईपीएस 19.3 गुने पर काफी उचित है। मिड और स्मॉलकैप अभी भी महंगे मूल्यांकन पर चल रहे हैं और एनएसई मिडकैप-100 और एनएसई स्मॉलकैप-100 अभी करीब 30 गुना व 23 गुना पीई पर कारोबार कर रहे हैं। भूराजनीतिक घटनाक्रम में उतार-चढ़ाव और डॉलर इंडेक्स की चाल पर अल्पावधि के लिहाज से नजर रखनी होगी। तरजीही क्षेत्रों मे बीएफएसआई (निजी और सरकारी बैंकों के अलावा नॉन-लैंडिंग एनबीएफसी), पूंजीगत सामान, रियल एस्टेट, विनिर्माण, कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी, आईटी, हेल्थकेयर शामिल हैं।
महाराष्ट्र का जनादेश अगले पांच साल के लिए राजनीतिक स्थायित्व लाएगा। इससे आगे नीतियों में निरंतरता बने रहने को लेकर निवेशकों का भरोसा मजबूत होने के आसार हैं। हालिया गिरावट के बाद हमारा मानना है कि बाजार जरूरत से ज्यादा बिकवाली के जोन में है और मूल्यांकन उचित नजर आ रहे हैं। यह समय खरीद करने और लंबी अवधि का पोर्टफोलियो बनाने के लिहाज से सबसे अच्छा है।
बहुप्रतीक्षित गिरावट पहले ही आ चुकी है और अधिकांश स्टॉक तीन महीने पहले की तुलना में उचित मूल्यांकन पर उपलब्ध हैं। हम ऐसे शेयर लेने की सलाह दे रहे हैं जो अगले एक साल में उचित मूल्य पर वृद्धि की पेशकश करे।
भारतीय इक्विटी बाजारों की धारणा में अल्पकालिक वृद्धि होगी जिससे व्यापक बाजारों में चल रही गिरावट थम सकती है। ऐसे में खुदरा निवेश (जो कोविड के बाद भारतीय बाजारों का आधार रहा है) सहायक बना रह सकता है। हाल में मुख्य सूचकांकों की रेटिंग में कमी के बावजूद व्यापक भारतीय बाजार का मूल्यांकन ऊंचा बना रह सकता है। आगामी हफ्तों में भी बाजारों की परख जारी रह सकती है।
केंद्र सरकार सुधारों को बढ़ाने के अपने दृष्टिकोण पर कायम है। बड़े पैमाने पर सुधार पहले ही किए जा चुके हैं। पूंजीगत व्यय में इजाफा करने पर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है जो लक्ष्य से काफी पीछे है। साथ ही मौजूदा परियोजनाओं को भी पूरा किया जाएगा।
निकट भविष्य में किसी बड़े राज्य में चुनाव नहीं होना है और साथ ही हाल के चुनाव में शानदार प्रदर्शन के कारण केंद्र से किसी वित्तीय प्रोत्साहन की संभावना नहीं लगती। हालांकि जबकि केंद्रीय राजकोषीय में सुधार जारी रह सकता है लेकिन राज्यों के लोकलुभावनवाद की ओर बढ़ते कदमों से धीरे-धीरे भारत के संयुक्त राजकोषीय घाटे पर असर आ सकता है।
बाजार की हालिया गिरावट (पिछले दो सत्रों में आई तेजी से पहले) ने घटते राजनीतिक जोखिम, दूसरी छमाही में आय में डाउनग्रेडिंग की न्यूनतम गुंजाइश, उचित मूल्यांकन और वैश्विक आर्थिक हालात को देखते हुए निवेश वाली थीम के भीतर और शेयरों की खरीद का मौका उपलब्ध कराया है।
चुनावी सफलताओं को देखते हुए मुफ्त/लोकलुभावन योजनाएं बनी रहेंगी। महायुति गठबंधन की जीत महाराष्ट्र के लिए अच्छा संकेत है, क्योंकि केंद्र और राज्य की साझा राजनीति से वहां अटके बुनियादी ढांचे के विकास और अन्य लंबित मुद्दों को तेजी से निपटाने में मदद मिलेगी।