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Stock Market: शेयर बाजार का पूंजीकरण 61% बढ़ा, जीडीपी से आगे निकला

भारत का मार्केट कैप -जीडीपी अनुपात 140.2 प्रतिशत पर पहुंच गया जो 15 वर्ष में सबसे अधिक है। यह अनुपात मार्च 2023 में 95.8 प्रतिशत था।

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कृष्ण कांत   
Last Updated- May 22, 2024 | 9:58 PM IST

सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर भाव भारत के जीडीपी में वृद्धि के मुकाबले मजबूत बने हुए हैं। बीएसई पर सभी सूचीबद्ध और कारोबार करने वाली कंपनियों का बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) मार्च 2023 से 61 प्रतिशत तक बढ़ा है, जबकि 2023-24 में मौजूदा मूल्य पर भारत के जीडीपी में अनुमानित 10 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

परिणामस्वरूप भारत का मार्केट कैप -जीडीपी अनुपात 140.2 प्रतिशत पर पहुंच गया जो 15 वर्ष में सबसे अधिक है। यह अनुपात मार्च 2023 में 95.8 प्रतिशत था।

बीएसई के आंकड़ों के अनुसार कारोबार के लिए उपलब्ध 4,357 कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण मंगलवार को करीब 416 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया जबकि वर्तमान मूल्य पर भारत का जीडीपी 296.6 लाख करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2024) है।

मौजूदा अनुपात दिसंबर 2007 के अंत में 149.4 के सर्वाधिक अनुपात से केवल थोड़ा ही कम है। दिसंबर 2007 में बीएसई पर सूचीबद्ध और कारोबार करने वाली सभी कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 71.7 लाख करोड़ रुपये पर था जबकि भारत का जीडीपी 48 लाख करोड़ रुपये था।

दिलचस्प यह है कि अगले 15 महीनों में यानी मार्च 2009 के अंत में शेयरों में भारी गिरावट के कारण यह अनुपात करीब दो-तिहाई घटकर 54.8 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गया था। वर्तमान में भारतीय इक्विटी के संपूर्ण बाजार पूंजीकरण में बड़ी तेजी काफी हद तक मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों में आई मजबूती की वजह से दर्ज की गई है।

बीएसई के सेंसेक्स सूचकांक में शमिल भारत की शीर्ष-30 सूचीबद्ध कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण इस अवधि में सिर्फ 27.2 प्रतिशत तक बढ़ा। सेंसेक्स कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण मार्च 2023 के अंत में 115.9 लाख करोड़ रुपये था जो बढ़कर मंगलवार तक 147.4 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

इसी तरह, एनएसई के निफ्टी-50 सूचकांक का संयुक्त बाजार पूंजीकरण मार्च 2023 के 136.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मंगलवार को 181.8 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इन दोनों सूचकांकों में होने वाले कारोबार का मूल्य कंपनियों के पूर्ण बाजार पूंजीकरण के बजाय संयुक्त फ्री-फ्लोट बाजार पूंजीकरण (कंपनियों में गैर-प्रवर्तकों की हिस्सेदारी का बाजार मूल्य) में बदलाव को ट्रैक करता है। तुलना करें तो सेंसेक्स पिछले साल मार्च के अंत से 25.8 प्रतिशत तक चढ़ा है जबकि निफ्टी में इस दौरान 30.2 प्रतिशत तेजी आई है।

मार्केट कैप-जीडीपी अनुपात में तेजी को देखते हुए कुछ विश्लेषकों ने निवेशकों को सतर्कता बरतने की सलाह दी है। इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं शोध प्रमुख जी चोकालिंगम का कहना है, ‘अगर इस अनुपात में वृद्धि लार्जकैप शेयरों (जिनका अभी भी भारत में कॉर्पोरेट मुनाफे में बड़ा योगदान है) से जुड़ी होती तो मैं चिंतित नहीं होता लेकिन यह तेजी मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर आधारित है। इनमें से कई शेयरों ने पिछली कुछ तिमाहियों में अपने मूल्यांकन में बड़ा इजाफा दर्ज किया है जबकि उनकी आय उनके बाजार पूंजीकरण के अनुरूप रफ्तार कायम रखने में विफल रही।’

बीएसई मिडकैप सूचकांक पिछले एक साल में करीब 64 प्रतिशत और बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक इस अवधि में 60.6 प्रतिशत चढ़ा है। मिडकैप और स्मॉलकैप में बड़ी तेजी की मुख्य वजह इक्विटी बाजार में बड़ी संख्या में नए रिटेल निवेशकों का प्रवेश भी है।

चोकालिंगम के अनुसार पिछले पांच साल में करीब 10 करोड़ नए घरेलू रिटेल निवेशकों ने इक्विटी बाजार में प्रवेश किया और इनमें से ज्यादातर ने स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में पैसा लगाने पर जोर दिया है भले ही इन कंपनियों के शेयर भाव बहुत बढ़ गए हों।

First Published : May 22, 2024 | 9:58 PM IST