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बड़े से ज्यादा छोटे शेयर बढ़े

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 3:21 AM IST

करीब एक दशक में दो माह के सबसे अच्छे प्रदर्शन के बाद लार्जकैप में सुस्ती के संकेत दिख रहे हैं, लेकिन स्मॉल और मिडकैप लगातार तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं। अगस्त में अब तक निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में क्रमश: 6 फीसदी और 8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। जबकि ब्लूचिप केंद्रित निफ्टी में महज 2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
इस कैलेंडर वर्ष के पिछले दो महीने में निफ्टी में 16 फीसदी की उछाल दर्ज हुई थी, जो मार्च 2009 के बाद दो माह का उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन है। मिडकैप 100 इंडेक्स में बढ़ोतरी निफ्टी के हिसाब से हुई थी। स्मॉलकैप 100 जून-जुलाई के दौरान 25 फीसदी चढ़ा था।
इससे पहले कम मूल्यांकन को व्यापक बाजार में खरीदारी की वजह बताया जाता था। हालांकि वहां भी मूल्यांकन अब महंगा हो गया है। क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट इंडिया के इक्विटी शोध प्रमुख जितेंद्र गोहिल ने कहा, काफी तेजी के बाद मिडकैप कंपनियों के लिए मूल्यांकन महंगा हो गया है। हालांकि अहम केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को शून्य के करीब रखा है, लेकिन इक्विटी का मूल्यांकन ऊंचा बना हुआ है।
व्यापक बाजार में खरीदारी की बात करें तो करीब 300 शेयरों ने इस महीने 25 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की है और उनमें से 40 से ज्यादा ने 50-50 फीसदी की उछाल दर्ज की है। इनमें से ज्यादातर शेयर स्मॉलकैप के हैं, जहां विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक और बड़े म्युचुअल फंड सामान्य तौर पर निवेश नहीं करते क्योंकि वहां तरलता नहीं होती।
विशेषज्ञों ने कहा, इसके परिणामस्वरूप स्मॉलकैप के शेयरों में बढ़ोतरी खुदरा निवेशकों की तरफ से होने वाली खरीदारी से हो सकती है, जो खास तौर से अच्छी तरह शोध के बाद दांव लगाने के लिए नहीं जाने जाते।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, वैक्सीन की उम्मीद, वैश्विक बाजार में सुधार और उसके इर्द-गिर्द हुए प्रचार-प्रसार ने व्यापक बाजारों में हुई बढ़ोतरी में योगदान किया है। लेकिन यह शायद ही टिकाऊ होगा। व्यापक बाजार खतरनाक दौर में प्रवेश कर गया है। संस्थागत निवेशकों की तरफ से नकदी नहीं आ रही है। ज्यादातर निवेश खुदरा निवेशकों की तरफ से आ रहा है और यह संस्थागत निवेश का पूरक नहीं हो सकता।
बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि सर्किट फिल्टर में नरमी वाले स्टॉक एक्सचेंजों के हालिया कदम ने छोटे निवेशकों के हाथ मेंं और हथियार थमा दिया है। इस महीने बीएसई ने 36 शेयरों की ट्रेडिंग सीमा 5 फीसदी से 20 फीसदी कर दी। करीब 200 शेयर 10 से 20 फीसदी के दायरे में आ गए।
कुल मिलाकर एक्सचेंजों ने 645 शेयरों की सर्किट की सीमा में संशोधन किया है, उनमें से सिर्फ 10 ने ही सीमा में कमी देखी है। विशेषज्ञों ने कहा कि बाजार आने वाले नए निवेशकों को कम मशहूर शेयरों में निेवश के लिए आकर्षित किया जाता है क्योंकि उनमें काफी तेजी दर्ज हो रही है। मार्च के बाद से 40 लाख से ज्यादा डीमैट खाते खुले हैं।
एक निवेश विशेषज्ञ ने कहा, कुछ शेयरों में हुई बढ़ोतरी का कोई व्यावहारिक कारण नहीं है। कई ऑपरेटर सक्रिय हो गए हैं और छोटे निवेशकों का ध्यान खींचने के लिए कीमतें बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। हमें सतर्क रहना चाहिए। तेजी का दौर ठीक है, लेकिन जब विपरीत स्थितियां आएंगी तो कई निवेशक उससे शायद ही निकासी कर पाएंगे।
पिछले महीने सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने इस पर चिंता जताई थी कि छोटे निवेशक किस तरह से बाजार पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा था, बाजार में धीरे-धीरे उतरा जाना चाहिए। उन्हें सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश से शुरुआत करनी चाहिए और उसके बाद अन्य की तरफ बढऩा चाहिए। उन्हें सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए।

First Published : August 18, 2020 | 12:23 AM IST