बैंकिग काउंटर से बिक्री के जारी रहने की संभावना है जोकि डेरिवेटिव्स एक्सपोजर में अनिश्तिता,बढ़ती महंगाई और किसानों को जारी किये गये ऋण की माफी के कारण कम पड़ गयी थी।
बैंकों के शेयरों में मार्केट-टू-मार्केट हानि के कारण बुरी तरह गिर गये थे। जो बैंक इस संकट से प्रभावित हुये उनमें आईसीआईसीआई बैंक,स्टेट बैंक ऑफ इंडिया,कोटक महिंद्रा बैंक, एक्सिस बैंक,एचडीएफसी बैंक और यस बैंक है। सब-प्राइम संकट के कारण इनके डेरिवेटिव पोर्टफोलियों में भी कमी आने के आसार हैं।
अमेरिका में जारी सब-प्राइम संकट के कारण के्रडिट में वैश्विक रुप से 300 आधार अंकों की बढ़त आयी है। निजी क्षेत्र के बैंक अपने कारपोरेट ग्राहकों के लिये उत्साहजनक रूप से संरचनात्मकउत्पाद सौदे तैयार कर रहें हैं और सब-प्राइम संकट के कारण इन कंपनियों के खुलेपन पर भी असर पड़ा है।
वित्त मंत्री के किसानों की कर्ज अदायगी के प्रतिपूर्ति को निर्धारित करने के बावजूद इस बात के लिये संदेह है कि इस तरह की कर्ज अदायगी के लिये बनाये गये प्रावधान राइटबैक के योग्य हैं या नहीं।ज्यादातर बोक्रेज बैक शेयरों पर अपनी सावधानी बरकरार रख रहे हैं और उन्होनें अपने मूल्य लक्ष्य को भी कम कर दिया है।
लेकिन कुछ बोक्रेज के अनुसार पिछले दो महीनों में आयी गिरावट के कारण शेयरों का कारोबार आकर्षक मूल्यों पर हो रहा है। विश्लेषक निजी क्षेत्र के बैंकों से सावधानी बरत रहें है। इन बैंकों में आईसीआईसीआई बैंक,एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक शामिल हैं।
स्टील :कीमतों में कटौती के सरकारी दबाव के कारण कमजोरस्टील कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी जा सकती है क्योंकि स्टील की कीमतों में आयी तेजी के कारण सरकार स्टील कंपनियों से स्टील के दामों में स्थिरता लाने या कीमतें कम करने के लिये दबाव डाल सकती है।
विनिर्माण उत्पादों की कीमतों में बढ़त के कारण मुख्यत:लोहे और स्टील के दाम बढ़ गये हैं। अभी तक सरकार भी कीमतों में लगातार जारी बढ़ोत्तरी के बावजूद प्रतिबध्द नही थी क्योंकि उसका कहना था कि स्टील की कीमतों को नियंत्रित करना मुश्किल है क्योंकि स्टील एक खुला बाजार की जिंस उत्पाद है।
उच्च ब्याज दर जिसे सामान्यत: उच्च महंगाई के उपचार के रुप में देखा जाता है,का ऑटोमोबाइल उद्योग,उपभोक्ता आधारित उद्योगों और रियल एस्टेट जैसे उद्योगों पर सीधा असर पड़ेगा। जिसका कारण है कि ये क्षेत्र स्टील केबहुत बड़े उपभोक्ता हैं।वैश्विक मंदी जो दिन पर दिन गहराती जा रही है,के भी भारतीय शेयर बाजार को प्रभावित करने के आसार हैं।
तेल :मार्केटिंग कीमतें कमजोर,उर्ध्व प्रवाह की कंपनियां कमा सकती हैं लाभ तेल का विपणन करने वाली कंपनियों के नकारात्मक दायरे में रहने के आसार हैं क्योंकि उनके राजस्व पर कच्चे तेल की ऊंची कीमतों का असर पड़ सकता है। उर्ध्व प्रवाह की कंपनियां तेल की कीमतों के लगातार परिवर्तित रहने के कारण लाभ कमा सकतीं है।
कच्चे तेल के बेंचमार्क इंडेक्स न्यूयार्क मर्कंटाइल में कच्चे तेल की कीमतें 4,200 प्रति बैरल के स्तर पर बंद हई जोकि कीमतों में लगभग 200 रुपये की गिरावट को दिखाता है। वैश्विक मंदी के जारी रहने से तेल की कीमतों की मांग में भी असर पड़ सकता है।