बेंचमार्क सूचकांकों में गुरुवार को काफी उतारचढ़ाव देखने को मिला क्योंंकि निवेशकों ने महंगाई पर लगाम कसने की खातिर भारतीय रिजर्व बैंक और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से की गई ब्याज बढ़ोतरी को आत्मसात कर लिया। कई शेयरों में काफी उतारचढ़ाव देखने को मिला क्योंंकि निवेशकों ने आर्थिक रफ्तार और कंपनियों की आय पर मौद्रिक नीति की आक्रामक सख्ती के असर का आकलन किया।
अमेरिकी बाजारों में तीन फीसदी की बढ़ोतरी के बाद बेंचमार्क सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में करीब 900 अंक चढ़कर खुला। हालांकि कारोबारी सत्र के दौरान इंडेक्स के दिग्गजों में बिकवाली के कारण इंडेक्स ने अपनी बढ़त करीब-करीब गंवा दी।
सेंसेक्स अंत में 33 अंकों की बढ़त के साथ 55,702 पर बंद हुआ। दूसरी ओर, निफ्टी महज 5 अंकों की बढ़त के साथ 16,682 पर टिका। मंगलवार को दोनोंं सूचकांकों ने दो महीने की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की थी जब आरबीआई ने अचानक दरों में बढ़ोतरी कर दी।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 2,075 करोड़ रुपये के शेयर बेचे जबकि देसी संस्थान 2,229 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे।
सेंटिमेंट पर इसलिए भी असर पड़ा क्योंंकि अमेरिकी फ्यूचर मार्केट ने वॉल स्ट्रीट पर कमजोर शुरुआत का संकेत दिया क्योंंकि महंगाई का डर एक बार फिर सामने आया। बुधवार को एसऐंडपी 500, 3 फीसदी उछल गया जब फेडरल रिजर्व के प्रमुख जीरोम पॉवेल की टिप्पणी ने इस अफवाह को खारिज कर दिया कि फेड आगामी महीनों में ब्याज दरों में 75 आधार अंकों का इजाफा करने पर विचार कर रहा है।
फेडरल रिजर्व ने साल 2000 के बाद पहली बार ब्याज दरों में 50 आधार अंकों का इजाफा किया और अगली बैठकों में भी ऐसे ही कदमों का संकेत दिया। अमेरिकी सेंट्रल बैंक ने अपनी बैलेंस शीट में कमी लाने की योजना का भी अनावरण किया। हालांकि पॉवेल ने कहा कि मौद्रिक नीति की समिति सक्रियता से 75 आधार अंकों की बढ़ोतरी पर विचार नहींं कर रही है, इससे बाजार मेंं तेजी देखने को मिली।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा, फेडरल रिजर्व की ब्याज बढ़ोतरी उम्मीद के मुताबिक है। साथ ही चेयरमैन के बयान ने ब्याज में ज्यादा बढ़ोतरी का डर निकाल दिया। ऐसे में इक्विटी पर बहुत ज्यादा असर नहीं दिखने जा रहा। इसके उलट आरबीआी की दरों में बढ़ोतरी की घोषणा अनियत थी। भविष्य को लेकर संदेश भी स्पष्ट है, जिसके कारण कल बाजार में घमासान दिखा था।
एवेंडस कैपिटल के सीईओ एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, निवेशकों को और उतारचढ़ाव देखने को मिलेेंगे। उन्होंने कहा, जून से सख्ती शुरू होने जा रही है। इसका असर जुलाई-सितंबर मेंं दिखना शुरू होगा। इसके परिणाम सितंबर मेंं दिखने शुरू होंगे। बैंक ऑफ इंगलैंड का कहना है कि अर्थव्यवस्था अगले साल नीचे आ सकती है और वे अभी भी दरें बढ़ा रहे हैं और यहींं समस्या छिपी हुई है।
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने भी भारत मेंं निवेशकों की अवधारणा पर असर डाला। कच्चे तेल की कीमतें पिछले दो दिन से बढ़ रही है जब यूरोपियन यूनियन ने छह महीने मेंं रूसी तेल आयात को बंद करने की योजना का ऐलान किया। गुरुवार को ब्रेंट क्रूड 1.6 फीसदी की बढ़त के साथ 112.5 डॉलर पर कारोबार कर रहा था।